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    Dengue Fever: डेंगू से बचाव और सतर्कता ही है इसका सबसे बड़ा उपाय

    By Jagran NewsEdited By: Ruhee Parvez
    Updated: Tue, 09 May 2023 04:07 PM (IST)

    Dengue Fever हर साल बारिश होने पर डेंगू का प्रकोप बढ़ता है। जिसकी चपेट में देश के कई राज्य आते हैं। डेंगू का समय पर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप भी ...और पढ़ें

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    Dengue Fever: क्या है डेंगू और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए?

    नई दिल्ली। Dengue Fever: भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) के ताजा अध्ययन के अनुसार हाल के वर्षों में देश में डेंगू बुखार के लिए जिम्मेदार वायरस का फैलाव बढ़ा है। हाल में देश के कई इलाकों में लगातार हुई बारिश ने इस मच्छरजनित बीमारी की आशंका बढ़ा दी है। इस संदर्भ में जानते हैं डेंगू के कारणों, सुरक्षा और बचाव के बारे में..

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    क्या है डेंगू

    डेंगू एक प्रकार का वायरल संक्रमण है, जिसके चार अलग-अलग स्ट्रेन होते हैं। इस बीमारी को ब्रेक बोन फीवर भी कहा जाता है। यह मच्छरों के जरिये इंसानों में फैलता है। जब किसी डेंगू मरीज को मच्छर काटता है, तो वायरस उसकी आंतों में पहुंच जाता है और वहां उसका म्यूटेशन होने लगता है। अधिक संख्या हो जाने पर वायरस उसकी सलायवरी ग्लैंड यानी लार में आ जाता है। इसके बाद जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वह भी डेंगू संक्रमित हो जाता है यानी डेंगू एक मरीज से मच्छर में और फिर मच्छर से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है।

    हर साल अलग-अलग स्ट्रेन

    हर साल सामने आने वाले डेंगू के संक्रमण में स्ट्रेन अलग-अलग होते हैं। किसी वर्ष डेंगू का प्रकोप बढ़ जाता है, तो कई वर्षों तक संक्रमण का असर कम रहता है। चारों स्ट्रेन में डेंगू-2 अधिक खतरनाक है। हालांकि, सभी स्ट्रेन के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं, लेकिन कुछ संक्रमण गंभीर हो जाते हैं। डेंगू के कारक एडीज एजिप्टिआइ मच्छर आमतौर पर गर्म इलाकों में पाए जाते हैं। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के चलते इस तरह के मच्छर बढ़ रहे हैं।

    सिरोटाइप-2 से अधिक जोखिम

    डेंगू में सिरोटाइप-2 वायरस का संक्रमण अधिक खतरनाक होता है। इसमें बुखार के साथ-साथ मस्तिष्क आघात होने का भी जोखिम रहता है। अभी तक यह वायरस अफ्रीका और एशिया के कुछ देशों में पाया जाता था। लेकिन अब औसत तापमान में लगातार वृद्धि होने और अलग-अलग देशों में आवाजाही बढ़ने से मच्छरों की उत्पत्ति और प्रसार बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, डेंगू का प्रभाव 100 से अधिक देशों में है। अगर किसी को एक बार डेंगू का संक्रमण हो चुका है और अगले साल उसे दोबारा संक्रमण होता है, तो उसके लिए यह अधिक जोखिम भरा हो सकता है।

    क्यों बढ़ने लगे हैं डेंगू के मामले

    आमतौर पर मानसून के मौसम में बारिश होने के बाद डेंगू का संक्रमण तेजी से फैलता है, लेकिन इस वर्ष गर्मी की शुरुआत में ही देश के अलग-अलग हिस्सों में बारिश होने से मच्छरजनित बीमारियों की आशंका बढ़ गई है। इस क्रम में डेंगू के मामले भी आने लगे हैं।

    डेंगू के सामान्य लक्षण

    • तेज बुखार के सिरदर्द
    • आंखों के पीछे दर्द महसूस होना
    • उल्टी और मिचली
    • जितने लोगों को डेंगू के मच्छर काटते हैं, उनमें से केवल 10 प्रतिशत लोगों में ही लक्षण दिखते हैं। बाकी में कोई खास लक्षण नहीं दिखते। कुछ लोग स्वतः ठीक हो जाते हैं, उन्हें कोई खास तकलीफ नहीं होती। कुछ लोगों को ही गंभीर प्रकार का डेंगू होता है।

    इन बातों का रखें ध्यान

    • यह दिन में काटने वाला मच्छर है और साफ पानी में ही पनपता है।
    • मच्छरों से बचने के लिए रिपेलेंट पिकारिडीन सुरक्षित है और बच्चों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • दिन के समय में रिपेलेंट का इस्तेमाल करें। क्वाइल और वेपराइजर को दिन के समय में चलाकर रखें, ताकि मच्छर ना आएं।
    • मच्छर से बचने के लिए पूरी बांह के कपड़ें पहनें, शरीर को ढककर रखें।
    • खुले इलाकों, खासकर पेड़-पौधों और नमी वाली जगह पर शरीर को ढके रहें।
    • घर में गमलों, कूलर में, फ्रिज के नीचे पानी इकट्ठा ना होने दें।

    संक्रमण हो जाए तो क्या करें

    • शरीर में पानी की कमी ना होने दें।
    • डेंगू में कोई विशेष दवाई नहीं है, इसमें आराम जरूरी है।
    • बुखार कम करने के लिए पैरासिटामोल का प्रयोग किया जाता है।
    • किसी तरह के पेनकिलर- एस्पिरीन या आइब्रोफेन जैसी दवाओं के सेवन से बचें। इससे प्लेटलेट टूटकर ब्लीडिंग होने का खतरा रहता है।
    • डिहाइड्रेशन रोकने के लिए नींबू पानी, नारियल पानी का इस्तेमाल करें।

    इन लक्षणों पर अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत

    • उलटी न रुकने
    • पेट में तेज दर्द
    • सांस लेने में तकलीफ
    • दांतों से खून निकलने पर
    • खाने-पीने में समस्या
    • हाथ-पांव ठंडे पड़ जाने पर

    कब होती है प्लेटलेट्स की जरूरत

    सभी मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती। अगर किसी मरीज को रक्तस्राव हो रहा है या प्लेटलेट्स की मात्रा बहुत कम हो गई है, तो इसमें ब्लडबैंक से लाकर प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है। बचाव उपाय के तौर पर डेंगू में प्लेटलेट्स नहीं चढ़ाना चाहिए, इसके अलग तरह के दुष्प्रभाव होते हैं। ज्यादातर लोग स्वतः ही इस बीमारी से उबर जाते हैं।

    खाने-पीने में रखें सावधानी

    • घर का बना साफ-सुथरा और ताजा भोजन ही करें।
    • पानी पर्याप्त मात्रा लें, लेकिन जबरदस्ती पानी न पीएं, इससे उल्टी हो सकती है।
    • पपीते के पत्ते और बकरी के दूध जैसे कथित उपायों के चक्कर में न पड़ें, इनकी डेंगू से बचाने में कोई भूमिका नहीं है।
    • यह वायरल संक्रमण है, कुछ दिन शरीर में रहने के बाद स्वतः ठीक हो जाता है।
    • घरेलू नुस्खों से तबीयत और खराब हो सकती है, इससे बचें।
    • डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।

    (डॉ. मोनिका महाजन, डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली)

    बातचीत : ब्रह्मानंद मिश्र