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    Study: माइल्ड कोरोना संक्रमण वाले लोगों में भी बढ़ सकता है हृदय रोग का खतरा, ताजा स्टडी में हुआ बड़ा खुलासा

    साल 2019 में आए कोरोनावायरस ने दुनियाभर तबाही मचाई थी। इस महामारी की वजह से करोड़ों की संख्या में लोगों ने अपनी जानें गंवाई थीं। अभी भी यह वायरस हमारे बीच ही मौजूद है। ऐसे में इसके गंभीर परिणाम को रोकने के लिए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। इसी क्रम में हाल ही में कोरोना और हार्ट डिजीज को लेकर एक नई स्टडी सामने आई है।

    By Harshita SaxenaEdited By: Harshita SaxenaUpdated: Mon, 10 Jul 2023 08:35 AM (IST)
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    कोरोना के माइल्ड इंफेक्शन वाले लोगों पर भी है हार्ट अटैक का खतरा

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Study: कोरोना महामारी ने दुनियाभर में कई सारे बदलाव लाए हैं। साल 2019 में सामने आए इन जानलेवा वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा दिया था। इस संक्रमण चलते कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। अभी भी यह वायरस पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। यही वजह है कि लोगों को अभी भी अपनी सुरक्षा के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है। इस महामारी की चपेट में आए कुछ लोगों को अभी भी सही होने के बाद भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा है। इसी सिलसिले में एक नई स्टडी सामने आई है।

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    भारत के स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय, आईसीएमआर के इस अध्ययन में हार्ट अटैक और कोविड रिकवरी के साथ-साथ दिल के दौरे और टीकाकरण के बीच संबंधों के बारे में बताया गया है। इस बारे में कई अन्य अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों ने भी यह बताया कि कोविड-19 और हार्ट अटैक में हुई बढ़ोतरी के बीच सीधा संबंध है। इतना ही नहीं अगर आप माइल्ड कोरोना संक्रमण के भी शिकार हुए थे, तो भी रिकवरी करने वाले लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियों के विकसित होने या हार्ट संबंधी समस्याओं के जल्दी शुरू होने की संभावना बढ़ गई है।

    क्या कहते हैं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन

    इटली में हुए एक अध्ययन में कोविड से ठीक होने के बाद दिल के दौरे के जोखिम के बारे में पता लगाया गया। इस दौरान स्टडी में यह सामने आया कि सामान्य आबादी की तुलना में कोविड ​​-19 से ठीक हुए लोगों में मायोकार्डियल का जोखिम 93% ज्यादा था। इतनी ही नहीं अध्ययन में यह भी सामने आया कि अगर आपको कोरोना का माइल्ड संक्रमण भी हुआ था, तो संक्रमण के एक साल बाद हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा ज्यादा होता है। इस अध्ययन को नेचर मेडिसिन में फरवरी में प्रकाशित किया गया था।

    किन लोगों पर बढ़ा खतरा?

    अपने शोध के दौरान जब शोधकर्ताओं ने हल्के कोविड संक्रमण वाले लोगों को देखा, तो उन्होंने यह पाया कि ऐसे लोगों में अन्य लोगों की तुलना में दिल से जुड़ी समस्याओं के विकसित होने का खतरा 39 प्रतिशत ज्यादा था। वहीं, डेबेकी हार्ट एंड वैस्कुलर सेंटर, ह्यूस्टन के एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि कोरोना का हमारे दिल पर लंबे समय तक प्रभाव रहता है।

    क्या कहती है स्टडी?

    इसके अलावा ताइवान में किए गए एक अध्ययन में यह कहा गया कि जो लोग कोविड ​​-19 से संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें हृदय संबंधी जटिलताओं का खतरा ज्यादा है। दिल से जुड़ी इन समस्याओं में हार्ट संबंधी बीमारियां, अतालता (arrhythmia), सूजन या थ्रोम्बोम्बोलिक जैसी बीमारियां शामिल हैं। वैक्सीनेशन से पहले हुए यूके बायोबैंक पर आधारित एक अध्ययन में भी यह सामने आया था कि कोविड ​​के बाद दिल की बीमारियों से संबंधित जोखिम बढ़े हैं। यह जोखिम उन लोगों पर भी लागू होते हैं, जो कोविड से कम प्रभावित हुए थे।

    भारत में हालात चिंताजनक

    वहीं, भारत की बात करें तो यहां भी हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। पहले जहां सिर्फ गंभीर कोविड संक्रमण वाले लोगों को कोरोना संक्रमण का शुरुआती खतरा ज्यादा था। वहीं, अब हालात इससे अलग है। हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों में भी लंबे समय तक रहने वाले कोविड-19 के लक्षण नजर आ सकते हैं। साथ ही कोरोना महामारी से पहले पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में हृदय रोगों के मामले अधिक थे, लेकिन अब हालात खराब होते जा रहे हैं, क्योंकि बीते कुछ समय से देश में 20 से 40 वर्ष की आयु के हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है।

    Picture Courtesy: Freepik