Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Men's Health: क्या है रिप्रोडक्टिव हेल्‍थ और पुरुष प्रजनन संबंधी समस्याओं को किन तरीकों से कर सकते हैं दूर?

    By Priyanka SinghEdited By: Priyanka Singh
    Updated: Fri, 30 Jun 2023 11:54 AM (IST)

    Mens Health महिलाएं में ही नहीं पुरुषों में भी इनफर्टिलिटी की समस्या आम है जो आजकल बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है। इसकी कई वजहें हो सकती हैं जिन पर गौर करना जरूरी है। समय रहते इन पर ध्यान देकर आप आने वाले समय में कई परेशानियों से बचे रह सकते हैं। तो आइए जानते हैं किन तरीकों से रख सकते हैं आप रिप्रोडक्टिव हेल्थ का ध्यान।

    Hero Image
    Men's Health: उपाय जो कर सकते हैं रिप्रोडक्टिव हेल्थ को सुधारने में मदद

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Men's Health: प्रजनन (फर्टिलिटी) संबंधी चुनौतियों से निपटना भावनात्मक और आर्थिक रूप से कठिन हो सकता है। यह आपके लिए एक पीड़ादायक और एकाकीपन से भरा अनुभव हो सकता है। हाल ही में WHO ने खुलासा किया है कि इनफर्टिलिटी लोगों की सोच से कहीं ज्यादा आम है। यह पूरी दुनिया में एक चिंता का विषय है, जहां हर 6 कपल्‍स में से 1 के साथ प्रजनन सम्बन्धी समस्या है। हालांकि, समय रहते लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ, कपल्‍स अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं और पैरेंटहुड की खुशी का अनुभव कर सकते हैं। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    प्रजनन स्वास्थ्य (रिप्रोडक्टिव हेल्‍थ) क्या है?

    पुरुष और महिला के पूरे जीवन काल के अलग-अलग चरणों में उनकी प्रजनन प्रणाली की स्थिति को रिप्रोडक्टिव हेल्‍थ कहते हैं। पुरुषों के संबंध में, शुक्राणु मापदंडों को ध्यान में रखा जाता है जिसमें थिकनेस, गतिशीलता और शुक्राणुओं का आकार शामिल है। शरीर में हार्मोन पैदा करने वाली ग्रंथियां हैं, जैसे कि मस्तिष्क में पिट्यूटरी ग्लैंड (पियूष ग्रंथि) जो वीर्यकोष (टेस्टीज) से शुक्राणु के उत्पादन को नियंत्रित करने वाले हार्मोन बनाती और छोड़ती हैं। किसी भी स्तर पर या अंग में किसी असंतुलन से शुक्राणु के उत्पादन और गुणवत्ता खराब हो सकती है।

    यहां 5 उपाय दिए जा रहें हैं, जो पुरुषों को प्रजनन संबंधी बाधाओं को दूर करने और प्रजनन की ज्‍यादा से ज्‍यादा वृद्धि प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।

    लाइफस्टाइल में बदलाव

    लाइफस्टाइल में सिंपल लेकिन कुछ जरूरी बदलाव, जैसे बैलेंस डाइट, रोजाना एक्सरसाइज, शराब से परहेज, धूम्रपान, तंबाकू का कम इस्तेमाल और तनाव का प्रबंधन करके प्रजनन स्वास्थ्य को सुधारा जा सकता है। फर्टिलिटी की दर बढ़ाने के लिए पर्याप्त नींद लेना और कैफीन का सीमित मात्रा में सेवन करना भी जरूरी है।

    आयु

    प्रजनन यात्रा के दौरान महिलाओं की जैविक घड़ी (मासिक चक्र) के महत्व के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन पुरुषों के प्राकृतिक चक्रों को लेकर लोगों में जागरुकता नहीं है। महिलाओं के तीव्र रिग्रेशन की तुलना में धीमी गति से, लेकिन उम्र के साथ पुरुषों की प्रजनन शक्ति भी कम होती जाती है। हालांकि, पुरुषों के पिता बनने की संभावना महिलाओं में मां बनने की तुलना में काफी लंबे समय तक रहती है, फिर भी प्रजनन क्षमता पर उम्र के संभावित प्रभाव की जानकारी होना ज़रूरी है। खासकर, आजकल की इनएक्टिव लाइफस्टाइल और स्वास्थ्य संबंधी उभरते खतरों को देखते हुए यह जानकारी रखना और उसके अनुसार परिवार नियोजन करना और भी ज़रूरी हो जाता है।

    एसटीआई की नियमित जांच

    विभिन्न प्रकार के यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) से पुरुष प्रजनन-स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव हो सकता है। क्लैमिडिया या गोनोरिया जैसे संक्रमणों के फलस्वरूप वीर्यकोषों से वीर्य तक शुक्राणुओं को ले जाने वाली नलियों में सूजन या अवरोध हो सकते हैं और इससे बांझपन की आशंका हो सकती है। प्रजनन संबंधी बेहतर स्वास्थ्य बहाल रखने के लिए कंडोम का प्रयोग और नियमित रूप से एसटीआई की जांच कराना ज़रूरी है।

    नियमित जांच एवं स्‍क्रीनिंग्‍स

    पुरुषों को प्रजनन स्वास्थ्य की नियमित जांच और स्‍क्रीनिंग्‍स को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसमें समग्र प्रजनन कार्य का आंकलन करने के लिए वीर्य, हार्मोन्स की जांच के साथ ही फिजिकल जांच भी शामिल हैं। जिससे अगर कोई समस्या हो तो समय रहते उसका उपचार किया जा सके। 

    हेल्थ कंडीशन की जानकारी

    रिप्रोडक्शन जर्नी को सहजता के साथ आगे बढ़ाने के लिए हेल्थ प्रॉब्लम्स, जैसे- डायबिटीज, थायरॉयड, पीसीओएस, ऑटोइम्यून डिसीज़ और आनुवंशिक असामान्यताओं का पता लगाना और उनका प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है। अगर किसी व्यक्ति में कोई कैंसर होने का पता चलता है जिसमें कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की ज़रुरत है, तो कैंसर का उपचार आरम्भ करने से पहले वीर्य को फ्रीज़ करके रख लेने का भी ऑप्शन होता है, क्योंकि इन उपचारों से वीर्यकोषों (टेस्‍टीकुलर) की क्रिया प्रभावित होने और शुक्राणु के उत्पादन में कमजोरी आने की आशंका रहती है।

    (डॉ. अन्विती सराफ, नोएडा में आईवीएफ विशेषज्ञ, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी से बातचीत पर आधारित)

    Pic credit- freepik