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    चिकन कबाब और मछली की डिशेज में आर्टिफिशियल कलर के इस्तेमाल पर कर्नाटक सरकार ने लगाया बैन, आप भी हो जाएं सावधान

    Updated: Tue, 25 Jun 2024 03:47 PM (IST)

    कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) ने चिकन कबाब और मछली से बनी डिशेज में आर्टिफिशियल रंगों (Artificial Colours) के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है। खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से राज्य में बेचे जाने वाले 39 तरह के कबाबों के सैंपल इकट्ठे किए थे जिनकी जांच में पाया गया कि इनमें आर्टिफिशियल कलर का यूज किया जा रहा है जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है।  

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    चिकन कबाब और मछली की डिशेज में अब नहीं हो पाएगा आर्टिफिशियल कलर का इस्तेमाल (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Artificial Colours: कर्नाटक सरकार ने वेज, चिकन, मछली और अन्य कबाबों में इस्तेमाल किए जा रहे आर्टिफिशियल कलर पर रोक लगा दी है। खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता अधिनियम 2006 की धारा 59 के तहत ऐसा करने पर 7 साल से लेकर आजीवन कारावास और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

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    क्यों लगाई गई रंगों के इस्तेमाल पर रोक?

    जनता की ओर से इस मामले में दाखिल की गई शिकायतों और मीडिया रिपोर्ट्स पर गौर करने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पूरे राज्य में बेचे जाने वाले 39 तरह के कबाबों के सैंपल इकट्ठा किए और इन्हें जांच के लिए भेज दिया गया, जिसमें पाया गया कि इन खाद्य उत्पादों में सनसेट येलो और कार्मोसिन आर्टिफिशियल रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो सेहत के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है।

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    इससे पहले भी लग चुका है रंगों पर बैन

    गौरतलब है कि इससे पहले गोवा में भी 'गोबी मंचूरियन' और 'कॉटन कैंडी' में आर्टिफिशियल रंगों के इस्तेमाल पर बैन लगाया जा चुका है। ऐसे में, अब कर्नाटक सरकार की ओर से अलग-अलग तरह के कबाबों में इस्तेमाल किए जा रहे केमिकल पर भी रेस्तरां के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही गई है।

    राज्य स्वास्थ्य मंत्री ने कही ये बात

    राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने मीडिया को जानकारी दी, कि पैकेज्ड फूड आइटम्स में  कम मात्रा में 'टार्ट्राजीन' का इस्तेमाल हो सकता है, लेकिन रेस्तरां या किसी फिर किसी होटल या ढाबे में इसका ज्यादा इस्तेमाल सेहत के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है।

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