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    Leptospirosis: क्या है लेप्टोस्पायरोसिस, जिसके मामले मुंबई में तेजी से बढ़ रहे हैं

    By Ritu ShawEdited By: Ritu Shaw
    Updated: Thu, 20 Jul 2023 02:08 PM (IST)

    Leptospirosis इन दिनों मुंबई में लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बीएमसी के मुताबिक जून के मुकाबले जुलाई में इस संक्रमण के ज्यादा केसेज सामने आए हैं। वहीं अब भी ज्यादातर लोग इस बीमारी से अनजान हैं और नहीं जानते कि लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण क्या है और इस दौरान खुद का ख्याल कैसे रखा जाए। इस आर्टिकल में हम यही जानेंगे।

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    लेप्टोस्पायरोसिस से कैसे बचें और क्या करें, जानें सबकुछ

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Leptospirosis: हाल में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुंबई में बरसात के बाद चिकनगुनिया और लेप्टोस्पायरोसिस के मामले बढ़े हैं। बारिश में मच्छरों के कारण होने वाली बीमारी चिकनगुनिया के बारे में तो लोग जानते हैं, लेकिन शायद लेप्टोस्पायरोसिस के बारे में जानकारी कम ही लोग रखते होंगे। आपको बता दें कि बीएमसी के मुताबिक, जुलाई के शुरुआती 16 दिनों में इस संक्रमण के 104 मामले आए हैं, जबकि जून में यह आंकड़ा 97 था।

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    ऐसे में जानें कि आखिर लेप्टोस्पायरोसिस होता क्या है?

    लेप्टोस्पायरोसिस एक तरह का बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो इंसानों और जानवरों दोनों को संक्रमित कर सकता है।यह लेप्टोस्पाइरा जीनस (genus) के बैक्टीरिया के कारण होता है। इंसानों में लेप्टोस्पाइरा के कई तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं। जिनमें से कई अन्य बीमारियों के लक्षणों से मिलते हैं। इसके अलावा कई मरीजों में इसका एक भी लक्षण नजर नहीं आता। लेप्टोस्पायरोसिस कोई मामूली बीमारी नहीं है, इसका समय पर इलाज न होने से किडनी डैमेज, लिवर फेल, सांस संबंधी समस्या और यहां तक कि मौत भी हो सकती है।

    लेप्टोस्पायरोसिस इन्फेक्शन कैसे होता है?

    लेप्टोस्पायरोसिस का कारण बनने वाले बैक्टीरिया संक्रमित जानवरों के मूत्र के माध्यम से फैलते हैं, जो पानी या मिट्टी में मिल सकते हैं और वहां हफ्तों से लेकर महीनों तक जीवित रह सकते हैं। जिसकी वजह से कई अलग-अलग तरह के जंगली और घरेलू जानवर इन बैक्टीरिया की चपेट में आ जाते हैं और संक्रमण का शिकार हो जाते हैं। इनमें भेड़, सुअर, घोड़े, कुत्ते, चूहे समेत अन्य जंगली जानवर भी शामिल हो सकते हैं, जो इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। वहीं, इंसानों में यह इन्फेक्शन संक्रमित जानवरों के मूत्र या लार को छोड़कर शरीर के अन्य तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैल सकता है।

    लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण क्या हैं?

    लेप्टोस्पायरोसिस से संक्रमित इंसानों में इसके कुछ सामान्य लक्षण देखने को मिलते हैं, जिसमें:

    • तेज बुखार
    • सिर दर्द
    • ठंड लगना
    • मांसपेशियों में दर्द
    • उल्टी होना
    • पीलिया (जॉन्डिस)
    • लाल आंखें
    • पेट में दर्द
    • दस्त
    • खरोंच शामिल है।

    व्यक्ति के इस संक्रमण के संपर्क में आने और बीमार होने के बीच का समय 2 दिन से 4 सप्ताह तक हो सकता है। बीमारी आमतौर पर बुखार और अन्य लक्षणों के साथ अचानक शुरू होती है। हालांकि, कुछ मामलों में लेप्टोस्पायरोसिस दो चरणों में हो सकता है।

    पहले चरण के बाद (बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी या दस्त के साथ) रोगी कुछ समय के लिए ठीक हो सकता है, लेकिन फिर बीमार हो जाता है। जबकि दूसरे चरण में यह लक्षण बेहद गंभीर हो जाते हैं; वहीं, कुछ लोगों में किडनी या लिवर फेलियर हो सकता है। यह बीमारी कुछ दिनों से लेकर 3 सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकती है। अगर सही इलाज न मिले, तो ठीक होने में कई महीने लग सकते हैं।

    लेप्टोस्पायरोसिस का इलाज क्या है?

    लेप्टोस्पायरोसिस का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है, जिन्हें बीमारी की शुरुआत में ही डॉक्टर से संपर्क कर के लिया जाना चाहिए। वहीं, अधिक गंभीर लक्षणों वाले व्यक्तियों की जांच के बाद ही डॉक्टर इलाज और दवाएं तय करते हैं। हालांकि, किसी भी बीमारी से बचने के लिए परहेज सबसे अच्छा इलाज होता है।

    लेप्टोस्पायरोसिस से परहेज कैसे करें?

    लेप्टोस्पायरोसिस से बचने का सबसे आसान तरीका है, जानवरों के मूत्र से दूषित पानी में तैरने या उतरने से बचें या संभावित रूप से संक्रमित जानवरों के साथ संपर्क में आने से बचें।

    क्या बारिश में लेप्टोस्पायरोसिस का खतरा बढ़ जाता है?

    लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण दूषित पानी के संपर्क में आने या तैरने की वजह से हो सकता है। इसके अलावा बाढ़ वाले क्षेत्रों में या दूषित खाना या पानी का सेवन से भी यह संक्रमण फैल सकता है। लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण का खतरा ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल क्षेत्रों में ज्यादा होता है क्योंकि ये बैक्टीरिया गर्म और ह्यूमिड वातावरण में तेजी से पनपते हैं। वहीं, बाढ़ का खतरा भी अक्सर बारिश के मौसम में होता है, जब पानी काफी दूषित हो जाता है। इसलिए बारिश के मौसम में लेप्टोस्पायरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।

    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

    Picture Courtesy: Freepik