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    प्रेग्‍नेंसी में Breast Cancer का इलाज क‍ितना सुरक्षित? इन कारणों से बीमारी की चपेट में आती हैं महि‍लाएं

    महि‍लाओं में ब्रेस्‍ट कैंसर होना आम होता जा रहा है। भारत में महिलाओं में होने वाले सभी कैंसरों में से 28.2 प्रतिशत ब्रेस्‍ट कैंसर होते हैं। लेक‍िन गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है। यह करीब एक में से तीन हजार गर्भवत‍ियों में देखने को मिलता है। इसके इलाज से भ्रूण को गंभीर नुकसान हो सकता है।

    By Vrinda Srivastava Edited By: Vrinda Srivastava Updated: Sat, 16 Nov 2024 11:33 AM (IST)
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    प्रेग्‍नेंट महि‍लाओं में आसानी से नहीं चल पाता स्‍तन कैंसर का पता।

    लाइफस्‍टाइल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। ब्रेस्ट कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो महिलाओं में आमतौर पर देखी जाती है। हालांक‍ि इसका इलाज संभव है अगर सही समय से बीमारी का पता लगाया जा सके। कई अभ‍िनेत्रियों ने भी इसका सफल इलाज कराया है और आज वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं। हालांक‍ि गर्भवती महिलाओं पर इसका क्‍या असर पड़ता है, ये तो आपको ये लेख जानकर ही मालूम चलेगा। दरअसल गर्भवती महिलाओं में इसका इलाज कराना चुनौतियों से भरा हो सकता है। क्योंकि इस दौरान मां के साथ-साथ भ्रूण की भी सुरक्षा बेहद जरूरी होती है। ऐसे में, यह सवाल उठता है कि ब्रेस्ट कैंसर का इलाज गर्भवती महिला के लिए कितनी सुरक्षित है और क्या यह भ्रूण को नुकसान पहुंचाने का कारण बन सकता है? आइए इस बारे में विस्‍तार से जानते हैं।

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    इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, भारत में महिलाओं में होने वाले सभी कैंसरों में से 28.2 प्रतिशत ब्रेस्‍ट कैंसर होते हैं। हालांकि, यह ध्यान देना जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान स्तन कैंसर बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है। यह करीब एक में से तीन हजार गर्भवत‍ियों में देखने को मिलता है। ये बीमारी आमतौर पर 32 से 38 साल की उम्र की महिलाओं में होती है।

    आसानी से नहीं चल पाता बीमारी का पता

    प्रेग्‍नेंसी के दौरान ब्रेस्‍ट में होने वाले बदलावों की वजह से कैंसर का आसानी से पता नहीं चल पाता है। क्योंकि इस दौरान स्तन में सूजन आ जाती है। साथ ही इनमें दूध भरा होने की वजह से गांठ का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को यह देखने की भी जरूरत होती है क‍ि एक स्तन दूसरे स्तन से ज्यादा बड़ा तो नहीं लग रहा। अगर ऐसा है तो उन्‍हें तुरंत डॉक्‍टर से पास जाना चाहिए।

    यह भी पढ़ें: Breast Cancer का खतरा कम करती है ब्रेस्टफीडिंग, डॉक्टर से समझें पूरा साइंस

    प्रेग्‍नेंसी में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज

    इलाज का तरीका मरीज की इच्छा पर निर्भर करता है कि क्या वह गर्भावस्था को जारी रखना चाहती है या नहीं। उदाहरण के लिए, अगर महिला गर्भावस्था के शुरुआती चरण में है और उसका परिवार पूरा हो चुका है, तो वह गर्भ को समाप्त करने का विकल्प चुन सकती है। आमतौर पर, गर्भावस्था में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज तीन प्रमुख तरीकों से किया जा सकता है। वो इस प्रकार हैं-

    सर्जरी

    सर्जरी गर्भवती महिला के लिए सबसे सामान्य और सुरक्षित उपचार विकल्प हो सकता है। इसमें ब्रेस्ट के प्रभावित हिस्से को हटा दिया जाता है। बशर्ते कि ऑपरेशन के दौरान भ्रूण को कोई खतरा न हो।

    कीमोथेरेपी

    कीमोथेरेपी का इस्तेमाल ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में किया जाता है, लेकिन यह गर्भवती महिला के लिए कुछ जोखिम ला सकता है। पहले तिमाही में कीमोथेरेपी भ्रूण के लिए खतरनाक हो सकती है, क्योंकि इस दौरान अंगों का विकास हो रहा होता है। हालांकि, अगर इलाज तीसरी तिमाही में किया जाए तो इसके प्रभाव कम हो सकते हैं।

    रेडियेशन थेरेपी

    प्रेग्‍नेंसी के दौरान रेडियेशन से बचने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इससे भ्रूण को गंभीर नुकसान पहुंचता है। रेडियेशन का प्रभाव भ्रूण के विकास पर नकारात्मक असर डालता है, जिससे उसे मानसिक और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।

    भ्रूण के लिए संभावित खतरे

    गर्भवस्था के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करते समय भ्रूण के लिए कुछ जोखिम हो सकते हैं। कीमोथेरेपी और रेडियेशन से भ्रूण के अंगों का विकास प्रभावित हो सकता है और कुछ मामलों में यह गर्भपात का कारण भी बन सकता है। वहीं गर्भवती महि‍लाओं को दी जाने वाली दवाइयां और इलाज भ्रूण के लिए खतरे का कारण बन सकती हैं।

    यह भी पढ़ें: भारत में बढ़ रहा ब्रेस्ट कैंसर का प्रकोप, हर साल 76 हजार महिलाओं को निगल रही बीमारी; अब जनजागरूकता पर फोकस

    गर्भवती महिलाओं में ब्रेस्‍ट कैंसर के कारण

    • परिवार का इतिहास
    • देर से गर्भवती होना
    • लंबे समय तक स्‍तनपान न करा पाना
    • हार्मोनल परिवर्तन
    • अवस्‍था और उम्र

    Disclaimer: लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो, तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।