Jagran Dialogues: महिलाओं की सेहत को कैसे प्रभावित कर रहा है कोरोना? जानें-क्या कहती हैं लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की डायरेक्टर
Jagran Dialogues के नवीनतम एपिसोड में जागरण न्यू मीडिया के सीनियर एडिटर Pratyush Ranjan ने महिलाओं की सेहत से जुड़े अहम मुद्दों पर Lady Hardinge Medical College की निदेशक और प्रख्यात स्त्री रोग विशेषज्ञ Dr Manju Puri से विस्तृत बातचीत की जानें विस्तार से...
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Jagran Dialogues: कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर अभी तक थमा नहीं है। इस बीच इसके डेल्टा प्लस वैरिएंट ने दस्तक देकर चिंता बढ़ा दी है। इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को सतर्क होकर आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी है। वहीं, कोरोना वायरस की तीसरी लहर के कहर को कम करने के लिए कई शोध भी किए जा रहे हैं। इसके साथ ही टीकाकरण अभियान को भी तेज कर दिया गया है। विशेषज्ञों की मानें तो दिसंबर 2021 तक देशभर में टीकाकरण अभियान के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। कोई शक नहीं कि कोरोना काल में लोगों को शारीरिक परेशानियों के साथ ही मानसिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ा है।
इन सबके मद्देनजर लोगों के मन में मानसिक तनाव को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। खासकर महिलाओं की पूरी सेहत को कोरोना संक्रमण कैसे प्रभावित कर रहा है, यह एक बड़ा सवाल है। Jagran Dialogues के लेटेस्ट एपिसोड में जागरण न्यू मीडिया के सीनियर एडिटर Pratyush Ranjan ने इसी मुद्दे पर Lady Hardinge Medical College की निदेशक, स्त्री रोग विशेषज्ञ और संबंधित डिपार्टमेंट की Head of Department Dr Manju Puri से विस्तृत बातचीत की। Jagran Dailogues की Covid-19 से जुड़ी सीरीज का आयोजन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर किया जा रहा है। आइए जानते हैं विस्तार से-
सवाल:- UNFPA की एक रिपोर्ट की मानें तो कोरोना काल में तकरीबन 7 मिलियन अनचाहा गर्भाधारण (Unintended Pregnancy) हो सकती है, या हुई है। इससे असुरक्षित गर्भपात और आपातकाल सुविधा के अभाव से कई महिलाओं की जान खतरे में आ सकती है, या आई होंगी। ऐसे मामलों के लिए आप महिलाओं को क्या सलाह देंगी-
जबाव:- इस बारे में डॉक्टर मंजू पूरी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान Unwanted Pregnancy और Unsafe Abortion के केस बढ़े हैं। हालांकि, बच्चों और महिलाओं की मौत बहुत कम हुई हैं। फियर फैक्टर यानी कोरोना के खौफ के चलते इस दौरान महिलाएं अस्पताल नहीं गईं। इस दौरान बच्चों का जन्म घर पर हुआ और इस काम को आशा कर्मचारियों ने बखूबी अंजाम दिया। हालांकि, यंग लोगों ने खुद से मेडिसिन लेकर गर्भपात करने की कोशिश की। उन लोगों को इससे खतरा देखने को मिला है। कई महिलाओं की अत्यधिक ब्लीडिंग के चलते मौत भी हो गई।
सवाल:- एक दर्शक का सवाल है कि नियमित जांच और सेहत की देखभाल के बावजूद 11 वें सप्ताह में कुछ मामलों में गर्भपात हो गया। परिवार में कुछ लोग संक्रमित थे। क्या गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों पर covid-19 का प्रभाव पड़ा है ?
जबाव:- ऐसा कोई सबूत अभी नहीं है कि कोरोना के मामूली लक्षण या परिवार में किसी व्यक्ति के संक्रमित होने से महिला और गर्भ पर कोई प्रभाव पड़ता है या फिर इसका असर गर्भपात के रूप में भी सामने आता है। हालांकि, अगर कोई महिला किसी अन्य बीमारी से पीड़ित है या उसे कोरोना के चलते आईसीयू में भर्ती होना पड़ा है, या फिर हाई ग्रेड फीवर हो गया हो तो ऐसी स्थिति में गर्भपात हो सकता है। लेकिन बिना गंभीर लक्षण के गर्भपात से कोरोना का कोई लेना देना नहीं है।
यहां देखें पूरा इंटरव्यू-