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    ज्यादा उम्र में भी मां बनना हो सकता है आसान! साइंस ने दिखाया उम्मीद का नया रास्ता

    जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है खासकर 35 के बाद महिलाओं में एग्स की क्वालिटी और काउंट कम होने लगते हैं। इसका सीधा असर गर्भधारण की संभावना पर पड़ता है और मिसकैरेज या क्रोमोसोमल असामान्यता का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में अक्सर एक सवाल मन में आता है क्या ज्यादा उम्र में मां बनना सुरक्षित है? आइए एक नई स्टडी के जरिए इसका जवाब जानते हैं।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 26 Aug 2025 11:24 AM (IST)
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    क्या PGT-A टेस्ट से आसान होगी 35+ महिलाओं की प्रेग्नेंसी की राह? (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के दौर में करियर, आर्थिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के कारण कई महिलाएं 30 की उम्र पार करने के बाद परिवार शुरू करना पसंद करती हैं, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, खासकर 35 साल के बाद, मां बनने की राह थोड़ी मुश्किल हो जाती है। डॉक्टर बताते हैं कि इस उम्र में भ्रूण (Embryo) के क्रोमोसोम्स में गड़बड़ी होने की संभावना ज्यादा रहती है। यही कारण है कि प्रेग्नेंसी में कठिनाई, बार-बार अबॉर्शन और सक्सेसफुल डिलीवरी न होने की स्थिति बढ़ सकती है।

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    हालांकि, मेडिकल साइंस की तरक्की ने इस चुनौती को काफी हद तक आसान कर दिया है। हाल ही में हुई एक स्टडी ने दिखाया है कि प्रीइम्पलांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT-A) नामक तकनीक उम्रदराज महिलाओं के लिए उम्मीद की नई किरण बन सकती है।

    क्या है PGT-A टेस्ट?

    जब कोई महिला आईवीएफ (In-Vitro Fertilization) के जरिए मां बनने की कोशिश करती है, तो भ्रूण को लैब में तैयार किया जाता है। PGT-A टेस्ट के जरिए उन भ्रूणों की जांच की जाती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनमें क्रोमोसोम्स की कोई असामान्यता तो नहीं है।

    क्रोमोसोम्स की गड़बड़ी अक्सर गर्भपात या असफल गर्भधारण का कारण बनती है। ऐसे में अगर डॉक्टर पहले से ही सही भ्रूण चुन लेते हैं, तो प्रेग्नेंसी की संभावना काफी बढ़ जाती है।

    35 से 42 साल की महिलाओं पर रिसर्च

    लंदन के किंग्स कॉलेज के शोधकर्ताओं ने 35 से 42 वर्ष की उम्र की महिलाओं पर एक महत्वपूर्ण परीक्षण किया। यह अपनी तरह का पहला रैंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल था, जिसमें 100 महिलाओं को शामिल किया गया।

    इन महिलाओं को दो ग्रुप में बांटा गया:

    • पहले समूह में IVF से बने भ्रूणों पर PGT-A टेस्ट किया गया।
    • दूसरे समूह में बिना किसी परीक्षण के भ्रूण स्थानांतरित किए गए।

    क्या रहे रिजल्ट?

    स्टडी से सामने आया कि PGT-A टेस्ट कराने वाली महिलाओं में जीवित जन्म दर (Live Birth Rate) ज्यादा रही।

    • PGT-A ग्रुप में यह दर 72% थी।
    • वहीं, नॉर्मल ग्रुप में सिर्फ 52% महिलाएं सफलतापूर्वक बच्चे को जन्म दे पाईं।

    साथ ही, जिन महिलाओं ने PGT-A का इस्तेमाल किया, उन्हें कम बार भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer) कराना पड़ा और गर्भधारण का समय भी घट गया। इसका मतलब है कि यह प्रक्रिया न सिर्फ सफलता की संभावना बढ़ाती है बल्कि महिलाओं को लंबे इंतजार से भी राहत देती है।

    क्यों खास है यह स्टडी?

    इससे पहले तक ज्यादा उम्र में मां बनने की कोशिश करने वाली महिलाओं पर इस तरह के ठोस सबूत मौजूद नहीं थे। यह पायलट अध्ययन उस कमी को पूरा करता है और यह संकेत देता है कि उम्रदराज महिलाओं में IVF की सफलता बढ़ाने के लिए PGT-A तकनीक बेहद मददगार हो सकती है।

    हालांकि, शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि इन नतीजों को और मजबूत बनाने के लिए बड़े स्तर पर और अलग-अलग केंद्रों पर अध्ययन करना जरूरी है।

    बढ़ती उम्र और मदरहुड

    आज समाज में यह आम हो गया है कि महिलाएं पहले करियर और स्थिरता पर ध्यान देती हैं और उसके बाद मदरहुड की ओर कदम बढ़ाती हैं, लेकिन इसके साथ आने वाली बायोलॉजिकल चैलेंजिस को इग्नोर नहीं किया जा सकता।

    उम्मीद की नई राह

    PGT-A टेस्ट से जुड़े शुरुआती रिजल्ट्स बताते हैं कि यह तकनीक उन महिलाओं के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है जो उम्र बढ़ने के बावजूद मां बनने का सपना देखती हैं।

    भले ही अभी बड़े अध्ययनों की जरूरत है, लेकिन इस तकनीक ने यह साबित कर दिया है कि सही भ्रूण का चयन प्रेग्नेंसी की राह को आसान जरूर बना सकता है। जी हां, 35 साल से ज्यादा उम्र में मां बनना भले ही पहले चैलेंजिंग लगता था, लेकिन आज साइंस की मदद से यह सपना भी हकीकत में बदला जा सकता है। PGT-A जैसी तकनीकें न सिर्फ मदरहुड की राह को आसान बनाती हैं बल्कि उन महिलाओं को भी मानसिक सुकून देती हैं, जो बार-बार असफल गर्भधारण से गुजरती हैं।

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    इनपुट- आइएएनएस