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    पाचन तंत्र से जुड़ी बेहद गंभीर समस्या है आइबीएस, लक्षणों को नजरअंदाज करना पड़ सकता है सेहत पर भारी

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Thu, 08 Apr 2021 09:59 AM (IST)

    कुछ लोगों को अकसर पेट में दर्द रहता है। कभी कब्ज़ की समस्या होती है तो कभी बार-बार टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस होती है। ऐसा क्यों होता है और क्या इसका उपचार है संभव? जानेंगे इसके बारे में।

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    इरीटेबल बाउल सिंड्रोम से बेहद परेशान पुरुष

    पाचन तंत्र से जुड़ी इस समस्या को मेडिकल साइंस की भाषा में आइबीएस यानी इरिटेबल बाउल सिंड्रोम कहा जाता है। इसे स्पैस्टिक कोलन, इर्रिटेबल कोलन, म्यूकस कोइलटिस जैसे नामों से भी जाना जाता है। इसमें बड़ी आंत की तंत्रिकाएं और मांसपेशियां अति संवेदनशील हो जाती हैं। आमतौर पर हमारी आंतों की मांसपेशियां एक निश्चित गति में फैलती और सिकुड़ती हैं, लेकिन कुछ लोगों में आंतों का यह संकुचन सामान्य से अधिक लंबा और अधिक मजबूत होता है, जिससे उनके पेट में बहुत तेज दर्द महसूस होता है और भोजन के प्रवाह में भी रूकावट आती है। अगर भोजन का प्रवाह बहुत धीमा हो तो कब्ज़ और इसके तेज़ होने पर लूज़ मोशन की समस्या हो जाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस बीमारी से अधिक प्रभावित होती हैं। कुछ लोगों में इसके लक्षण इतने हल्के होते हैं कि उन्हें इसका पता नहीं चलता, लेकिन कुछ लोग को बहुत ज्यादा परेशानियों से गुजरना पड़ता है जिससे डेला रूटीन प्रभावित होता है।  

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    प्रमुख लक्षण

    - पेट में दर्द

    - पेट का फूलना

    - गैस बनना

    - डायरिया या कब्ज़

    - स्टूल में म्यूकस

    - टॉयलेट जाने का निश्चित समय न होना।

    - हर व्यक्ति में इसके अलग लक्षण हो सकते हैं।

    क्या है वजह

    - आंतों की संरचना में गड़बड़ी

    - इंफेक्शन

    - फूड एलर्जी

    - भोजन को पचाने वाले वाले गुड बैक्टीरिया की संख्या में कमी।

    - जंक फूड

    - सिगरेट, शराब का बहुत ज्यादा सेवन।

    - मिर्च मसाले का ज्यादा सेवन आदि।

    बचाव एवं उपचार

    - गुनगुना पानी पिएं।

    - पर्याप्त नींद लें।

    - तनाव कम लें।

    - भोजन में तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ाएं। दूध, दही, छाछ जैसी चीज़ें बहुत फायदेमंद होती हैं।

    - मिर्च-मसाले, घी-तेल और मैदे से बनी चीज़ों से दूर रहें।

    - भोजन में फाइबरयुक्त फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं।

    - अगर लगातार दो महीने तक इस समस्या के लक्षण नजर आएं तो डॉक्टर से संपर्क करें।

    (डॉ. सौमित्र रावत, एचओडी डिपार्टमेंट गैस्ट्रोलॉजी, लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन, सर गंगाराम हॉस्पिटल, दिल्ली से बातचीत पर आधारित)

    Pic credit- freepik

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