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    Spine TB Symptoms: युवाओं में बढ़ रहे हैं स्पाइन टीबी के मामले, जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

    By Ruhee ParvezEdited By:
    Updated: Thu, 02 Sep 2021 08:44 PM (IST)

    Spine TB Symptoms ​​केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि टीबी के 65 फीसदी मामले 15 साल से 45 साल तक के लोगों में देखने को मिल रहे है ...और पढ़ें

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    युवाओं में बढ़ रहे हैं स्पाइन टीबी के मामले, जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Spine TB Symptoms: भारत में कोरोना वायरस के बीच टीबी के मामले भी बढ़ते दिखे हैं। जिसका अनुमान लगाया जा रहा था कि ऐसा कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से हो रहा है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह साफ किया कि टीबी के मामले कोविड-19 संक्रमण की वजह से बढ़ रहे हैं, इसके लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं।

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    ​​केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि टीबी के 65 फीसदी मामले 15 साल से 45 साल तक के लोगों में देखने को मिल रहे हैं। जो आर्थिक रूप से सबसे अधिक उत्पादक आबादी वाला वर्ग है। उन्होंने कहा कि टीबी के 58 प्रतिशत मामले ग्रामीण क्षेत्रों से हैं।

    वहीं, युवा रीढ़ में टीबी के संक्रमण से ज़्यादा पीड़ित हो रहे हैं। एम्स के अध्ययन में यह बात सामने आई, रीढ़ में टीबी से पीड़ित हर दूसरा मरीज युवा देखा जा रहा है। डॉक्टरों ने 1600 से ज़्यादा मरीज़ों पर अध्ययन किया है। पीड़ितों में एक तिहाई मरीज़ 21 से 33 साल की उम्र के हैं। वहीं 17 फीसद मरीज़ों की उम्र 31 से 40 के बीच है। डॉक्टर्स का कहना है कि कमर और गर्दन के दर्द को नज़रअंदाज़ करना बड़ी भूल हो सकती है। चार सप्ताह से अधिक समय तक अगर कमर में दर्द है, तो यह रीढ़ में टीबी की बीमारी का संकेत हो सकता है।

    स्पाइनल टीबी

    रीढ़ की हड्‌डी में होने वाला टीबी इंटर वर्टिबल डिस्क में शुरू होता है, जिसके बाद रीढ़ की हड्‌डी में फैलता है। समय पर इलाज न किया जाए, तो अपाहिज भी हो सकते हैं। स्पाइन में टीबी के शिकार अक्सर युवा ही होते हैं। इसके लक्षण भी साधारण हैं, जिसके कारण अक्सर लोग इसे नज़रअंदाज करने की भूल करते हैं। इसके शुरुआती लक्षणों में कमर में दर्द रहना, बुखार, वज़न कम होना, कमजोरी या फिर उल्टी आदि हैं।

    स्पाइन में टीबी के लक्षण

    - पीठ/कमर में अकड़न आना

    - स्पाइन के प्रभावित क्षेत्र में खासकर रात के समय असहनीय दर्द होना

    - प्रभावित रीढ़ की हड्‌डी में झुकाव आना

    - पैरों और हाथों में काफी ज़्यादा कमज़ोरी और सुन्नपन रहना

    - हाथों और पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव

    - स्टूल, यूरीन पास करने में परेशानी होना

    - सांस लेने में दिक्कत, उपचार को बीच में ही बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए, जिससे पस की थैली फट सकती है।

    टीबी से बचाव के तरीके

    1. कमर में लंबे समय तक दर्द रहने पर डॉक्टर से समय पर जांच करवाएं, इसे टालें नहीं।

    2. खांसी को दो हफ्ते से ज़्यादा हो जाएं, तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें।

    3. मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से ढकें।

    4. बीमार होने पर इधर-उधर न थूकें बल्कि एक डिस्पोज़ेबल बैग का इस्तेमाल करें। जिससे इसे दूसरों में फैलने से रोका जा सके।

    5. मरीज़ को ऐसे कमरे में रखें जहां वेंटीलेशन अच्छा हो। कोशिश करें कि एसी का इस्तेमाल न हो।

    6. पोष्ण से भरपूर डाइट लेने के साथ रोज़ाना व्यायाम ज़रूर करें।

    7. सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से दूरी बनाएं।

    8. भीड़-भाड़ या जिन जगहों पर गंदगी होती है वहां न जाएं।

    9. बच्चे के जन्म पर BCG वैक्सीन ज़रूर लगवाएं।

    10. टीबी की जांच के लिए सीबीसी ब्लड काउंट, एलीवेटेड राइथ्रोसाइट सेडिमैटेशन, ट्यूबक्र्युलिन स्किन टेस्ट के ज़रिए टीबी के संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा रीढ़ की हड्‌डी का पहले एमआरआई, सीटी स्कैन और फिर बोन बॉयोप्सी जांच के जरिए भी टीबी के संक्रमण का पता लगाया जाता है।

    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।