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    मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple Sclerosis)

    By Harshita SaxenaEdited By: Harshita Saxena
    Updated: Mon, 03 Jul 2023 03:11 PM (IST)

    मल्टीपल स्केलेरोसिस एक गंभीर बीमारी है जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है। यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जिसमें शरीर खुद पर हमला करता है। एमएस के लक्षण अक्सर अप्रत्याशित होते हैं। वे हल्के या गंभीर अल्पकालिक या लंबे समय तक चलने वाले हो सकते हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति स्पष्ट रूप से देखने लिखने बोलने या चलने की क्षमता खो सकते हैं।

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    जानें क्या है मल्टीपल स्केलेरोसिस, इसके लक्षण और कारण

    मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस) सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ी एक लंबे समय तक चलने वाली (क्रॉनिक) बीमारी है। इसे एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर माना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति जिसमें शरीर खुद पर हमला करता है। एमएस एक अप्रत्याशित बीमारी है, जो लोगों को अलग तरह से प्रभावित करती है। एमएस वाले कुछ लोगों में केवल हल्के लक्षण हो सकते हैं। जब मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों के बीच संचार बाधित हो जाता है, तो ऐसे लोग स्पष्ट रूप से देखने, लिखने, बोलने या चलने की क्षमता खो सकते हैं।

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    मल्टीपल स्क्लेरोसिस के कारण क्या है?

    एमएस के कई संभावित कारण हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:

    • ऑटोइम्यून विकार
    • संक्रामक एजेंट, जैसे वायरस
    • वातावरणीय कारक
    • जेनेटिक कारक

    मल्टीपल स्केलेरोसिस के लक्षण क्या हैं?

    एमएस के लक्षण अक्सर अप्रत्याशित होते हैं। वे हल्के या गंभीर, अल्पकालिक या लंबे समय तक चलने वाले हो सकते हैं। एमएस के सबसे आम लक्षण निम्नलिखित हैं, लेकिन हर व्यक्ति में अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं।

    एमएस के प्राइमरी लक्षण निम्न हैं-

    • ब्लर या डबल विजन
    • रेड-ग्रीन कलर डिटॉर्शन
    • ऑप्टिक नर्व की सूजन के कारण दर्द और दृष्टि की हानि
    • चलने में परेशानी
    • दर्द, सुन्नता या चुभन की भावना

    मल्टीपल स्केलेरोसिस के अन्य लक्षण

    • बाहों और पैरों की मांसपेशियों में कमजोरी
    • चलने या खड़े होने में समस्या
    • आंशिक या पूर्ण रूप से लकवा
    • मांसपेशियों में अकड़न और ऐंठन
    • लगातार थकान होना
    • सेंसेशन की कमी होना
    • बोलने में समस्या
    • कंपकंपी
    • चक्कर आना
    • बहरापन
    • बोवेल और ब्लैडर की समस्याएं
    • अवसाद
    • यौन क्रिया में परिवर्तन

    एमएस के प्रकार

    एमएस के चार प्रकार हैं:

    • रिलाप्सिंग और रेमिटिंग मल्टीपल स्क्लिेरोसिस (RRMS)

    यह मल्टीपल स्क्लिेरोसिस का सबसे सामान्य और शुरुआती प्रकार है। इसकी शुरुआत होने पर लंबे समय तक इसके लक्षण भी दिखाई नहीं देते और जब दिखाई देते हैं, तो भी स्थाई रूप से नहीं रहते। शुरुआती अवस्था में मल्टीपल स्क्लिेरोसिस के लक्षण अटैक की तरह नजर आते हैं, जो बाद में अपने आप गायब हो जाते हैं। लेकिन हर थोड़े अंतराल पर यह लक्षण बार-बार उभरते हैं.

    • सेकेंडरी प्रोग्रेसिव मल्टीपल स्क्लिेरोसिस (SMS)

    आसान भाषा में समझें तो मल्टीपल स्क्लिेरोसिस का दूसरा चरण है। शुरुआती चरण में लक्षण सामान्य और कभी-कभी रह-रहकर नजर आने वाले होते हैं। लेकिन जैसे-जैसे इस बीमारी की स्थिति गंभीर होती जाती है, जिसके लक्षण भी गंभीर हो जाते हैं।

    • प्राइमरी प्रोग्रेसिव मल्टीपल स्क्लिेरोसिस (PPMS)

    यह मल्टीपल स्क्लिेरोसिस का सबसे रेयर प्रकार है। इसमें बीमारी के लक्षणों का पता धीरे-धीरे नहीं चलता। पहली बार जब प्राइमरी प्रोग्रेसिव मल्टीपल स्क्लिेरोसिस का पता चलता है, तभी हालत स्थिति गंभीर हो जाती है। आसान भाषा में कहे तो जब व्यक्ति इस स्टेज में पहुंचता है, तब तक हालात नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं।

    • प्रोग्रेसिव रिलैप्सिंग मल्टीपल स्क्लिेरोसिस (PRMS)

    यह मल्टीपल स्क्लिेरोसिस का सबसे खतरनाक प्रकार है। साथ ही यह काफी दुर्लभ भी होता है। बहुत कम लोगों को यह बीमारी होती है। लेकिन जब यह होती है, तो नियंत्रण और इलाज की सीमा से भी बाहर हो जाती है। इस चरण में स्क्लिेरोसिस के लक्षण अपने चरम पर होते हैं।

    मल्टीपल स्क्लिेरोसिस का इलाज

    • रोग-संशोधित उपचार (डीएमटी)- मल्टीपल स्क्लिेरोसिस के इलाज में दवाओं के जरिए लक्षणों को का इलाज किया जाता है। साथ ही यह तरीका रोग को धीमा करने में भी मदद करता है।
    • रिलैप्स प्रबंधन दवाएं- इस बीमारी की गंभीर स्थिति में सूजन को कम करने के लिए डॉक्टर हाई डोज की दवाएं देते हैं। इसका मदद से माइलिन के नुकसान को कम किया जाता है।
    • फिजीकल फंक्शन - मल्टीपल स्क्लिेरोसिस की वजह से शारीरिक क्रिया पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे में शारीरिक रूप से स्वस्थ और तंदुरस्त रहने से शरीर को क्रियाशील बनाया जा सकता है।
    • मेंटल हेल्थ काउंसिलिंग- मल्टीपल स्क्लिेरोसिस से पीड़ित व्यक्ति के लिए इस बीमारी का इलाज भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। साथ ही इसकी वजह से मूड और याददाश्त भी प्रभावित होते हैं। ऐसे में इस काउंसलिंग से भावनात्मक रूप से मदद मिलती है।

    Picture Courtesy: Freepik