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    कुबेर हस्त मुद्रा करता है मन को शांत और फोकस, ऐसे करें इसका अभ्यास

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Sat, 07 Aug 2021 09:14 AM (IST)

    इस मुद्रा को विभिन्न स्थितियों में करने से अभ्यासी को अनेक लाभ प्राप्त हो सकते हैं। इसे कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है। तो आइए जानते हैं इसे करने का तरीका और इससे होने वाले लाभों के बारे में।

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    कुबेर हस्त मुद्रा का अभ्यास करते साधक

    कुबेर मुद्रा पृथ्वी और जल तत्वों से जुड़ी है। यह हाथ की मुद्रा है जो योग में की जाती है। अनामिका पृथ्वी तत्व का प्रतीक है जो शरीर में पृथ्वी तत्व की देखभाल करती है। छोटी उंगली जल तत्व का प्रतीक है जो शरीर में जल तत्व की देखभाल करती है और अंगूठा अग्नि का प्रतीक है। इस मुद्रा में दोनों हाथों की मध्यमा और तर्जनी को अंगूठे के सिरे से जोड़ा जाता है। बाकी दो उंगलियां (अंगूठी और छोटी) हथेलियों में मुड़ी हुई रहती हैं।

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    इस मुद्रा को विभिन्न स्थितियों में करने से अभ्यासी को अनेक लाभ प्राप्त हो सकते हैं। इसे कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है। कुबेर मुद्रा मुश्किल समय में मदद करता है। सबसे महत्वपूर्ण कारक इच्छा शक्ति और मन की शक्ति हैं। कुबेर मुद्रा इच्छाशक्ति और मन की शक्ति को विकसित करता है। इस मुद्रा का अभ्यास करने से जीवन संतुलित हो जाता है और इस सामंजस्यपूर्ण आंतरिक संतुलन के आधार पर बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है। यह हमारे भीतर एक नई शक्ति को जन्म देता है। इस मुद्रा के मदद से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। यह हमें अपने काम को पूरा करने और चीजों को चतुराई से पूरा करने में मदद करता है।

    तकनीक

    कुबेर हस्त मुद्रा करने के लिए सरल चरण दिए गए हैं:

    • सबसे पहले किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जाएं और हथेलियों को ऊपर की ओर जांघों या घुटनों पर रखें।

    • पद्मासन, सिद्धासन, स्वास्तिकासन, वज्रासन आदि ध्यान आसन अभ्यास के लिए आदर्श हैं।

    • आंखें बंद करें और सांस लेने की प्रक्रिया के प्रति जागरूकता के साथ कुछ गहरी सांसें लें।

    • अब मध्यमा और तर्जनी को मोड़ें, दोनों अंगुलियों को अंगूठे की नोक से दबाएं।

    • शेष दो अंगुलियां (अंगूठी और छोटी) हथेलियों में मुड़ी हुई हों।

    • इसके अलावा इसे दोनों हाथों से एक साथ करना चाहिए।

    • इस मुद्रा को हर दिन 30 मिनट तक लगातार या दिन में 2-3 बार 10 से 15 मिनट तक करें।

    • यह मुद्रा खड़े होने, बैठने या लेटने की मुद्रा में भी कर सकते है।

    (Grand Master Akshar से बातचीत पर आधारित)