जानें, बेडसोर्स क्या है और क्या हैं इसके लक्षण और उपचार
आसान शब्दों में समझें तो जब कोई व्यक्ति एक ही मुद्रा में सोता है या बैठता है तो त्वचा और अंतर्निहित ऊतकों पर दवाब पड़ने लगता है।
दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। बेडसोर्स त्वचा और अंतर्निहित ऊतकों में होने वाले घाव को कहा जाता है। इसे दवाब अल्सर भी कहते हैं। इस बीमारी होने की मुख्य वजह एक अवस्था में सोना और बैठना होता है। खासकर वैसे मरीज जिन्हें किसी कारणवश एक ही मुद्रा में सोने की इजाजत होती है। उन्हें बेडसोर्स का खतरा सबसे अधिक रहता है। व्हीलचेयर पर लंबे समय तक रहने वाले लोगों को बेडसोर हो सकता है। बेडसोर्स हड्डियों की जोर पर होता है।
आसान शब्दों में समझें तो जब कोई व्यक्ति एक ही मुद्रा में सोता है या बैठता है, तो त्वचा और अंतर्निहित ऊतकों पर दवाब पड़ने लगता है। इस दवाब के चलते एक गांठ बनने लगता है, जो आगे चलकर घाव में बदल जाता है। इसका इलाज संभव है, लेकिन लापरवाही बरतने पर बेडसोर खतरनाक साबित हो सकता है। आइए बेडसोर्स के लक्षण और उपचार जानते हैं-
बेडसोर्स के लक्षण
इस बीमारी में मरीज के त्वचा में सूजन आने लगती है।
त्वचा के रंग में बदलाव होने लगता है।
त्वचा बेहद सॉफ्ट हो जाती है।
अंतर्निहित ऊतकों में दर्द होने लगता है।
त्वचा का रंग लाल होने लगता है।
घाव के मुहाने से पस निकलने लगता है।
बेडसोर्स के उपचार
-प्राथमिक स्तर पर जब आपको ऐसा महसूस होता है कि त्वचा अथवा अंतर्निहित ऊतकों में दर्द महसूस होने लगता है अथवा बेडसोर्स के लक्षण दिखाई देने लगता है, तो सबसे पहले अपने सोने के पॉस्चर को बदलें। अगर अगले दो दिन में आपको कोई आराम नहीं मिलता है। तब आप बिना समय गवाएं, डॉक्टर की सहायता लें।
-अपने बैठने और सोने की मुद्रा को बदलते रहें। इससे आपके त्वचा और अंतर्निहित ऊतकों पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। व्हीलचेयर इस्तेमाल करने वाले लोग भी हर 15 मिनट के बाद अपने सिटिंग पोजीशन को बदलें। ऐसा माना जाता है कि व्हीलचेयर इस्तेमाल करने वाले लोगों को बेडसोर्स का खतरा अधिक रहता है।
-अपने बिछावन और तकिए का चयन सही करें। ध्यान रहें कि बेड ज्यादा ऊंचा और न ही ज्यादा नीचे रखें। पीठ के बल अधिक सोने की कोशिश करें। इसके साथ ही करवटें बदलते रहें। जबकि डॉक्टर के परामर्श का जरूर अनुसरण करें।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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