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    विज्ञानियों ने मस्तिष्क में भय पैदा करने वाले मार्ग का लगाया पता, अमेरिका स्थित साल्क इंस्टीट्यूट ने किया खुलासा

    By Babli KumariEdited By:
    Updated: Wed, 17 Aug 2022 04:02 PM (IST)

    साल्क इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक जैव रासायनिक मार्ग की खोज की है जो खतरनाक स्थलों ध्वनियों और गंधों को एक संदेश में जोड़ता है वह है डर। विज्ञानियों ने ऐसे मस्तिष्क मार्ग का पता लगाया है जो केंद्रीय अलार्म प्रणाली की तरह काम करता है।

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    अध्ययन से पता चलता है कि मस्तिष्क कैसे खतरे के संकेतों को भय में बदल देता है

    वाशिंगटन,एजेंसी। विज्ञानियों ने मस्तिष्क के एक जैव रासायनिक मार्ग का पता लगाया है, जो खतरनाक स्थलों, ध्वनियों व गंधों को एक संदेश में जोड़ते हुए भय पैदा करता है। अमेरिका स्थित साल्क इंस्टीट्यूट के विज्ञानियों ने हालिया अध्ययन में पाया कि सीजीआरपी नामक एक प्रोटीन मस्तिष्क के दो अलग-अलग हिस्सों में न्यूरांस को खतरनाक संवेदी संकेतों को समेकित संकेत में बदलने और नकारात्मक तौर पर चिन्हित करने की क्षमता प्रदान करता है। इसके बाद यह अमिगडाला तक पहुंचता है, जो सूचना को भय में परिवर्तित कर देता है। अमिगडाला मस्तिष्क का वह क्षेत्र है, जो मुख्य रूप से भावनात्मक प्रक्रियाओं से जुड़ा होता है।

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    अध्ययन निष्कर्ष सेल रिपो‌र्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। विज्ञानियों का दावा है कि यह अध्ययन पोस्ट-ट्रामैटिक स्ट्रेस डिसआर्डर (पीटीएसडी) या आटिज्म, माइग्रेन व फाइब्रोमायल्गिया जैसे भय से संबंधित अति संवेदनशील विकारों के इलाज की नई पद्धति के विकास में मददगार साबित हो सकता है।

    साल्क के क्लेटन फाउंडेशन लेबोरेटरीज फार पेप्टाइड बायोलाजी में सहायक प्रोफेसर व अध्ययन के वरिष्ठ लेखक सुंग हान के अनुसार, 'हमने जो मस्तिष्क मार्ग का पता लगाया है, वह केंद्रीय अलार्म प्रणाली की तरह काम करता है। हम यह जानकर उत्साहित हैं कि सीजीआरपी न्यूरांस सभी पांच इंद्रियों दृष्टि, ध्वनि, स्वाद, गंध व स्पर्श के कारण उत्पन्न नकारात्मक संवेदी संकेतों से सक्रिय होते हैं। यह खोज डर संबंधी बीमारियों के इलाज का नया रास्ता दिखाती है।' 

    टीम ने उनकी परिकल्पना का परीक्षण करने के लिए कई प्रयोग किए। उन्होंने मल्टीसेंसरी खतरे के संकेतों के साथ चूहों को पेश करते हुए सिंगल-सेल कैल्शियम इमेजिंग का उपयोग करते हुए सीजीआरपी न्यूरॉन गतिविधि को रिकॉर्ड किया, जिससे शोधकर्ताओं को यह पता लगाने में मदद मिली कि किस संवेदी तौर-तरीके में न्यूरॉन्स के सेट शामिल हैं। उन्होंने विभिन्न रंगीन फ्लोरोसेंट प्रोटीन का उपयोग करके थैलेमस और ब्रेनस्टेम को छोड़ने के बाद संकेतों के मार्ग का निर्धारण किया। और उन्होंने स्मृति और भय को मापने के लिए भी व्यवहार परीक्षण किए।