दिल्ली-NCR की सांसों में घुल रहा है जहर, फेफड़ों के साथ-साथ दिल और दिमाग को भी बीमार बना रहा प्रदूषण
दिल्ली-एनसीआर में 500 से ऊपर AQI के साथ वायु प्रदूषण (Air Pollution) एक गंभीर स्वास्थ्य आपातकाल है, जो शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है। यह फेफड़ों, ...और पढ़ें

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर स्मॉग की मोटी चादर में घिरी हुई है और AQI 500 (Delhi-NCR AQI) पार जा चुका है। ऐसे में यह सिर्फ एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं, बल्कि गंभीर हेल्थ इमरजेंसी बन चुका है, जो हमारे शरीर के हर अंग को प्रभावित कर रहा है।
जब हम प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो हमारे शरीर में जहरीले पदार्थ प्रवेश कर जाते हैं जो लंबे समय तक शरीर में रहकर सूजन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, कमजोर इम्युनिटी और सेल म्युटेशन जैसी समस्याएं पैदा करते हैं। जी हां, वायु प्रदूषण का असर (Air Pollution Health Impact) सिर्फ फेफड़ों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरी सेहत को नुकसान पहुंचाता है। आइए समझें कैसे वायु प्रदूषण पूरी सेहत को नुकसान पहुंचाता है।
वायु प्रदूषक और उनके स्वास्थ्य प्रभाव
सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10)
ये माइक्रोस्कोपिक कण हमारे फेफड़ों और ब्लड में प्रवेश कर जाते हैं। इनके कारण सेहत को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके कारण आंख और नाक में जलन और एलर्जी, गले में खराश और इन्फेक्शन, अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों के टिश्यू डैमेज, दिल की बीमारियां, किडनी और लिवर डैमेज हो सकता है। हैवी केमिकल और मेटल के कारण कैंसर का खतरा भी रहता है।
नाइट्रोजन ऑक्साइड्स (NOx)
यह बहुत रिएक्टिव गैस का ग्रुप है, जो वातावरण में भूरे रंग की धुंध बनाता है। ईंधन और लकड़ी जलाने से यह गैस निकलती है। इसके कारण फेफड़े के टिश्यू डैमेज, सांस लेने की क्षमता में कमी, एयर पाइप में सूजन, स्किन कैंसर का खतरा और नर्व सेल्स डैमेज हो सकते हैं।
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
यह रंगहीन और गंधहीन गैस लंबे समय तक सांस के साथ लेने पर घातक साबित हो सकती है। गाड़ियों और इंजनों से निकलने वाला धुआं इसका मुख्य सोर्स है। इसके कारण धुंधला दिखना, सुनने की क्षमता में कमी, चक्कर आना, सिरदर्द और सीने में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)
यह रंगहीन गैस वॉटर वेपर में घुलकर एसिड बनाती है। ईंधन जलने, बिजली और इंडस्ट्री का वेस्टॉ के मुख्य सोर्स हैं। इसके कारण खांसी, सीने में घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
ओजोन (O3)
यह हल्के नीले रंग की गैस है जिसकी एक विशिष्ट तीखी गंध होती है। यह तब बनती है जब अन्य प्रदूषक सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रतिक्रिया करते हैं। इसके कारण आंखों से पानी आना, गले में जलन, अस्थमा, सूखी खांसी, सांस लेने में तकलीफ, क्रोनिक पल्मोनरी डिजीज, लंग इन्फेक्शन और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

(AI Generated Image)
बच्चों को नुकसान
बच्चे वायु प्रदूषण के लिए ज्यादा सेंसिटिव होते हैं। वे वयस्कों की तुलना में दोगुनी दर से सांस लेते हैं, जिससे वे ज्यादा मात्रा में हानिकारक प्रदूषकों को अंदर लेते हैं। आठ साल से कम उम्र के बच्चों के फेफड़ों को खासतौर से नुकसान पहुंचता है, क्योंकि उनके फेफड़े अभी भी विकसित हो रहे होते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
2022 में अमेरिका और डेनमार्क के लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि वायु प्रदूषण का संपर्क मेंटल डिसऑर्डर से जुड़ा हुआ है। इसमें डिप्रेशन, सिजोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर और पर्सनैलिटी डिसऑर्डर शामिल हैं।
सावधानियां और बचाव
शोध से पता चला है कि अगर प्रदूषण का स्तर अधिक है, तो बाहर एक्सरसाइज करना ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। इससे बचने के लिए इन कामों को न करें-
- पार्क में एक्सरसाइज- प्रदूषण के उच्च स्तर के लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है।
- बाहर योग- आपको तरोताजा करने के बजाय, बाहर एक्सरसाइज करना आपको थका सकता है।
- सड़क पर जॉगिंग- धूल और हानिकारक गैसें सड़कों के पास अपने हाई लेवल पर होती हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।