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    जटिल समस्या बन सकता है पैंक्रियाटाइटिस

    पाचन संबंधी एंजाइम के साथ ही इंसुलिन का उत्पादन करता पैंक्रियाज है। खानपान की अनियमितता से इसमें सूजन आती है तो इसे पैंक्रियाटाइटिस कहते हैं। इस स्वास्थ्य समस्या के उपचार के बारे में बता रहे हैं डा. सोमनाथ चट्टोपाध्याय कंसलटेंट एंड हेड आफ डिपार्टमेंट लिवर कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल मुंबई

    By Keerti SinghEdited By: Updated: Tue, 01 Nov 2022 07:35 PM (IST)
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    पाचन संबंधी समस्याओं को ना करें नजरअंदाज

     पैंक्रियाज या अग्नाशय पेट के पिछले हिस्से में छोटी आंत के पास पायी जाने वाली एक ग्रंथि है। इससे पाचन संबंधी एंजाइम के साथ ही इंसुलिन का उत्पादन होता है। जब खानपान की अनियमितता से पैंक्रियाज में सूजन आती है तो इसे पैंक्रियाटाइटिस कहते हैं। इसमें सूजन के साथ अल्सर की समस्या भी हो सकती है। इससे पैंक्रियाज की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और रोगी को पेट से लेकर पीठ तक दर्द, बुखार आना, खाना खाने के बाद पेट में तेज दर्द और उल्टी की समस्या होती है। लक्षणों और परेशानी के आधार पर पैंक्रियाटाइटिस को दो भागों में बांटा गया है। एक है एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस और दूसरा क्रानिक पैंक्रियाटाइटिस।

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    एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस

    इसकी शुरुआत अचानक से होती है और यह स्थिति लंबे समय तक बनी रह सकती है। जबकि क्रानिक पैंक्रियाटाइटिस में कई सालों तक धीरे-धीरे पैंक्रियाज को नुकसान होता है। एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के लक्षणों में बुखार, उल्टी, और पीठ से पेट तक दर्द की परेशानी शामिल हैं। इसके लगभग 25 प्रतिशत रोगियों में लक्षण इतने गंभीर हो जाते हैं कि रोगी को आइसीयू में रखकर उपचार देना पड़ता है। इसलिए समस्या होने पर उपचार में देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कई बार ये जीवन के लिए खतरा बन सकता है। एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के कई कारक हैं, लेकिन पित्त की पथरी और अल्कोहल के सेवन को इसका प्रमुख कारण माना जाता है। अधिसंख्य मामलों में इसे इंजेक्शन व दवाओं से ठीक कर लिया जाता है। कई बार स्थिति जटिल होने पर चिकित्सक मेडिकल ट्रीटमेंट विफल होने पर सर्जरी का विकल्प अपनाते हैं। इसमें एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस की समस्या दोबारा न हो इसके लिए पित्ताशय की थैली को निकाल देते हैं।

    क्रानिक पैंक्रियाटाइटिस

    इसके होने का प्रमुख कारण अल्कोहल व धूमपान का अधिक सेवन है। इससे ग्रसित लोगों में वजन का गिरना, पेट दर्द, डायबिटीज मेलिटस और उल्टी महसूस होने की समस्या होती है। अगर क्रानिक पैंक्रियाटाइटिस का गंभीर मामला है तो मरीज को लंबे समय तक चिकित्सकीय देखभाल में रहना पडता है। चिकित्सक लक्षणों व जांच के आधार पर एंजाइम की खुराक, दर्द निवारक व मधुमेह की दवाओं का प्रयोग कर संक्रमण को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं। हालांकि इसके 40-70 प्रतिशत मरीजों में सर्जरी ही करनी पडती है। इससे पाचनतंत्र, मधुमेह और दर्द से राहत मिल जाती है।

    उपचार

    पैंक्रियाटाइटिस जटिल बीमारी है। इसके लक्षणों के आधार पर यह तय कर पाना मुश्किल होता है कि रोगी एक्यूट या क्रानिक पैंक्रियाटाइटिस से ग्रसित है। इसलिए उपचार में सीटी स्कैन, टोमोग्राफी, सीरम लाइपेज स्तर, की जांच की जाती है। इसके उपरांत चिकित्सक और सर्जरी विशेषज्ञ के समन्वय से उपचार पूरा किया जाता है। जिससे रोग की स्थिति के आधार पर दवाएं, इंजेक्शन और सर्जरी आदि का सही प्रयोग किया जा सके। इससे बचने के लिए अल्कोहल व धूमपान से परहेज के साथ ही पित्त में होने वाले किसी भी तरह के संक्रमण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।