क्या है Sleeping Beauty Syndrome, जिसमें 20 घंटे की नींद लेने पर भी बनी रहती है सोने की इच्छा
स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम (Sleeping Beauty Syndrome) जिसे क्लिन-लेविन सिंड्रोम (KLS) भी कहा जाता है एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिससे पीड़ित व्यक्ति को बहुत ज्यादा नींद आती है और वे 20 घंटे या उससे भी लंबे समय तक सो सकते हैं। जब वे जागते हैं तो वे थका हुआ और सुस्त महसूस करते हैं और उन्हें किसी भी चीज पर फोकस करने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Sleeping Beauty Syndrome: स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम, जिसे क्लाइन-लेविन सिंड्रोम (Kleine-Levin Syndrome) के नाम से भी जाना जाता है, एक दुर्लभ और रहस्यमय न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। यह सिंड्रोम मुख्य रूप से किशोरावस्था में शुरू होता है और इसकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि इससे पीड़ित व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा नींद आती है।
कुछ मामलों में, व्यक्ति एक दिन में 20 घंटे तक सो सकता है, लेकिन फिर भी उसे नींद की गहरी इच्छा बनी रहती है। यह स्थिति न केवल शारीरिक रूप से थकाने वाली होती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी निजी जिंदगी पर काफी असर डालती है।
स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम के लक्षण (Sleeping Beauty Syndrome Symptoms)
स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम के मुख्य लक्षणों में जरूरत से ज्यादा नींद आना शामिल है, लेकिन यह सिंड्रोम केवल नींद तक ही सीमित नहीं है। इसके अन्य लक्षणों में मानसिक सुस्ती, भ्रम, चिड़चिड़ापन और व्यवहार में बदलाव भी शामिल हैं।
इससे जूझ रहे कुछ लोगों को भूख में इजाफा (हाइपरफेजिया) और यौन इच्छा में वृद्धि (हाइपरसेक्सुअलिटी) का एहसास भी हो सकता है। इसके अलावा, पेशेंट अक्सर सोशल एक्टिविटीज से दूर हो जाते हैं और उनकी सोचने-समझने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है।
स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम का कारण (Sleeping Beauty Syndrome Causes)
स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम का सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि यह सिंड्रोम हाइपोथैलेमस और थैलेमस जैसे मस्तिष्क के हिस्सों में असामान्यताओं के कारण हो सकता है। ये हिस्से नींद, भूख और व्यवहार को कंट्रोल करते हैं। कुछ मामलों में, यह सिंड्रोम संक्रमण, चोट या तनाव के बाद शुरू होता है, जिससे यह संभावना बनती है कि यह इम्यून सिस्टम की असामान्य प्रतिक्रिया से जुड़ा हो सकता है।
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स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम का डायग्नोसिस (Diagnosis of Sleeping Beauty Syndrome)
स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम का डायग्नोसिस करना एक चैलेंजिंग काम है, क्योंकि इसके लक्षण अन्य नींद से जुड़े डिसऑर्डर या मेंटल हेल्थ की समस्याओं से मिलते-जुलते हो सकते हैं। डॉक्टर आमतौर पर रोगी के लक्षणों, मेडिकल हिस्ट्री और फिजिकल चेकअप के आधार पर डायग्नोज करते हैं। कुछ मामलों में, नींद की क्वालिटी और पैटर्न पर स्टडी करने के लिए पॉलीसोम्नोग्राफी जैसे टेस्ट भी किए जा सकते हैं।
स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम का इलाज (Treatment of Sleeping Beauty Syndrome)
स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, लेकिन कुछ ट्रीटमेंट ऑप्शन्स हैं जो लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। उत्तेजक दवाएं, जैसे कि मोडाफिनिल, जरूरत से ज्यादा नींद को कम करने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा, मूड स्टेबलाइजर्स और एंटीडिप्रेसेंट्स भी कुछ रोगियों में लक्षणों को कंट्रोल करने में मददगार हो सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि इलाज का अलर व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।
स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम का असर (Impact of Sleeping Beauty Syndrome)
स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति की जिंदगी काफी प्रभावित हो सकती है। जरूरत से ज्यादा नींद और अन्य लक्षणों के कारण, रोगी अक्सर स्कूल, काम और सोशल एक्टिविटीज में भाग लेने में असमर्थ हो जाते हैं। इससे उनके एजुकेशनल और प्रोफेशनल लाइफ पर बुरा पड़ सकता है। इसके अलावा, यह सिंड्रोम रोगी के परिवार और दोस्तों के लिए भी चैलेंजिंग हो सकता है, क्योंकि वे रोगी की स्थिति को समझने और उसका सामना करने की कोशिश करते हैं।
स्लीपिंग ब्यूटी सिंड्रोम के साथ जीवन जीना एक चैलेंजिंग एक्सपीरिएंस हो सकता है, लेकिन सही सपोर्ट और इलाज के साथ, व्यक्ति इस स्थिति को मैनेज कर सकता है। परिवार और दोस्तों का सपोर्ट, साथ ही मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स की मदद, बीमार व्यक्ति को इस सिंड्रोम के साथ बेहतर तरीके से जीने में मदद कर सकती है। इसके अलावा, व्यक्ति को नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और अपने लक्षणों को मॉनिटर करना चाहिए।
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Disclaimer: लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो, तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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