एक्सरसाइज करते हुए क्या है सांस लेने का सही तरीका? यहां जानें वर्कआउट के लिए सही ब्रीदिंग टेक्निक
एक्सरसाइज करते वक्त हम सारी बातों पर ध्यान देते हैं लेकिन ब्रीदिंग तकनीक के बारे में भूल जाते हैं। लेकिन कुछ इन्फ्लुएंशर्स का दावा है कि सांस लेने का सही तरीका (Right Way to Breathe) वर्कआउट बेहतर बनाता है। अगर आप भी अपने वर्कआउट सेशन को बेहतर बनाना चाहते हैं तो आइए जानें सांस लेने का सही तरीका क्या है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब हम वर्कआउट करने जाते हैं तो मन कई तरह के सवाल होते हैं, जैसे कौन-सी एक्सरसाइज करें, कितनी तेजी से करें, कितना वजन उठाएं आदि, लेकिन इसमें सांस लेने की बात (Correct Breathing Technique for Workout) सबसे नीचे रह जाती है।
जब आप मुश्किल एक्सरसाइज करने लगते हैं, तो स्वाभाविक तौर पर आपका शरीर ज्यादा कार्बन डाइआक्साइड रिलीज करता है और इसे बाहर निकालने के लिए आप तेजी से सांस लेने लगते हैं और ज्यादा आक्सीजन लेने की कोशिश करते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि जरूरत और प्रयास के अनुरूप शरीर को सांस घटाना और बढ़ाना चाहिए। हालांकि, शोध से पता चलता है कि डायफ्रामिक ब्रीदिंग जैसी तकनीक एरोबिक या इंटेंस एनारोबिक के दौरान सहायक होती हैं। कसरत करते हुए छोटी और उथली सांस लेने से बचना चाहिए, ताकि पर्याप्त आक्सीजन मिलती रहे।
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एरोबिक वर्कआउट के समय पेट से सांस लेना बेहतर
व्यायाम को बेहतर बनाने के लिए आप डायफ्रामिक या पेट से सांस लेने का प्रयास कर सकते हैं। दरअसल, डायफ्राम फेफड़ों के आधार पर स्थित मांसपेशी होती है। वहीं पेट से सांस लेने से आपके शरीर में अधिक आक्सीजन पहुंचती है। अगर पता नहीं है कि, तो मगरमच्छ की तरह सांस लेने का अभ्यास कर सकते हैं।
इसके लिए फर्श पर पेट के बल लेट जाएं और हाथों को माथे के नीचे रखें। जब आप सांस लेते हैं कि पेट फर्श से दबता है, इससे पीठे के निचले हिस्से और पसलियों में फैलाव होता है। पेट से सांस लेने के दौरान भी कुछ ऐसा ही होता है। इसके बाद प्रतिदिन कुछ समय के लिए इस तरीके से सांस लेने का अभ्यास कर सकते हैं।
रिसर्च बताते हैं कि डायफ्रामिक श्वसन से व्यायाम में भले ही तीन से पांच प्रतिशत का सुधार दिखे, लेकिन इससे अन्य सकारात्मक स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, जैसे रक्तचाप को कम करने आराम के समय हार्टरेट को कम करने में मदद मिलती है।
सुधार के लिए लय बदलें
वर्कआउट के बाद बाक्स ब्रीदिंग कर सकते हैं, जिसमें चार सेकंड के लिए सांस अंदर लें, उसे थोड़ी देर रोकें और फिर चार सेकंड तक बाहर छोड़ें। दूसरा तरीका है सांस लेने के मुकाबले उसे देर तक छोड़ें। जब सांस लेते हैं तो हृदय गति तेज होती है और छोड़ते हैं तो धीमी।
इसे बहुत मुश्किल मत बनाइए
वर्षों से कुछ वेलनेस इन्फ्लुएंशर्स दावा करते हैं कि नाक से सांस लेने से कसरत बेहतर होती है। नाक से लेने से अस्थमा वाले लोगों को कुछ लाभ मिल सकता है, क्योंकि नाक और फिर फेफड़े में जाने के दौरान हवाइससे थोड़ी गर्म और आद्र हो जाती है। हालांकि, यह व्यायाम को कैसा सुधारता है, इस पर अधिक शोध करने के जरूरत है। आप जितना तीव्र व्यायाम करेंगे, नाक से सांस लेना उतना ही मुश्किल होता जाएगा।
अगर दौड़ते या तेजी से कसरत करते हुए नाक से सांस लेने की कोशिश करेंगे तो एयर हैंगर का आभास होता है। आपकी छाती जकड़ जाती है और सांस लेने के लिए आप हांफने लगते हैं। नाक से सांस लेने के अलावा, कुछप्रशिक्षक दौड़ते समय विशिष्ट श्वास गति की सलाह देते हैं, जैसे तीन कदम तक सांस लेना और दो कदम तक सांस छोड़ना। हालांकि, शोध बताते हैं कि दौड़ते समय सामान्य तरीके सांस लेना ही सबसे बेहतर है। आपका शरीर प्रायः पहले से ही गति के साथ सांस को समन्वयित कर लेता है।
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