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    अनियमित दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए थामें पेसमेकर का हाथ

    By Jagran NewsEdited By: Ruhee Parvez
    Updated: Wed, 12 Apr 2023 11:50 AM (IST)

    पेसमेकर बैटरी से चलने वाला एक छोटा उपकरण है जो दिल की धड़कन को नियमित लय में रखने में मदद करता है। पारंपरिक पेसमेकर के तीन भाग जनरेटर तार और सेंसर होते हैं। हालांकि कुछ नए पेसमेकर में वायरलेस भी होते हैं।

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    अनियमित दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए थामें पेसमेकर का हाथ

    नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। हृदय प्रणाली आपके शरीर के अंगों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करती हैं ताकि आपके अंग अपना काम सही से कर सकें। हृदय की गति को नियंत्रित करने के लिए हम सभी के हृदय में एक प्राकृतिक प्रणाली है। यह प्रणाली अगर खराब हो जाए तो दिल की धड़कन बहुत तेज, बहुत धीमी या अनियमित हो सकती है। ऐसे में एक डिवाइस आपकी इस समस्या को दूर कर सकता है, उस डिवाइस का नाम है पेसमेकर। आइए, जानते हैं कि इसकी जरूरत कब होती है, यह कैसे काम करता है और पेसमेकर के साथ क्या सावधानियां रखनी चाहिए?

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    पेसमेकर क्या है?

    पेसमेकर बैटरी से चलने वाला एक छोटा उपकरण है, जो दिल की धड़कन को नियमित लय में रखने में मदद करता है। पारंपरिक पेसमेकर के तीन भाग जनरेटर, तार और सेंसर होते हैं। हालांकि, कुछ नए पेसमेकर में वायरलेस भी होते हैं। यह कॉलरबोन के नीचे या कभी-कभी पेट क्षेत्र में छाती पर छोटे चीरे के माध्यम से त्वचा के नीचे लगाया जाता है। पेसमेकर छोटे तारों के जरिए दिल से जुड़ा होता है, जिनके माध्यम से विद्युत तरंगें हृदय में प्रवाहित होती हैं।

    पारंपरिक पेसमेकर के प्रकार

    1. सिंगल लीड पेसमेकर में दिल के निचले दायें खाने में रखे गये एक तार का उपयोग करते हैं।

    2. ड्युअल लीड पेसमेकर में एक तार ऊपरी दायें खाने में और एक तार निचले दायें खाने में होता है।

    3. बायवेंट्रिकुलर पेसमेकर में तीन तार होते हैं, उन्हें ऊपरी दायें, निचले दायें और निचले बायें खाने में रखा जाता है।

    पेसमेकर की जरूरत कब होती है?

    1. यदि धड़कन बहुत धीमी और अक्सर अनियमित होती है।

    2. धड़कन कभी-कभी सामान्य और कभी-कभी बहुत तेज या बहुत धीमी होती है।

    3. धड़कन की इस अनियमितता के साथ सांस फूलने, चक्कर आने या बेहोशी के लक्षण भी होते हैं।

    पेसमेकर को लेकर क्या सावधानियां बरतें?

    अस्पताल छोड़ने से पहले पेसमेकर कार्ड प्राप्त करें, जिसमें आपके पेसमेकर के बारे में पूरी जानकारी हो, जैसे इसे कब लगाया गया था, इसकी सेटिंग्स, आपके डॉक्टर का नाम और अस्पताल आदि। यह कार्ड हमेशा साथ रखना चाहिए।

    इसके अलावा दो से तीन सप्ताह के लिए भारी सामान उठाने (10 पाउंड से अधिक), धक्का देने, खींचने या घुमाने से बचें। इस बात का ध्यान दें कि जहां पेसमेकर लगाया गया था, वहां दबाव डालने से बचें। साथ ही, ऐसे कपड़े न पहनें जो चीरे पर रगड़ें। महिलाएं ब्रा के स्ट्रैप से बचाने के लिए चीरे के ऊपर एक छोटा पैड पहन सकती हैं। जिस तरफ पेसमेकर लगा था, उस तरफ वाला हाथ कुछ हफ्ते कंधे से ऊपर न उठाएं। कुछ हफ्तों तक ये सावधानियां आपको बरतनी होगी, उसके बाद जीवन सामान्य हो जाएगा। कार, बस यहां तक कि हवाई जहाज की यात्रा में भी कोई जोखिम नहीं है।

    आपके पास पेसमेकर है, इसकी जानकारी डॉक्टर, दंत चिकित्सक, नर्स, चिकित्सा तकनीशियन और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को जरूर बताएं। इसके अलावा मेटल डिटेक्टर द्वारा सुरक्षा जांच के वक्त सुरक्षाकर्मी को भी पेसमेकर के बारे में बताएं। ऐसी जगहों पर कभी-कभी पेसमेकर कार्ड जरूरी हो सकता है।

    पेसमेकर की जांच है जरूरी

    पेसमेकर या उसकी बैटरी सही तरह से काम कर रही है या नहीं, उसका पता लगाने के लिए समय-समय पर पेसमेकर चेकअप के लिए अपॉइंटमेंट जरूर लें। यह हर 6 महीने या एक साल में होता है। जरूरत पड़ने पर बैटरी बदलें। हालांकि, पेसमेकर की बैटरी 6 से 15 साल तक चलनी चाहिए।

    अपनी सेहत का ध्यान आपको खुद रखना होगा और लक्षण की पहचान करनी होगी। यदि सांस लेने में कठिनाई हो, सीने में दर्द हो, बेहोश होना या चक्कर आना, हिचकी है जो जा नहीं रही है, तो अपनी स्वास्थ्य देखभाल टीम से तुरंत संपर्क करें,

    मेदांता हॉस्पिटल, लखनऊ डॉ. गणेश सेठ कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, हार्ट इंस्टीट्यूट, लखनऊ

    अपॉइंटमेंट के लिए संपर्क करें

    0522-4505062

    लेखक- शक्ति सिंह

    Note:- यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।