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    Psoriasis In Winters: जानें सर्दियों और महामारी के दौरान सोरायसिस को कैसे नियंत्रित करें

    By Ruhee ParvezEdited By:
    Updated: Thu, 24 Dec 2020 09:59 AM (IST)

    Psoriasis In Winters तापमान में अचानक गिरावट आने से सोरायसिस के रोगियों के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। सोरायसिस में त्वचा की नई परत बन जाती है जो सूखी खुजलीदार पपड़ीदार होती है और लाल चकत्तों या चमकीले धब्बों के रूप में दिखाई देती है।

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    जानें सर्दियों और महामारी के दौरान सोरायसिस को कैसे नियंत्रित करें

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Psoriasis In Winters: सोरायसिस त्वचा से जुड़ी एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इस रोग में त्वचा पर कोशिकाएं तेज़ी से जमा होने लगती हैं। सफेद रक्त कोशिकाओं के कम होने के कारण त्वचा की परत सामान्य से अधिक तेज़ी से बनने लगती है, जिसमें घाव बन जाते हैं। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। 

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    तापमान में अचानक गिरावट आने से सोरायसिस के रोगियों के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। सोरायसिस में त्वचा की नई परत बन जाती है, जो सूखी, खुजलीदार, पपड़ीदार होती है और लाल चकत्तों या चमकीले धब्बों के रूप में दिखाई देती है। आम मान्यता के विपरीत, सोरायसिस पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता और छूने से नहीं फैलता है। धूप कम मिलने और इनडोर हीटिंग बढ़ने से भी सोरायसिस के लक्षण बिगड़ जाते हैं। कम इम्युनिटी के कारण ठंड के अन्य रोग, जैसे फ्लू और सर्दी-जुकाम भी सोरायसिस का दर्द बढ़ा सकते हैं। हालांकि, जीवनशैली में कुछ बदलाव कर और सही उपचार लेकर सर्दियों में भी सोरायसिस पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। 

    आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड बेस हॉस्पिटल में डिपार्टमेन्ट ऑफ डर्मेटोलॉजी के हेड प्रोफेसर डॉ. संदीप अरोड़ा का कहना है, "मौजूदा महामारी के कारण कठिन समय को देखते हुए रोगियों के तनाव और डिप्रेशन में जाने की संभावना बहुत अधिक है, कोविड से पहले के समय की तुलना में। इससे रोगियों के जीवन की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ सकता है और लक्षण तीव्र हो सकते हैं, यदि उपचार ठीक से नहीं लिया जाए और वे तनाव में रहें। उपचार जारी नहीं रखने से उनकी मौजूदा स्थिति बिगड़ सकती है और लक्षणों को नियंत्रित करना कठिन हो सकता है, क्योंकि वे एडवांस्ड स्टेज में पहुंच जाएंगे।" 

    क्या है सोरॉसिस?

    सोरायसिस त्वचा से जुड़ी एक बीमारी है, जो अमूमन किसी भी उम्र में हो सकती है। अमरीका के नेशनल सोरायसिस फाउंडेशन के मुताबिक, इसमें त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ने लगते हैं। आमतौर पर इसका असर सबसे ज़्यादा कोहनी के बाहरी हिस्से और घुटने पर देखने को मिलता है।

    हालांकि इसका असर शरीर के किसी भी हिस्से पर देखा जा सकता है। कई लोगो का मानना है कि सोरायसिस में जलन भी होती है और खुजली भी। सोरायसिस का संबंध कई ख़तरनाक बीमारियों मसलन, डायबिटीज़, दिल से जुड़ी बीमारियों और अवसाद से भी है। अगर शरीर में कहीं भी लाल चकत्ते नज़र आ रहे हैं तो बिना पूछे-जांचे, दवा लेना ख़तरनाक साबित हो सकता है। सबसे अच्छा है कि फौरन डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि ये सोरायसिस की शुरुआत हो सकती है।

    संक्रामक बीमारी नहीं है सोरायसिस

    एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये बीमारी स्वीमिंग पूल में नहाने, किसी सोरायसिस पीड़ित के साथ संपर्क से और किसी सोरायसिस पीड़ित के साथ शारीरिक संबंध बनाने से भी नहीं फैलती है।

    ख़तरा कब बढ़ जाता है

    - तनाव

    - शरीर के किसी हिस्से में लगी चोट, जिससे त्वचा कट गई हो

    - संक्रमण - कुछ दवाइयों की एलर्जी से

    - मौसम (बहुत ठंडा)

    - तंबाकू

    - शराब

    हर रोज़ अगर इन सबसे आप दो चार हो रहे हों तो इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है.

    सोरायसिस का पता कैसे चलता है?

    आमतौर पर लोग शरीर में खुजली और चकत्ते देखकर अनदेखा कर देते हैं और इंफेक्शन सोचकर छोड़ देते हैं। इसके लिए कोई अलग से ब्लड टेस्ट नहीं होता है, लेकिन किसी विशेषज्ञ को संपर्क कर सकते हैं। कई बार विशेषज्ञ उस हिस्से का स्किन सैंपल ले लेते हैं और माइक्रोस्कोप से जांच करते हैं। इसके अलावा अगर आपके घर में किसी को सोरायसिस की शिकायत रह चुकी है, तो पहले से ही सतर्क रहें और अगर ऐसा कोई भी निशान नज़र आए या चमड़ी खुरदुरी और मोटी लगे जो जांच करा लें।

    क्या है इलाज?

    सोरायसिस का इलाज आमतौर पर इस बीमारी को बढ़ने से रोकता है और इससे सोरायसिस नियंत्रण में रहता है। इसका इलाज तीन चरणों में होता है:

    - इसमें प्रभावित जगह पर क्रीम और तेल लगाना शामिल हैं

    - अल्ट्रावायलेट किरणों से इलाज

    - दवा या इंजेक्शन

    क्या हैं बचाव के उपाय?

    - शरीर को साफ़-सुथरा रखना और ख़ुद का ध्यान रखना

    - स्वस्थ भोजन और दिनचर्या

    - तनाव से दूर रहना

    आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में डर्मेटोलॉजी और कॉस्मेटोलॉजी की हेड डॉ. मोनिका बाम्बंरू ने कहा, "सर्दियों के मौसम में ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है, क्योंकि ठंडा और शुष्क मौसम सोरायसिस से होने वाले दर्द को बढ़ा सकता है। हम अपने पेशेंट्स को सर्दियों के लिए अग्रिम तौर पर तैयार रहने और ट्रीटमेंट प्लान में ज़रूरी बदलाव के लिए अपने डर्मेटोलॉजिस्ट से परामर्श लेने की सलाह देते हैं। सर्दियों के मौसम में सोरायसिस का प्रभावी प्रबंधन करने और उसे नियंत्रित रखने के लिए जीवनशैली की उन आदतों पर सावधानी से ध्यान देना ज़रूरी होता है, जो सोरायसिस के लक्षणों को बढ़ा सकती हैं। हालांकि, अगर जीवनशैली में सही बदलाव किए जाएं और सटीक उपचार कराया जाए, तो सोरायसिस को सर्दियों के दौरान प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।"  

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