Pulmonary Hypertension: गंभीर रूप ले सकती है पल्मोनरी हाइपरटेंशन की समस्या, एक्सपर्ट से जानें इससे जुड़ी बातें
Pulmonary Hypertension पल्मोनरी हाइपरटेंशन एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसका समय रहते इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। तो चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं पल्मोनरी हाइपरटेंशन से जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में-
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Pulmonary Hypertension: इन दिनों हमारी लगातार बिगड़ती लाइफस्टाइल की वजह से लोग कई तरह की समस्याओं का शिकार होते जा रहे हैं। डायबिटीज, बीपी जैसी समस्याएं इन दिनों काफी आम हो चुकी है। पल्मोनरी हाइपरटेंशन इन्हीं समस्याओं में से एक है, जिसे लेकर की गई जरा सी लापरवाही हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। हालांकि, अगर समय रहते इसके लक्षणों की पहचान की जाए, तो इसे दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है। पल्मोनरी हाइपरटेंशन के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने नई दिल्ली, ओखला रोड स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर, पिडियाट्रिक कार्डियोलॉजी डॉ आशुतोष मरवाह से बात की।
पल्मोनेरी हाइपरटेंशन क्या है?
पल्मोनेरी हाइपरटेंशन (PH) उस स्थिति को कहते हैं, जिसमें फेफड़ों और हृदय के बीच ब्लड प्रेशर असामान्य हो जाता है। ऐसे में अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। यह स्थिति बिना किसी कारण के होती है। लेकिन आमतौर पर यह बीमारी अन्य कई रोगों की वजह से भी सकती है, इन बीमारियों में निम्न शामिल हैं-
- जन्मजात हृदय रोग
- लंग कंडीशन (सीओपीडी) या क्लॉटिंग डिसॉर्डर
- थ्रोम्बोएंबॉलिज़्म (जो कि पल्मोनेरी आर्टरी में फैल चुका हो)
- सिकल सैल रोग
- वायरल इंफेक्शन (हेपेटाइटिस सी)
पल्मोनेरी हाइपरटेंशन के लक्षण-
बात करें पल्मोनेरी हाइपरटेंशन के लक्षणों के बारे में, तो इन समस्या में पीड़ित में आमतौर पर अकारण थकान महसूस होना, बेहोशी आना, सीने में दर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं। वहीं, बात करें पल्मोनेरी हाइपरटेंशन के रिस्क फैक्टर की, तो इस बीमारी का अधिक खतरा मोटापा, क्रोनिक लंग कंडिशन तथा ड्रग्स का अत्यधिक सेवन करने वाले लोगों को होता है।
किस उम्र में ज्यादा खतरा
पल्मोनेरी हाइपरटेंशन (PH) 30 से 60 वर्ष की उम्र के लोगों में ज्यादा होता है। पल्मोनेरी आर्टरी हाइपरटेंशन (PAH) का एक मुख्य कारण इडियोपैथिक PAH भी है, जो आमतौर पर युवा वयस्कों में ज्यादा सामान्य है। इस समस्या की वजह से व्यक्ति में हृदय के दाएं भाग का आकार बढ़ना, खून के थक्के जमना, एरिथमिया, फेफड़ों में रक्तस्राव हो सकता है।
पल्मोनेरी हाइपरटेंशन का पता कैसे लगाए
पल्मोनेरी हाइपरटेंशन का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट किए जाते हैं, जिसकी मदद से आसानी से इसका पता लगाया जाए। पल्मोनेरी हाइपरटेंशन के लिए होने वाली जांच में ब्लड टैस्ट, इको, सीटी चैस्ट, पीएफटी, यूएसजी एब्डोमेन आदि प्रमुख हैं।
पल्मोनेरी हाइपरटेंशन का इलाज
पल्मोनेरी हाइपरटेंशन का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए इसके लक्षणों के मुताबिक उपचार किया जा सकता है। उदाहरण के लिए थ्रोम्बॉसिस में ब्लड थिनर्स का प्रयोग किया जाता है। हेपेटाइटिस सी होने पर एंटीवायरल्स का प्रयोग, मोटापे से ग्रस्त लोगों का वज़न कम करने पर ज़ोर दिया जाता है और इसी तरह सिल्डेनाफिल, बोसेंटेन में इन्हेलर प्रोस्टानॉइड्स का प्रयोग किया जाता है।
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