Squats Benefits:हर दिन स्क्वेट्स करने से आप बीमारियों से रहेंगे महफ़ूज़ और उम्र में भी होगा इज़ाफ़ा
Squats Benefits बैठ कर काम करते है और बार-बार उठ नहीं सकते तो बैठने का तरीका बदल लीजिए। यह बैठने का तरीका स्कवेट्स की मुद्रा में होना चाहिए।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल। सीटिंग वर्क हमेशा से सेहत का दुश्मन है। ये आपको आलसी बनाने के साथ-साथ बीमार भी बनाता है। लंबे समय तक एक जगह बैठना हेल्थ के लिए बेहद नुकसानदायक है लेकिन आज की जिंदगी में ऑफिस गोइंग ज्यादातर लोगों को चेयर पर घंटों बैठना ही पड़ता है। इसका अंजाम हर्ट डिजीज, मोटापा और टाईप-2 डायबिटीज के रूप में सामने आता है। अगर आपकी डेली रूटीन पूरा दिन एक ही तरह से बैठने की है तो भी परेशान होने की जरूरत नहीं। एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि अगर आप अपनी सीट से तुरंत तुरंत उठ नहीं सकते तो बैठने का तरीका बदल लीजिए। यह बैठने का तरीका स्कवेट्स की मुद्रा में होनी चाहिए। जर्नल प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित शोध के मुताबिक पूर्वी अफ्रीका के तंजानिया में हादजा जनजाति पर अध्ययन करने के बाद पाया गया कि बैठने की आदत में बदलाव कई बीमारियों से दूर रहने में मददगार साबित हो सकता है।
हाजदा जनजाति आराम में भी स्क्वेट्स करते हैं
इस शोध के प्रमुख लेखक यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलीफोर्निया के प्रोफेसर डेविड रेचलेन ने बताया कि जैसे हम लोग ऑफिस में एक ही पोजीशन में नौ से दस घंटे तक बिताते हैं, उसी तरह हाजदा जनजाति के लोग भी दिन में नौ-दस घंटे तक एक ही मुद्रा में आराम करते हैं लेकिन उन्हें कोई बीमारी नहीं लगती। इसका कारण है कि वे स्क्वेट्स की मुद्रा में रहते हैं। स्क्वेट्स एक प्रकार की एक्सरसाइज है जिसमें घुटने को मोड़ कर हिप को पीछे नीचे की ओर लाया जाता है फिर ऊपर की ओर लाया जाता है। यह उठक-बैठक का ही एक प्रकार है।
स्क्वेट्स से खून में ट्राइग्लीसिराइड्स नहीं बनता
उन्होंने बताया कि हाजदा जनजाति के लोग हम लोगों की तरह आराम नहीं करते बल्कि वे आराम करते हुए स्क्वेट्स करते रहते हैं। यही कारण है वे हमेशा स्वस्थ्य रहते हैं। शोध में बताया गया है कि जब हम बैठे रहते हैं तो पैर और बैक की मांसपेशियां शिथिल हो जाती है लेकिन स्क्वेटिंग से पैर का फैलाव नीचे तक हो जाता है कि मांसपेशियों में सक्रियता बनी रहती है। इससे पैर और हिप की चर्बी में खिंचाव आता है और रक्त नलियों में ट्राइग्लीसिराइड्स बनने नहीं देता। खून में ट्राइग्लीसिराइड्स का उच्च स्तर हर्ट डिजीज की आशंका पैदा करता है।
Written By Shahina Noor
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