गर्भ निरोधक गोलियों को लेकर मन में चल रही उलझनों को करें दूर एक्सपर्ट के साथ
परिवार नियोजन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली गर्भ निरोधक गोलियों को लेकर स्त्रियों के मन में कुछ शंकाएं रहती हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही सवालों के जवा ...और पढ़ें

गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन कितना सुरक्षित है? क्या इनके लगातार सेवन से मोटापा बढ़ता है? जैसे कई सवाल महिलाओं के मन में होते हैं गर्भ निरोधक गोलियों को लेकर। तो आज हम इन्हीं सवाल के जवाब जानेंगे एक्सपर्ट द्वारा।
1. गर्भ निरोधक गोलियां स्त्री के प्रजनन-तंत्र पर कैसे काम करती हैं?
दरअसल ऐसी गोलियों के सेवन के बाद स्त्री की ओवरीज़ में एग्स बनने की प्रक्रिया रुक जाती है। इसी वजह से सहवास के बाद भी वह कंसीव नहीं कर पाती।
2. ऐसी पिल्स के इस्तेमाल का सही तरीका क्या है?
अगर कोई स्त्री पहली बार गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करने जा रही है तो पीरियड्स के दूसरे दिन से उसे रोज़ाना किसी निश्चित समय पर दवा खाना शुरू कर देना चाहिए। 21 गोलियों का एक पैकेट आता है, जिसे खत्म करने के बाद सात दिनों का गैप देना ज़रूरी है। उसी दौरान स्वाभाविक रूप से स्त्री को दोबारा पीरियड्स भी आ जाते हैं। फिर गैप खत्म होते ही आठवें दिन से दोबारा गोलियों का सेवन शुरू कर दें।
3. अगर कोई स्त्री एक दिन दवा लेना भूल जाए तो उसे क्या करना चाहिए?
अगले दिन उसे जैसे ही याद आए तुरंत एक टैबलेट खा लेना चाहिए। मान लीजिए अगर किसी को अगले दिन सुबह याद आए कि कल की दवा छूट गई है तो उसे उसी वक्त एक गोली खा लेनी चाहिए और शाम को निर्धारित समय पर दूसरी गोली भी लेनी चाहिए। ऐसे में दवा का असर थोड़ा कम हो जाता है। अत: ऐसी स्थिति में एहतियात के तौर पर कॉण्डोम जैसे किसी दूसरे साधन का भी इस्तेमाल करना चाहिए।
4. क्या कोई नवविवाहिता ऐसी दवा का सेवन कर सकती है? इसके इस्तेमाल के बाद उसे कंसीव करने में कोई दिक्कत तो नहीं होगी?
आमतौर पर परिवार नियोजन का यह तरीका पूर्णत: सुरक्षित होता है और दवा बंद करते ही स्त्री दोबारा कंसीव कर सकती है।
5. क्या लंबी अवधि के लिए ऐसी गोलियों का सेवन सुरक्षित है?
आमतौर पर एक साल तक ऐसी गोलियों का सेवन सुरक्षित माना जाता है। लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से पैरों की नसों में ब्लड क्लॉटिंग होने लगती है, ऐसी दशा को डीवीटी यानी डीप वेन्स थ्रॉम्बोसिस कहा जाता है। इसलिए ऐसे साधन अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है।
6. क्या इन गोलियों के साइड इफेक्ट से सिरदर्द, नॉजि़या या वोमिटिंग जैसी समस्याओं की आशंका रहती है?
हां, कुछ स्त्रियों को ऐसी समस्या हो सकती है। ऐसी दवाओं में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन का मिश्रण होता है, जिसके साइड इफेक्ट के कारण नॉजि़या, वोमिटिंग और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
7. क्या ऐसी दवाओं के साइड इफेक्ट से मोटापा बढ़ जाता है?
पहले ऐसी गोलियों में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन की अधिक मात्रा होती थी। इनके प्रभाव से शरीर में वाटर रिटेंशन की समस्या होती थी और शरीर में पानी जमा होने लगता था, जिससे स्त्रियों को ऐसा महसूस होता था कि मोटापा बढ़ रहा है। अब ऐसी दवाओं में इन हॉर्मोन्स का सीमित इस्तेमाल होता है। इसलिए आजकल कोई ऐसा साइड इफेक्ट नज़र नहीं आता।
8. आइ पिल का इस्तेमाल कितना सुरक्षित है?
यह गोली किसी आकस्मिक स्थिति में लेने के लिए होती है लेकिन युवतियां किसी सामान्य गर्भ निरोधक की तरह बिना सोचे-समझे इनका इस्तेमाल शुरू कर देती हैं, जिससे उनके शरीर में हॉर्मोन संबंधी असंतुलन और एप्टॉपिक प्रेग्नेंसी यानी फेलोपियन ट्यूब्स में भ्रूण विकसित होने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद ही ऐसी गोलियों का इस्तेमाल करना चाहिए।
9. क्या गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग मासिक चक्र को नियमित करने के लिए भी किया जाता है?
हां, इन गोलियों में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन नामक दो ऐसे फीमेल हॉर्मोन्स का मिश्रण होता है, जो मासिक चक्र को नियमित करने में मददगार होते हैं। पीसीओडी (पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिज़ीज़) होने पर अनियमित पीरियड्स की समस्या होती है, जिसे दूर करने के लिए अविवाहित लड़कियों को भी गर्भनिरोधक गोलियां दी जाती हैं।
10. स्त्रियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले परिवार नियोजन के अन्य साधनों के बारे में बताएं। आपके अनुसार कौन-सा तरीका सर्वाधिक सुरक्षित है?
यह कहना बहुत मुश्किल है कि कौन-सा तरीका सबसे अच्छा होता है। यह बहुत हद तक स्त्री की शारीरिक अवस्था पर निर्भर करता है। जो नवविवाहिता स्त्रियां शादी के बाद एक साल तक बच्चा नहीं चाहतीं, उनके लिए गर्भ निरोधक गोलियां ठीक रहती हैं। दो बच्चों के बीच उम्र का अंतर बनाए रखने के लिए कॉपर टी उपयुक्त रहता है। इसके अलावा पहले बच्चे के जन्म के बाद तीन महीने के अंतराल पर लगाया जाने वाला हॉर्मोन का इंजेक्शन भी परिवार नियोजन का सुरक्षित उपाय है लेकिन इसके साइड इफेक्ट के कारण कई बार स्त्रियों में पीरियड न होने पर भी बीच में हलकी स्पॉटिंग की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, इंटरकोर्स से पहले वजाइना के भीतर डिज़ाल्व होने वाली कैप्सूल पेसरी और जेल भी उपलब्ध हैं। ऐसी दवाएं स्पर्म्स को भीतर जाने से पहले ही नष्ट कर देती हैं लेकिन परिवार नियोजन के ये दोनों साधन शत-प्रतिशत सुरक्षित नहीं होते, इसलिए इनके साथ कंडोम का भी इस्तेमाल करना चाहिए। अंत में, कोई भी गर्भ निरोधक इस्तेमाल करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए।
(डॉ पूजा मेहता से बातचीत पर आधारित)

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