जानें क्या हैं साइटिका के आयुर्वेदिक उपचार
इन आयुर्वेदिक तरीकों से हो सकता है साइटिका का उपचार।
प्रयोग करें
सबसे पहले जाने कि साइटिका के उपचार के लिए किन चीजों का प्रयोग किया जा सकता है।
अश्वगंधा, गेहूं, मुनक्का, ऑयल, अरहर
जाने क्या हैं लक्षण
पैरों में झुनझुनाहट, सुन्नपन, कमज़ोरी
इन तेलों से करें मालिश
प्रसारिणी तेल, निर्गुन्डी औषधि, महानारायण तेल, दशमूल तेल, सहचारी तेल, तिल का तेल।
मालिश के फायदे
ब्लड और नसों का सर्कुलेशन सही होगा, दर्द कम होगा, स्टिफनेस कम होगी।
टब बाथ
इसके बाद बारी आयेगी टब बाथ की इसके लिए गुनगुने पानी में सेंधा नमक मिलाएं। दशमूल काढ़ा, एरंडमूल कवाथ, आैर कटिवस्ति का प्रयोग भी करें। 2 इंच की ऑल-वॉल गेहूं के आटे से बनाए इसमें सहन करने लायक तेल डालें।
कटिवस्ति के फायदे
ब्लड और नसों का सर्कुलेशन सही होगा, मांसपेशियों को आराम मिलेगा, स्टिफनेस कम होगी, दर्द कम होगा।
एरंड का प्रयोग
एरंड काढ़ा खाली पेट पिएं, एरंड का तेल रात में दूध के साथ लें, एरंड के पत्तों का लेप करें।
ज़रूरी हैं ये काढ़े
दशमूल का काढ़ा, महारास्नादि काढ़ा, रास्नासप्तक काढ़ा।
पेस्ट जो प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं
अदरक,कपूर,पिप्पली का पेस्ट, जायफल का चूर्ण, तिल के तेल का पेस्ट, अश्वगंधा का चूर्ण,तिल के तेल का पेस्ट। साथ ही लहसुन का कल्प लगाएं, लहसुन की कली खाएं।
खाने के बाद करें प्रयोग
बालारिष्ट, दशमूलारिष्ट, अश्वगंधारिष्ट, खाने के बाद लें। साथ में अश्वगंधा का चूर्ण, सिंहनाद गुग्गुल, योगराज गुग्गुल दर्द कम करने के लिए लें।
क्या करें
गुनगुना पानी पिएं, धूप लें, वजन कम करें, घर का खाना खाएं, गाय का घी, गाय का दूध, ओलिव ऑयल, तिल का तेल, मछली का तेल, गेहूं, लाल चावल, अखरोट, मुनक्का, किशमिश, सेब, अनार, आम, आैर इमली का प्रयोग करें।
क्या न करें
तैलीय खाना, मसालेदार खाना, ठंडा खाना, बासी खाना, अधिक व्यायाम, ओवर ईटिंग, दिन में सोना, रात में जागना, जामुन, सुपारी, अरहर की दाल, मूंग की दाल आदि से दूर रहें।