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    All About Malaria: मलेरिया के मच्छर के काटने पर कितने दिन में दिखते हैं लक्षण?

    By Ruhee ParvezEdited By:
    Updated: Sat, 05 Sep 2020 05:02 PM (IST)

    All About Malariaसबसे पहले जान लेते हैं कि ऊष्मायन अवधि क्या होती है। मतलब वो समय अवधि जो संक्रमित मच्छर के काटने के बाद और बीमारी का पहला लक्षण दिखने से पहले तक की होती है।

    All About Malaria: मलेरिया के मच्छर के काटने पर कितने दिन में दिखते हैं लक्षण?

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। All About Malaria: मलेरिया प्लासमोडियम परजीवी से संक्रमित मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी को लेकर लोगों के ज़हन में सबसे ज़्यादा इसकी ऊष्मायन अवधि को लेकर सवाल आता है। जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानकारी रखते हैं। सबसे पहले जान लेते हैं कि ऊष्मायन अवधि क्या होती है। इसका मतलब है वो समय अवधि जो संक्रमित मच्छर के काटने के बाद और बीमारी का पहला लक्षण दिखने से पहले तक की होती है। यानी मच्छर के काटने से पहला लक्षण दिखने के बीच का समय ऊष्मीय अवधि कहलाया जाता है। 

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    कितनी तरह के मलेरिया हैं?

    अधिकतर वायरसों में ये अवधि 7 से 30 दिन के बीच की होती है। मलेरिया के परजीवी मरीज़ के खून में मिल जाते हैं। मलेरिया कई प्रकार का होता है, जैसे:

    • प्लासमोडियम फैल्सीपैरम (P. Falciparum), 
    • सोडियम विवैक्स (P. Vivax), 
    • प्लासमोडियम ओवेल मलेरिया (P. Ovale)  
    • प्लासमोडियम मलेरिये (P. malariae)। 

    इनमें प्लासमोडियम फैल्सीपैरम की ऊष्मायन अवधि छोटी होती है और प्लासमोडियम मलेरिये की ऊष्मायन अवधि लंबी होती है।

    मलेरिया से कैसे बचें?

    नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अखिलेश उपाध्याय ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति ऐसे इलाके में रहता है जहां मलेरिया का संक्रमण काफी फैल रहा है तो वह एंटी मलेरिया की दवाई खाकर खुद को लक्षणों से हफ्तों से महीनों तक बचा सकता है। हालांकि सभी को ऐसे इलाकों को जल्द से जल्द छोड़ने की सलाह दी जाती है। वहीं, अगर ऐसा कोई शख्स इस तरह के किसी इलाके से लौटा है, तो उसे 12 महीने के भीतर डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए। 

    अन्य उपाय

    इसके साथ ही कुछ अन्य उपाय भी अपनाने चाहिए। जैसे, घर के अंदर कीटनाशक का छिड़काव ताकी मच्छर न आ सकें। मच्छरों से बचाव के लिए ढके हुए कपड़े पहनें, कहीं भी पानी एकत्रित ना होने दें, क्योंकि मच्छर साफ पानी में जल्दी पनपते हैं, इसलिए कूलर और पानी की टंकी आदि हफ्ते में एक बार खाली करके सुखा लें। इसके साथ ही अपने घर के आसपास सफाई रखें और मच्छरदानी का प्रयोग करें।

    इसके अलावा मलेरिया दो अन्य तरह का भी होता है। इसमें एक को काफी गंभीर माना जाता है, जबकि दूसरा कम गंभीर होता है। जो कम गंभीर होता है, उसका समय 6-10 घंटों तक रहता है। लेकिन ऐसा बहुत ही कम मामलों में देखा गया है।

    इस स्थिति में सर्दी लगती है, बुखार होता है और पसीना बहता है। इसके साथ ही मरीज़ को शरीर में कमज़ोरी भी महसूस होने लगती है। इसके अलावा मलेरिया के दूसरे प्रकार को काफी गंभीर माना जाता है। इसमें मरीज़ के शारीरिक अंग तक काम करना बंद कर देते हैं। इस दौरान कई तरह की दिक्कतें होती हैं जैसे- असामान्य व्यवहार, दौरे आना, कोमा या अन्य न्यूरोलॉजिकल असामान्यता, गंभीर एनीमिया की समस्या, सांस लेने में दिक्कत, गुर्दे और हृद्य में परेशानी आदि। गंभीर मलेरिया में इलाज तत्काल और तेजी से किया जाना चाहिए।

    डॉ. उपाध्याय ने ये भी बताया कि यही कारण है कि मलेरिया के सभी प्रकारों को जानते हुए इसके इलाज की समय पर व्यवस्था की जाए। खासतौर, पर गंभीर मलेरिया के समय मरीज़ को चिकित्सा सहायता की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है। इसमें अगर वक्त पर डॉक्टर से इलाज ना मिले, तो मरीज़ की मौत भी हो सकती है। कई मामलों में ऐसा देखा भी गया है। इसलिए मलेरिया मच्छर के काटने पर होने वाली सबसे ख़तरनाक बीमारी मानी जाती है।