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    सिर्फ याददाश्त की बीमारी नहीं है अल्जाइमर! देखने-समझने की शक्ति छीन लेता है इसका यह दुर्लभ रूप

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 03:20 PM (IST)

    अल्जाइमर को लोग अक्सर केवल याददाश्त की बीमारी मानते हैं लेकिन PCA जैसे इसके दुर्लभ रूप बताते हैं कि यह बीमारी देखने पढ़ने और पहचानने की क्षमता पर भी असर डाल सकती है। शुरुआती पहचान ही इसका सबसे मजबूत इलाज है। साथ ही यह बीमारी हमें यह भी सिखाती है कि दिमाग के भीतर कितनी छिपी संभावनाएं मौजूद होती हैं जिन्हें हम अक्सर नहीं पहचान पाते।

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    सिर्फ याददाश्त ही नहीं, आपकी नजर भी छीन सकता है अल्जाइमर (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब कोई बुजुर्ग अचानक अखबार पढ़ते हुए शब्द पहचान न पाए या घर की जानी-पहचानी चीजों को देखकर उलझन में पड़ जाए, तो अक्सर परिवार को लगता है कि समस्या आंखों में है। लोग तुरंत आई स्पेशलिस्ट के पास पहुंच जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह हमेशा आंखों की कमजोरी नहीं होती है?

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    जी हां, कई बार इसके पीछे दिमाग से जुड़ी एक दुर्लभ बीमारी होती है, जिसे पोस्टीरियर कॉर्टिकल एट्रोफी (Posterior Cortical Atrophy- PCA) कहते हैं। आइए, 21 सितंबर को मनाए जा रहे World Alzheimer's Day के मौके पर डॉ. संजय पांडे (हेड ऑफ न्यूरोलॉजी एंड स्ट्रोक मेडिसिन, अमृता अस्पताल, फरीदाबाद) से इस विषय के बारे में समझते हैं।

    आंखें ठीक, मगर दिमाग नहीं

    PCA दरअसल अल्जाइमर का एक असामान्य रूप है। इसमें दिमाग का पिछला हिस्सा प्रभावित होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति की देखने और पहचानने की क्षमता कमजोर होने लगती है। हैरानी की बात यह है कि आंखें पूरी तरह से हेल्दी रहती हैं, लेकिन दिमाग उन्हें सही तरह से काम करने नहीं देता।

    स्टडी से मिली चौंकाने वाली जानकारी

    Neurology जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन बताता है कि ऐसे मरीजों को सही निदान मिलने में औसतन तीन से चार साल लग जाते हैं। ज्यादातर लोग शुरुआत में नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास जाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि परेशानी आंखों में है, लेकिन असल में यह समस्या मस्तिष्क की होती है।

    एक दिलचस्प केस स्टडी में सामने आया कि 82 वर्षीय महिला, जिन्हें अल्जाइमर की शुरुआती समस्या थी, अचानक पेंटिंग करने लगीं। जीवनभर कभी कला से न जुड़ी इस महिला की यह “नई शुरुआत” वैज्ञानिकों के लिए हैरान करने वाली थी। विशेषज्ञ मानते हैं कि कभी-कभी दिमाग में होने वाले बदलाव छिपी हुई रचनात्मक क्षमताओं को भी सामने ला देते हैं।

    लक्षण जिन्हें नजरअंदाज न करें

    • अचानक पढ़ने या लिखने में कठिनाई होना
    • परिचित वस्तुओं को पहचानने में समस्या
    • आंखों की जांच सामान्य आने के बावजूद दृष्टि संबंधी दिक्कत बने रहना
    • रोजमर्रा के काम करते समय दृश्य भ्रम महसूस होना

    अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो इसे केवल “बुढ़ापे की निशानी” मानकर न टालें।

    डॉक्टरों की सलाह

    विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में केवल आंखों की जांच तक सीमित न रहें। तुरंत किसी न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लेना जरूरी है। जितनी जल्दी सही कारण सामने आएगा, उतनी जल्दी इलाज की दिशा तय हो पाएगी।

    परिवार की भूमिका भी है अहम

    मरीज को पॉजिटिव एक्टिविटीज में शामिल करें। अगर उन्हें अचानक पेंटिंग, संगीत या लेखन में रुचि हो तो उन्हें प्रोत्साहित करें। इससे न केवल मानसिक सुकून मिलेगा बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर हो सकती है।