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    जानें क्‍या है सिजोफ्रेनिया के लक्षण और कारण, दवाओं व थेरेपी से रहेगा नियंत्रित

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Tue, 16 Aug 2022 06:21 PM (IST)

    Schizophrenia News नई दिल्ली के मनोरोग के वरिष्ठ सलाहकार डा. संजय चुघ ने बताया कि पर्यावरणीय कारक आनुवंशिकता व कुछ न्यूरोलाजिकल कारणों से होता है सिजोफ्रेनिया। दवाओं व थेरेपी से इस पर पाया जा सकता है नियंत्रण। योग और मेडीटेशन इस बीमारी नियंत्रित करने में मदद करता है।

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    Schizophrenia News: मानसिक स्थिति और लक्षणों का मूल्यांकन कर उपचार करते हैं।

    लालजी बाजपेयी। सिजोफ्रेनिया एक मनोरोग है। इससे पीडि़त व्यक्ति की सोच, समझ और व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। सिजोफ्रेनिया का रोगी बिना किसी वजह के हर बात व व्यक्ति पर शक करता और अपनी दुनिया में खोया रहता है। उसे ऐसी आवाजें सुनाई देती हैं, जो वास्तव में होती ही नहीं हैं। इसके अलावा उसे हमेशा यही लगता है कि कोई उसके खिलाफ साजिश कर रहा है या उसे गलत तरीके से किसी मामले में फंसाया जा रहा है। इस मानसिक बीमारी के कारण व्यक्ति को दूसरों की अच्छी बात या सलाह झूठ लगती है। रोगी को कितना भी समझाया जाए कि वह मानसिक बीमारी से पीडित है, लेकिन वह इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं होता, क्योंकि उसे यह ज्ञान नहीं होता है कि वह मनोरोग से ग्रसित है। बीमारी बढने पर रोगी को यह भी लगता है कि उस पर किसी ने जादू-टोना करा दिया है या उस पर किसी आत्मा का नियंत्रण है।

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    जागरूकता के अभाव में घर के सदस्य भी इसे बीमारी न मानकर झाड-फूक कराने लगते हैं। इससे रोगी की हालत और खराब हो जाती है। जबकि इसे दवाओं व थेरेपी से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके हर रोगी में लक्षण अलग तरह के हो सकते हैं। रोग की शुरुआत में ही यदि इसकी पहचान हो जाए और उपचार मिले तो रोग में काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। अधिसंख्य मामलों में ये बीमारी किशोरावस्था में ही हो जाती है और धीरे-धीरे पीडि़त हर बात और हर व्यक्ति पर शक करने लगता है। स्थिति बिगडने पर रोगी अपने ही लोगों से दूरी बनाने लगता है और अकेले में खुद को सुरक्षित समझता है।

    कारण

    शोधों के अनुसार, इस बीमारी की कोई एक वजह नहीं है। पर्यावरणीय कारक व आनुवंशिकता के साथ ही कुछ न्यूरोलाजिकल स्थिति को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके अधिसंख्य मामलों में पूर्व या वर्तमान में परिवार के सदस्य इससे पीडित होते हैं। किसी भी तरह का नशा न करने वालों की तुलना में नशा करने वाले व्यक्ति के इससे पीडित होने की आशंका छह गुना तक बढ जाती है।

    लक्षण

    • ऐसी बातें करना जिनके बारे में कोई समझ न हो
    • अकेले में रहना पसंद करना
    • भीड या सार्वजनिक जगहों में कार्यक्षमता खो देना
    • थोडी-थोडी देर में मूड बदलना, अवसाद के लक्षण दिखना
    • शरीरिक सक्रियता प्रभावित होना और सुस्त रहना
    • भ्रम की स्थिति में रहना और अजीब चीजें महसूस करना, जबकि इसमें कुछ भी सच नहीं होता
    • हालात के हिसाब से भावनाओं, मनोदशा और अपनी भूमिका को न समझ पाना
    • जीवन के प्रति निराशा का भाव रखना

    उपचार

    सिजोफ्रेनिया की बीमारी को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन समय पर पहचान होने पर दवाओं व व्यावहारिक थेरेपी से इसे नियंत्रित अवश्य किया जा सकता है। नशे के सेवन को बंदकर व तनाव से दूर रहकर भी इसमें बहुत राहत पाई जा सकती है। इसका कोई सटीक मेडिकल टेस्ट नहीं है। इसलिए चिकित्सक रोगी की केस हिस्ट्री, मानसिक स्थिति और लक्षणों का मूल्यांकन कर उपचार करते हैं। योग, मेडीटेशन और परिवार का सहयोग भी इस बीमारी नियंत्रित करने में मदद करता है।

    डा. संजय चुघ