Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के क्या लक्षण हैं और क्या हैं इसके आयुर्वेदिक उपचार

    By Molly SethEdited By:
    Updated: Mon, 24 Dec 2018 01:11 PM (IST)

    इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम आंतों का रोग है। आइए जानते हैं इसके आयर्वेदिक उपचारों के बारे में। ...और पढ़ें

    Hero Image
    इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के क्या लक्षण हैं और क्या हैं इसके आयुर्वेदिक उपचार

    क्या है इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम

    इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम आंतों का रोग है, इसमें पेट में दर्द, बेचैनी व मल करने में परेशानी होती है, इसे स्पैस्टिक कोलन, इर्रिटेबल कोलन, म्यूकस कोइलटिस जैसे नामों से भी जाना जाता है। यह आंतों को खराब तो नहीं करता लेकिन खराब होने के संकेत देने लगता है। इससे न केवल व्यक्ति को शारीरिक तकलीफ महसूस होती है, बल्कि उसकी पूरी जीवनशैली प्रभावित हो जाती है। पुरुषों की तुलना में यह बीमारी महिलाओं को अधिक प्रभावित करती हैं। इस रोग का कारण ज्ञात नहीं है। कब्ज या दस्त की शिकायत हो सकती है या कब्ज के बाद दस्‍त और उसके बाद कब्ज जैसी स्थिति भी देखने को मिलती है। इसकी कोई चिकित्सा भी नहीं है। किन्तु कुछ उपचार जैसे भोजन में परिवर्तन, दवा तथा मनोवैज्ञानिक सलाह आदि द्वारा लक्षणों से छुटकारा दिलाने की कोशिश की जाती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम 

    कारण: स्ट्रेस, गलत आहार-विहार

    लक्षण: दस्त होना, मल कठिनाई से पास होना, पेट साफ न होना, अपक्व मल, हाथ-पैरों में सूजन, आलस्य, चिड़चिड़ापन, खट्टी डकारें

    आयुर्वेदक उपचार: हरीतकी+शुंठी+पिप्पली+चित्रक बराबर मात्रा में मिलाएं। सुबह शाम 3 से 6 ग्राम छाछ के साथ लें। 1 ग्लास पानी में त्रिफला चूर्ण भिगोएं। खाली पेट इस पानी को पिएं। हिंग्वासक चूर्ण+ 1 चम्मच घी+पानी के साथ=खाने से पहले। 3 ग्राम इसबगोल+गुनगुना पानी=सोते समय दालचीनी + सौंठ +जीरा बराबर मात्रा में मिलाएं। 1 से 2 ग्राम दिन में 2 या 3 बार मधु के साथ लें। गुलकंद या बिल्वादि अवलेह+दूध। 1 चम्मच खाने के बाद दिन में 2 बार। नागरमोथा + सौंठ + अतीश + गिलोय 20 से 30 मिली खाली पेट काढ़ा पिएं। दाड़िम घृत, चित्रक घृत, शुंठी घृत, अशफल घृत, गाय का घी 1 से 2 चम्मच खाली पेट दिन में दो बार लें। अदरक की चाय पिएं। अदरक को सेंधा नमक के साथ खाएं। बेल की गिरी चूर्ण+सौंठ चूर्ण में गुड़ मिलाएं। 1 से 2 ग्राम दिन में 2 बार लें। ब्राह्मी और शंखपुष्पी कैप्सूल 1 से 2 कैप्सूल खाने के बाद दिन में दो बार खाएं ।

    पंचकर्मा: बमन, विरेचन, शिरोधारा, पीछा वस्ति-नाभि वस्ति, अभ्यंग

    क्या खाएं: बटर मिल्क या मट्ठा, गुनगुना पानी पिएं। फाइबर युक्त आहार। चबा-चबा कर खाएं।

    इनका प्रयोग बढ़ाएं: अदरक, सौंफ, जीरा, लौंग, इलायची, अनार, केला, बेल, सिंघाड़ा, पुराना चावल, ज्वार, लौकी, तौरई, मूंग

    ये सूप पिएं: दाल का सूप, वेजिटेबल सूप, मूली का सूप

    योग और मेडिटेशन करें: अर्द्धमत्स्येन्द्रासन, जटा परवर्ती शवासन, पवनमुक्त आसन, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, ॐ का उच्चारण

    क्या न करें

    रात में न जागें। अधिक जलपान। अधिक धूप का सेवन। अधिक व्यायाम या परिश्रम। मल-मूत्र रोकना। गुस्सा न करें । साथ ही गेहूं, उड़द, राजमा, मटर, गुड़, खटाई, मावा, मिठाई, दूध, सुपारी, नॉन-वेज, स्मोकिंग, तैलीय खाना, डब्बा बंद खाना, आदि से परहेज करें।