OMAD Diet: जब दिन में सिर्फ एक वक्त खाना शुरू किया तो नतीजा कुछ यूं निकला!
ऐसे कई लोग हैं जो जब भी खाना खाते हैं खाने पर कंट्रोल नहीं कर पाते और अंत में ज़रूरत से ज़्यादा खाकर पछताते भी हैं। खाने पर कंट्रोल न कर पाना ही वज़न बढ़ने की बड़ी वजह बन जाता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। OMAD Diet: क्या आपको अपने खाने पर कंट्रोल करने में दिक्कत होता है? क्या इसी वजह से आपका वज़न लगातार बढ़ता जा रहा है? क्या आप वज़न कम करने के नए-नए तरीके ढूढ़ंते हैं? अगर इन तीनों सवालों का जवाब 'हां' तो ये आर्टिकल आपके लिए है।
ऐसे कई लोग हैं जो जब भी खाना खाते हैं खाने पर कंट्रोल नहीं कर पाते और अंत में ज़रूरत से ज़्यादा खाकर पछताते भी हैं। खाने पर कंट्रोल न कर पाना ही वज़न बढ़ने की बड़ी वजह बन जाता है। आजकल इंटरनेट पर आपको वज़न कम करने के कई तरीके मिल जाएंगे। इनमें से एक 'वन मील ए डे' (OMAD) यानि दिन में सिर्फ एक बार खाना खाना।
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कम मेहनत और जल्दी वज़न कम करने की चाहत में कई लोग इसे अपना भी रहे हैं। इसकी खास बात यह है कि आपको किसी तरह का परहेज़ नहीं करना है बस दिन में एक ही बार खाना है। तो हमने भी इसका प्रयोग किया।
पहला दिन
हमने फैसला किया कि दोपहर का भोजन हमारा सबसे बड़ा भोजन होगा और इसलिए सुबह से दोपहर एक बजे तक कुछ नहीं खाया। यह डाईट प्लान शनिवार को शुरू किया ताकि लंच में कई तरह की चीज़ें बनाने का समय मिल सके। एक बजे तक भूखा रहना आसान नहीं था, लेकिन फिर दिन के खाने ने हमें प्रेरित किया। खाने में हमने दाल मख्नी, आलू की सब्ज़ी, पराठे, ज़ीरा चावल और सलाद खाया। यह सब खाने के बाद रात तक बिल्कुल भूख नहीं लगी।
दूसरा दिन
रविवार का दिन था इसलिए एक बार फिर खाना खाने के लिए लंच का समय चुना गया। एक बजे तक भूख बर्दाश्त नहीं हो पा रही थी इसलिए दो कम ग्रीन-टी और खूब सारा पानी भी पिया। फिर भी एक बजे तक इंतजार नहीं हो सका तो 12 बजे ही खाना खाने के लिए तैयार हो गए। इस बार बटर चिकन, रोटी और चावल खाए। काफी भूख लग रही थी इसलिए खूब खा लिया। लंच के बाद रात तक भूख नहीं लगी।
तीसरा दिन
सोमवार को ऑफिस के साथ यह डाईट प्लान मुश्किल लग रहा था। सुबह का नाश्ता न करने से एनर्जी लेवल काफी कम हो गया था और सिर दर्द भी शुरू हो गया। कुल मिलाकर सारा दिन काफी दिक्कत हुई। घर पहुंचते ही एक बार फिर पेट भर खूब सारा खा लिया, लेकिन इसके बावजूद सिर दर्द नहीं गया। साथ ही पेट भी काफी भारी लगने लगा।
चौथा दिन
तीन दिन बाद इस डाईट से थक चुके थे लेकिन जब वज़न नापा तो एक किलो कम पाया। जिसे देख एनर्जी लेवल एक बार बढ़ गया। लेकिन ऑफिस पहुंचने के बाद दिन एक बार फिर मुश्किल से कटा। सिर में दर्द की वजह से ऑफिस से जल्दी निकलना पड़ा। खाना दिन में तीन बजे खाया।
पांचवां दिन
सुबह जब उठे तो सिर में हल्का दर्द महसूस हुआ और कोई भी अपने दिन की शुरुआत ऐसी नहीं चाहेगा। इसलिए भर पेट नाश्ता किया। जिसमें 6 अंडे, टोस्ट और मक्खन शामिल था। नाश्ता कर काफी अच्छा महसूस हुआ, लेकिन तीन बजे तक शरीर बुरी तरह थक गया था। भूखे पेट काम पर फोकस करना मुश्किल हो रहा था। शाम को जब भूख बर्दाश्त के बाहर हो गई तो खूब सारे फल खा लिए। 5 दिन में ही इस डाइट से शरीर ने हार मांग ली। वज़न पूरी तरह न सही कुछ तो कम हुआ।
नतीजा: पांच दिन बाद ऐसा लगा कि इस तरह की डाइट आसान नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नामुमकिन है। हमें महसूस हुआ कि इस डाइट से शरीर पर काफी स्ट्रेस पहुंच रहा है, साथ ही एक ही बार में ज़्यादा खा लेने से भी पेट भारी लगता है। आहार विशेषज्ञों का भी मानना है कि यह डाइट सबके लिए नहीं है।