World Bipolar Day 2023: बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों से लेकर इलाज तक, जानें इन मानसिक रोग के बारे में सबकुछ!
World Bipolar Day 2023 बाइपोलर डिसऑर्डर एक तरह का मानसिक रोग है जिसमें व्यक्ति दो तरह के मूड से गुजरता है। कभी वह बेहद खुशी और एनर्जी से भरपूर महसूस करता है तो कभी अत्याधिक डिप्रेशन। इस डिसऑर्डर से जूझ रहे लोगों में आत्महत्या की दर काफी उच्च होती है।
नई दिल्ली, रूही परवेज़। World Bipolar Day 2023: वर्ल्ड बाइपोलर डे हर साल 30 मार्च को महान चित्रकार विन्सेंट वैन के जन्मदिन के मौके पर मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाइपोलर फाउंडेशन के अनुसार, विश्व बाइपोलर दिवस का लक्ष्य है दुनिया में इस बीमारी से जुड़े कलंक को खत्म करना। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, 150 में से हर एक व्यक्ति बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित है, जिसमें से 70 प्रतिशत का इलाज भी नहीं हो पाता है।
क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर
मनस्थली की संस्थापक-निदेशक और वरिष्ठ मनोचिकित्सक, डॉ. ज्योति कपूर ने बताया कि बाइपोलर डिसऑर्डर को पहले मैनिऐक डिप्रेशन के नाम से जाना जाता है। यह एक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी स्थिति है, जिसमें एक व्यक्ति का मूड, एनर्जी और काम करने की क्षमता में तेजी से बदलाव आता है। बाइपोलर परिवार में भी चल सकता है। अगर मां-बाप दोनों को बाइपोलर है, तो बच्चों में इस स्थिति के खतरा 40 प्रतिशत बढ़ जाता है। ट्रॉमा, तीव्र तनाव या फिर नशे की लत बाइपोलर का जोखिम बढ़ाते हैं। इसलिए अगर कोई भी इन रिस्क फैक्टर्स से गुजरा है और नींद न आना, आत्महत्या के ख्याल आना, अचानक वजन बढ़ना या कम होना जैसे लक्षण महसूस करता है, तो उसे फौरन हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए।
बाइपोलर डिसऑर्डर क्यों मनाया जाता है?
मनसा ग्लोबल फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्थ की फाउंडर और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता शर्मा ने बताया कि बाइपोलर कई लोगों के जीवन की एक सच्ची तस्वीर पेश करता है, जो जिंदगी में हर चीज को एक एक्सट्रीम में मानते हैं, यानी ब्लैक एंड व्हाइट। यही वजह है कि ब्लैक एंड वाइट धारियों वाले रिब्बन को वर्ल्ड बाइपोलर डे के सिम्बल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति में दो तरह के चरण देखे जाते हैं, डिप्रेशन और मेनिया। डिप्रेशन होने पर व्यक्ति दुखी हो जाता है और मेनिया में जरूरत से ज्यादा खुश। इस दिन को मनाकर हम लोगों को उनके परिवेश के बारे में जागरूक करते हैं और उन्हें इन दो चरम सीमाओं के बीच ग्रे देखने में मदद करते हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण क्या है?
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक डायरेक्टर, डॉ. शुचिन बजाज ने बताया कि बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जो मूड, एनर्जी और रोज की एक्टिविटी को प्रभावित करती है। इसमें व्यक्ति या तो जरूरत से ज्यादा खुशी महसूस करता है या तनाव। इसकी वजह से लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी और रिश्ते प्रभावित होते हैं।
मेनिऐक एपिसोड के दौरान, एक व्यक्ति बेहद खुश और एनर्जेटिक महसूस करता है, उसे नींद लेने की जरूरत महसूस नहीं होती और स्वभाव बेहद पॉजीटिव रहता है। इन लक्षणों की वजह से व्यक्ति बिना सोचे समझे ऐसे फैसले भी ले लेता है, जिससे वह मुसीबत में पड़ जाता है।
डिप्रेसिव एपिसोड के दौरान, एक व्यक्ति दुख, उदासी, निराशा, कम ऊर्जा, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, और उन गतिविधियों में रुचि की हानि का अनुभव हो सकता है, जो उन्हें पहले पसंद थीं। इस दौरान कई लोगों को आत्महत्या के ख्याल भी आते हैं और वे खुद को नुकसान भी पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं।
इसका इलाज न हो तो क्या होगा?
रूबी हॉल क्लिनिक में सलाहकार मनोचिकित्सक, डॉ. पंकज बी बोराडे ने बताया कि बाइपोलर डिसऑर्डर को दवाइयों, थैरेपी और लाइफस्टाइल में बदलाव की मदद से मैनेज किया जा सकता है, लेकिन यह एक क्रॉनिक स्थिति है, अगर इसका इलाज न किया जाए, तो इससे किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, गलत निदान की उच्च दर, जागरूकता की कमी और बाइपोलर डिसऑर्डर से जुड़ा कलंक, लोगों को उचित देखभाल और मदद हासिल करने से रोक सकता है।