Menstrual Hygiene Day: पीरियड्स के दौरान हाइजीन का रखें खास ध्यान, इंफेक्शन और बीमारियों से रहेंगी दूर
Menstrual Hygiene Day हर साल 28 मई का दिन मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद महिलाओं को मेंसुरेशन हाइजीन के बारे में बताना है क्योंकि इससे कई तरह के संक्रमण और बीमारियों का खतरा रहता है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Menstrual Hygiene Day: पीरियड्स या मासिक धर्म के प्रति स्वच्छता रखने और भ्रांतियां मिटाने के लिए प्रतिवर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। पीरियड के दौरान महिलाओं को स्वच्छता पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है वरना ये कई तरह के इंफेक्शन और बीमारियों की वजह बन सकता है।समाज में पीरियड्स को लेकर फैले मिथ्य के चलते मेन्सट्रुअल हाइजीन हमेशा से ही एक गंभीर विषय रहा है। लेकिन फिर भी इस ओर उतना ध्यान नहीं दिया जाता। हाइजीन की कमी से होने वाली बीमारियों से हर साल कई महिलाओं की मौत तक हो जाती है। तो इसे लेकर जागरूक होने की जरूरत है। तो आप इन टिप्स की मदद से पीरियड्स के दौरान मेनटेन रख सकती हैं स्वच्छता।
पीरियड्स के दौरान किन बातों का रखना चाहिए सबसे ज्यादा ख्याल?
1. चुनें सही अंडरवियर
पीरियड्स के समय कंफर्टेबल अंडरवियर चुनें। जिसमें कॉटन के अंडरवियर बेस्ट होते हैं। जो पसीने को आसानी से सोख लेते हैं।
2. पैड बदलते रहें
पीरियड के दौरान फ्लो के हिसाब से समय-समय पर सैनिटरी पैड, टैम्पून या मेंसुरेशन कप को बदलते रहें। आमतौर पर हर 4 से 6 घंटे में पैड या टैम्पून बदलना सही रहता है।
3. हाथ साफ रखें
पीरियड्स के दौरान मेंसुरेशन प्रोडक्ट्स के हर इस्तेमाल से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोना जरूरी है। ऐसा करने से आप बैक्टीरिया के ग्रोथ को रोका जा सकता है।
4. सही मेंसुरेशन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल
पीरियड्स के दौरान ऐसे प्रोडक्ट्स को चुनें जिसमें आप कंफर्टेबल हों। कुछ महिलाएं सैनिटरी पैडस इस्तेमाल करती हैं, तो वहीं कोई टैम्पूनन्स, तो कोई मेंस्ट्रुअल कप में।
5. गंध भी हो सकता प्रॉब्लम का इशारा
पीरियड में निकलने वाले ब्लड फ्लो में हल्की गंध होना नॉर्मल है। लेकिन, अगर ये गंध बहुत तेज है, तो यह इंफेक्शन का भी इशारा हो सकता है। तो ऐसे में डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
6. सैनिटरी पैड को सही से डिस्पोज करना
इस्तेमाल के बाद मेंसुरेशन प्रोडक्ट्स को सही तरीके से डिस्पोज करना भी बहुत जरूरी है। उन्हें पेपर या रैपर में लपेटकर कूड़ेदान में डालें।
एसबीआई यूथ फॉर इंडिया फेलोशिप की अलुमनी डॉ. मोनालिसा पाढ़ी 2015 से मेंस्ट्रुअल हेल्थ के बारे में डिस्टिग्माईज़्ड करने के क्षेत्र में काम कर रही हैं। डॉ. मोनालिसा पाढ़ी अपनी टीम एम्प बिंदी इंटरनेशनल के समर्थन से, पिछले 8 वर्षों में राजस्थान और भारत के आसपास के कई ग्रामीण समुदायों में 1,50,000 से अधिक मेंस्ट्रुटर्स तक पहुंचे हैं, उन्होंने 1000 से अधिक कम्युनिटी हेल्थ चैंपियन को ट्रेन किया, जो अब मेंस्ट्रुअल हेल्थ और दूसरी महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर बातचीत और काम करते हैं।
इस पहल से औसतन 90% से भी ज़्यादा महिलाएं हैं, जो मेंस्ट्रुअल हेल्थ और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में अच्छी तरह से चुकी हैं, इतना ही नहीं 80% से ज्यादा लड़कियों और महिलाओं ने साझा किया कि वे "एक पहल: आओ बात करें" पहल के तहत मेंस्ट्रुअल हेल्थ से जुड़े मिथकों यानी गलत धारणाओं को तोड़ने के लिए तैयार हैं। इस पहल का विजन केवल राजस्थान तक नहीं बल्कि पूरे भारत में जागरूकता फैलाना है और दुनिया के किसी भी हिस्से में कोई भी लड़की या महिला अपने शरीर और स्वास्थ्य के बारे में सटीक जानकारी या बेसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण पीड़ित न यह भी देखना है।
मोनालिसा जब एसबीआई फेलोशिप से जुड़ीं तो उन्होंने नहीं सोचा था कि वह इस क्षेत्र में काम करेंगी। लेकिन राजस्थान के गांवों में अपने क्षेत्र के दौरे के पहले महीने के अंदर, उन्होंने महसूस किया कि गलत जानकारी या मेंस्ट्रुअल हेल्थ के बारे में कोई जानकारी नहीं होने से लड़कियां और महिलाएं गलत निर्णय ले रहीं हैं, जिसके परिणामस्वरूप खराब स्वास्थ्य परिणाम सामने आ रहे हैं।
इसने उन्हें कम्युनिटी हेल्थ वर्कर्स की एक टीम के साथ काम करने के लिए एक ऐसा ढांचा तैयार करने के लिए प्रेरित किया, जो इस पहल को सभी के लिए सक्षम बनाए और लिटरेसी बैरियर को पार कर सके। इसके बाद हर गांव में सामुदायिक स्वास्थ्य चैंपियनों को ट्रेन किया गया, जिन्होंने स्थानीय भाषाओं में खेल, पहेलियों और सम्मोहक दृश्यों और वीडियो जैसे इंटरेक्टिव टूल का उपयोग करके मेंस्ट्रुअल हेल्थ के बारे में जानकारी फैलाई।
सेशंस में किशोर लड़कियों, युवा और मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं और यहां तक कि दादी-नानी ने भी भाग लिया। इसने इंटर जेनरेशनल डिस्कशन को आसान बनाया, जिससे स्टिग्मा और मिथ को दूर करने में काफी मदद मिली। इतना ही नहीं उन्हें यह भी सिखाया गया कि सैनिटरी पैड की सिलाई कैसे की जाती है और अन्य मेंस्ट्रुअल केयर प्रोडक्ट्स और उन्हें स्वच्छ तरीके से कैसे उपयोग किया जाए इसके बारे में जानकारी दी गई।
यह पहल अब व्हाट्सएप के माध्यम से जानकारी साझा करने और बड़ी संख्या में समुदायों तक पहुंचने के लिए 11 विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में शार्ट बाइट जैसे इंटरैक्टिव एनिमेटेड वीडियो का उपयोग करके डिजिटल माध्यम का भी उपयोग करती है।
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