Heatstroke: हीटस्ट्रोक से भी बढ़ सकता है हार्ट फेलियर का खतरा, शरीर में दिख रहे इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
Heatstroke इन दिनों गर्मी अपने चरम पर है अगर आपने जरूरी एहतियात नहीं बरते तो आप हीटस्ट्रोक का शिकार हो सकते हैं। हीटस्ट्रोक हार्ट प्रॉब्लम से जूझ रहे मरीजों के लिए और भी खतरनाक हो सकती है तो आपको और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Heatstroke: बहुत ज्यादा गर्म तामपान क्रोनिक बीमारी से जूझ रहे मरीजों की प्रॉब्लम को और बढ़ा सकता है। गर्मियों में दिन-ब-दिन बढ़ते तापमान से हीटस्ट्रोक की प्रॉब्लम हो सकती है। हीटस्ट्रोक आमतौर पर लंबे समय तक गर्म मौसम में रहने या ज्यादा तापमान में शारीरिक मेहनत करने से होता है। बहुत ज्यादा गर्मी से हार्ट फेलियर या हार्ट अटैक और स्ट्रोक का ख़तरा भी बढ़ जाता है। ह्रदय या मस्तिष्क में खून के सामान्य प्रवाह में रुकावट होने की वजह से हार्ट अटैक और स्ट्रोक होता है। रिसर्च के अनुसार, हृदय की बीमारी से पीड़ित मरीज खासतौर से हीट स्ट्रोक की चपेट में आ सकते हैं।
गर्म मौसम हृदय और मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करता है?
गर्म तापमान के संपर्क में आने से हृदय को बहुत ज्यादा खतरा होता है। गर्मी कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर तनाव डाल सकती है, जिससे हृदय को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। गर्म मौसम में आपके पूरे शरीर को अपना नॉर्मल टेम्प्रेचर बनाए रखने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यह आपके हृदय, फेफड़े और किडनी पर अतिरिक्त दबाव डालता है। हीटस्ट्रोक मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों में सूजन भी पैदा कर सकता है।
हीटस्ट्रोक के लक्षण
हीटस्ट्रोक के संकेतों और लक्षणों में शरीर का तापमान ज्यादा होना, मानसिक स्थिति या व्यवहार में बदलाव, मतली और उल्टी, चक्कर आना, बेहोशी, मांसपेशियों में ऐंठन, उथली और तेज़ सांस लेना, घमौरियां और सिरदर्द शामिल हैं। इसके अलावा टखनों में एडिमा (सूजन) भी हीटस्ट्रोक के कारण हो सकता है।
डायग्नोसिस
आमतौर पर अगर आपको हीटस्ट्रोक है, तो डॉक्टर आपको देख के ही बता सकते हैं, लेकिन लेबोरेटरी टेस्ट से भी इसके डायग्नोसिस की पुष्टि की जा सकती है। इसके अलावा इस तरह के डायग्नोसिस से आपके लक्षणों के अन्य कारणों का पता भी लगाया जा सकता है। इस तरह से की जाती है पहचान:-
शरीर का तापमान
यह टेस्ट आपके शरीर के कोर तापमान की जांच के लिए किया जाता है। मुंह या माथे के तापमान की तुलना में रेक्टल तापमान ज्यादा सटीक होता है। यह आपके शरीर के कोर तापमान को निर्धारित करने का सबसे सटीक तरीका होता है।
ब्लड टेस्ट
यह टेस्ट आपके खून से किडनी, सीरम इलेक्ट्रोलाइट लेवल की जांच के लिए किया जाता है।
यूरीन टेस्ट
यह मूत्र के रंग की जांच के लिए किया जाता है। हीट स्ट्रोक के चलते मूत्र में भी बदलाव हो सकते है।
इन टेस्ट के अलावा हमें हार्ट फेलियर के खतरे को देखने और डायग्नोसिस करने के लिए एक ECG और इकोकार्डियोग्राफी की जाती है। अगर किसी मरीज में स्ट्रोक का शक होता है, तो ब्रेन (मस्तिष्क) का सीटी स्कैन या MRI किया जाना चाहिए ।
इलाज
हीटस्ट्रोक के इलाज में शरीर के ज्यादा तापमान को सामान्य स्तर पर लाया जाता है। ऐसा करने से आपके ह्रदय, मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को और ज्यादा नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखने पर क्या करें?
- हीट स्ट्रोक से प्रभावित व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाएं।
- अगर इंसान होश में है, तो उसे ढ़ेर सारा पानी पिलाएं या ORS पीने के लिए दें।
- शरीर को ठंडा करने के लिए ठंडे पानी का स्प्रे करें या ठंडे पानी से स्पंज करें।
- हाइड्रेट रहने के लिए मीठी चीजें न पिलाएं या पिएं।
अगर आपको लगता है कि कोई व्यक्ति हीटस्ट्रोक से पीड़ित है, तो आप उसका तुरंत इमरजेंसी इलाज कराएं। पीड़ित व्यक्ति की मदद करने के लिए आप उसे छांव में लाकर या घर के अन्दर बैठा सकते हैं। अगर उसने ज्यादा कपड़े पहने हैं, तो उसके कुछ कपड़े उतार सकते हैं। जो लोग हार्ट की बीमारी से पीड़ित हैं उन्हें बहुत ज्यादा गर्मी में बाहर निकलने से बचना चाहिए। धूप में निकलने से पहले अपने बैग में पानी की बोतल जरूर रखें। शराब के सेवन को बिल्कुल कम कर देना चाहिए और स्किन प्रोटेक्शन के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें।
(डॉ सुनीता कपूर, सिटी एक्सरे & स्कैन क्लीनिक के डायरेक्टर और फाउंडर से बातचीत पर आधारित)
Pic credit- freepik
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