बार-बार बीमार पड़ रहा है आपका बच्चा? तो हल्के में न लें, हो सकते हैं 5 खतरनाक कारण
बच्चों का बार-बार बीमार पड़ना पेरेंट्स के लिए टेंशन की वजह बन जाता है, क्योंकि यह उनकी पढ़ाई, डेवलपमेंट और मेंटल कंडीशन पर असर डालता है।कमजोर इम्युनिटी, साफ-सफाई की कमी, कंटेमिनेटेड पानी, जंक फूड, नींद की कमी, धूप और खेलकूद से दूरी, प्रदूषण, बहुत दवाएं। अगर इन कारणों को समय रहते समझकर उनकी डेली रूटीन और खानपान में सुधार किया जाए, तो बच्चे हेल्दी,स्ट्रॉन्ग और एनर्जेटिक रह सकते हैं।

बार-बार बीमार पड़ने वाले बच्चों के कारण और बचाव के उपाय (Picture Credit- AI Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बचपन में बीमार पड़ना नॉर्मल बात हो सकती है, लेकिन जब बच्चा हर कुछ दिनों में बुखार, सर्दी, खांसी या पेट की प्रॉब्लम से परेशान रहने लगे, तो यह पेरेंट्स के लिए टेंशन की वजह बन जाता है। यह न केवल बच्चे की पढ़ाई, खेल और डेवलपमेंट को प्रभावित करता है, बल्कि उसकी इम्युनिटी और मेंटल कंडीशन पर भी इफेक्ट डालता है।
अक्सर इसके पीछे कुछ आम लेकिन अनदेखे कारण होते हैं, जिन्हें समय रहते पहचानकर बच्चों की सेहत को बेहतर बनाया जा सकता है। आइए जानते हैं बच्चों के बार-बार बीमार पड़ने के कुछ संभावित कारण और उनसे जुड़ी सावधानियों के बारे में
कमजोर इम्युनिटी
छोटे बच्चों की इम्युनिटी पूरी तरह विकसित नहीं होती। अगर खानपान सही न हो या उन्हें समय पर वैक्सीन न मिला हो, तो उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
साफ-सफाई की कमी
गंदे हाथों से खाना, बाहर खेलकर बिना नहाए रहना या बार-बार चेहरे पर हाथ लगाना इंफेक्शन को बढ़ावा देता है। बच्चों को शुरू से स्वच्छता की आदत सिखानी जरूरी है।
दूषित पानी का सेवन
फिल्टर न किया गया या बाहर का पानी पीना बच्चों में पेट से जुड़ी बीमारियों जैसे डायरिया और टाइफाइड की वजह बन सकता है।
बाहर का और जंक फूड खाना
पिज्जा, बर्गर या चिप्स जैसे फूड्स बच्चों के पोषण को नुकसान पहुंचाते हैं और डाइजेस्टिव सिस्टम कमजोर कर देते हैं।
नींद की कमी
बढ़ते बच्चे के लिए रोजाना 8-10 घंटे की नींद जरूरी है। नींद पूरी न होने से शरीर की मरम्मत नहीं हो पाती और इंफेक्शन जल्दी पकड़ लेता है।
फिजिकल एक्टिविटी की कमी
खेलकूद से बच्चों की शारीरिक शक्ति और इम्युनिटी बढ़ती है। लेकिन अगर बच्चा दिनभर स्क्रीन पर ही बिजी है, तो उसका शरीर धीरे-धीरे सुस्त होता जाता है।
धूप से दूरी
धूप से मिलने वाला विटामिनडी बच्चों की हड्डियों और इम्युनिटी के लिए जरूरी है। सुबह की धूप में थोड़ा समय बिताना फायदेमंद होता है।
अत्यधिक दवाओं का सेवन
हर बार हल्की खांसी या बुखार में एंटीबायोटिक देना शरीर की नेचुरल इम्यून पॉवर को दबा सकता है।
प्रदूषण का प्रभाव
शहरों की हवा में धूल और जहरीले तत्व बच्चों की सांस की नली को प्रभावित करते हैं, जिससे एलर्जी और खांसी की समस्या बार-बार होती है।
मेंटल स्ट्रेस और डर
बच्चों में स्ट्रेस्ट, डर या पेरेंट्स का दबाव उनकी मेंटल कंडीशन को कमजोर करता है, जिससे उनकी शारीरिक रोग-प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है।
मौसमी बदलाव
ठंडी से गर्मी या गर्मी से बारिश का मौसम बदलते ही बच्चों में वायरल इन्फेक्शन जल्दी फैलता है। इस समय विशेष सावधानी की जरूरत होती है।
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