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    कम उम्र में ही अच्छी आदतें बनाती हैं बच्चों के दांतों को हेल्दी, ऐसे रखें उनकी ओरल हेल्थ का ख्याल

    बच्चों में दांतों की सड़न बड़ों से ज्यादा होती है इसलिए छह महीने की उम्र से ही डेंटल हेल्थ की अच्छी आदतें डालनी जरूरी हैं। एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों के दांतों का इनामेल पतला होने के कारण उनमें सड़न का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में कम उम्र से ही अच्छी आदतें डालकर बच्चों के दांतों को स्वस्थ रखा जा सकता है।

    By Niharika Pandey Edited By: Niharika Pandey Updated: Fri, 09 May 2025 01:31 PM (IST)
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    बच्चों के दांतों की इस तरह से देखभाल (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चों में छह महीने की उम्र से ही डेंटल हेल्थ को लेकर अच्छी आदतें डालनी चाहिए। उनमें दांतों में सड़न होने का खतरा बड़ों से ज्यादा होता है। सही देखभाल और आदतों से उनकी दांतों की सुरक्षा समय रहते की जा सकती है। हमारी एक्सपर्ट से जानें उनकी सही डेंटल केयर कैसे की जा सकती है।

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    पेरेंट्स तो अक्सर ही अपने बच्चों को कोल्डड्रिंक या मीठा खाने पर रोकते-टोकते हैं। उन्हें यही फिक्र सताती रहती है कि कहीं उनके बच्चे दांत खराब न हो जाएं और ऐसा होता भी है। छोटे बच्चों को डेंटल प्रॉब्लम ज्यादा होती है और इसी बारे में बता रही हैं डेंटिस्ट डॉ.आस्था त्यागी-

    हर बच्चे को है दांत खराब होने का खतरा

    बच्चों के दांतों का इनामेल (दांत के ऊपर की मोटी परत) बड़ों की तुलना में काफी पतला और सॉफ्ट होता है। इस वजह से ही उनके दांतों में सड़न का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन सबसे अच्छी बात है कि बच्चों में दांतों की सड़न को आसानी से रोका जा सकता है।

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    इसलिए बचपन से ही जरूरी है केयर

    बेबी टीथ बच्चों को खाने और बोलने में मदद करते हैं। साथ ही वयस्क होने पर परमानेंट दांतों की पॉजिशन बनाने में भी काम आते हैं। इसलिए बचपन से बच्चों की दांतों का ज्यादा ख्याल रखना जरूरी है, ताकि बड़े होने पर भी उनके दांत हेल्दी रहें।

    छोटे बच्चों के दांतों में क्यों लगते हैं कीड़े

    मुंह में मौजूद बैक्टीरिया हमारे फूड आयटम में मौजूद शुगर पर ही पलते-बढ़ते हैं। ये बैक्टीरिया एसिड बनाते हैं, जिससे कि दांतों की बाहरी परत डैमेज हो जाती है। सलाइवा या लार इस डैमेज को ठीक करता है और हमारे दांतों को बचाता है। लेकिन इस दौरान बैक्टीरिया दांतों में सड़न पैदा कर देता है या उनमें होल हो जाते हैं।

    सामने के चार दांत होते हैं सबसे ज्यादा प्रभावित

    दांतों की सड़न की प्रक्रिया को ‘कैरीज’ कहा जाता है। इसके शुरूआती स्टेज में दांतों के ऊपर सफेद परत आने लगती है। इसके बाद के स्टेज में वो हिस्सा ब्राउन या ब्लैक हो जाता है। बच्चों के सामने के चार दांत सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसे नर्सिंग बोटल कैरी, बेबी बॉटल डिके भी कहा जाता है।

    इन नामों से पता चलता है कि जब बच्चे बोlल से दूध पीने की उम्र में होते हैं, वे इसे मुंह में ही रखकर सो जाते हैं। ऐसा होने पर दूध में मौजूद लेक्टोज शुगर बैक्टीरिया को पनपने का मौका देता है और उनके दांतों सड़न होने लगती है। नींद की स्थिति में सलाइवा भी कम बनता है और वो डैमेज से नहीं बचा पाता। अगर, बच्चे फ्रूट जूस, सॉफ्ट ड्रिंक पीते हैं तो उनके दांतों में सड़न का खतरा बढ़ जाता है।

    इस तरह बचाव करें

    • छोटे बच्चों में अगर खाने की हेल्दी आदत और दांतों की सफाई की आदत कम उम्र में डाल दी जाए, तो सड़न को समय रहते रोका जा सकता है। बच्चे को छह महीने की उम्र से ही कप से दूध पीने की आदत डालें और 12 महीने तक तो उन्हें सिर्फ कप से दूध पीना सिखाएं। बच्चे दो साल की उम्र तक लो फैट दूध पी सकते हैं। फ्रूट जूस में मौजूद हाई शुगर और एसिडिटी पैदा करने वाले तत्वों की वजह से बच्चों को इन्हें पीने की सलाह नहीं दी जाती।
    • छह महीने की उम्र से बच्चे सॉलिड फूड ले सकते हैं। उन्हें ज्यादा ढेर सारी वैराइटी और टेक्सचर वाली पौष्टिक चीजें खाने में दें।

    कैसे करें बच्चों के दांतों की सफाई

    • पहला दांत आते ही उसकी जल्द से जल्द सफाई शुरू कर दें। गीले मुलायम कपड़े या फिर पानी के साथ सॉफ्ट ब्रश की मदद से सफाई करें।
    • 18 महीने से 6 साल तक के बच्चे को मटर के दाने के बराबर मात्रा में लो-फ्लोराइड टूथपेस्ट को सॉफ्ट ब्रश पर लगाकर ब्रश करने दें।
    • 6 साल के बच्चे सामान्य फ्लोराइड वाले टूथपेस्ट के साथ कम मात्रा में पेस्ट से ब्रश कर सकते हैं।
    • आप जिस एरिया में रहते हैं, वहां पानी में फ्लोराइड की मात्रा कम हो तो अपने डेंटिस्ट से अपने बच्चे के लिए सही टूथपेस्ट सुझाने को कहें।
    • सुबह और रात को सोने से पहले दांतों को दो बार ब्रश कराएं।
    • बच्चों की ब्रशिंग में बड़े मदद करें, ताकि उनके दांतों की सफाई अच्छी तरह हो पाए।
    • दो साल की उम्र के बाद से बच्चों का डेंटल चेकअप कराएं।

    आपका बच्चा अभी भी बोटल से पी रहा है दूध

    • जैसे ही बच्चे की फीडिंग खत्म हो जाए उनके मुंह से बोटल या ब्रेस्ट हटा लें।
    • बच्चे को बोतल के साथ बेड पर न छोड़ें।
    • बच्चे की बोतल में कभी भी स्वीट ड्रिंक न डालें।

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