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    कैसे और क्यों होती है गॉलब्लैडर में स्टोन में परेशानी, जानें इसके लक्षण, बचाव एवं उपचार

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Wed, 09 Sep 2020 08:16 AM (IST)

    अक्सर लोग गॉलब्लैडर में स्टोन की बात सुनकर घबरा जाते हैं लेकिन अगर सही समय पर उपचार करवा लिया जाए तो इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति भी स्वस्थ और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है।

    कैसे और क्यों होती है गॉलब्लैडर में स्टोन में परेशानी, जानें इसके लक्षण, बचाव एवं उपचार

    हमारे शरीर में कुछ अंग ऐसे होते हैं, जिनका कोई खास काम नहीं होता, लेकिन उनमें होने वाली मामूली सी गड़बड़ी भी व्यक्ति को परेशान कर देती है। गॉलब्लैडर पाचन तंत्र का एक ऐसा ही हिस्सा है। यह बाइल डक्ट (पित्तवाहिनी नलिकाओं) के जरिए लिवर और छोटी आंत से जुड़ा होता है। लिवर में फैट को पचाने वाला खास तरह का एंजाइम बनता है, जिसे बाइल कहा जाता है। लिवर से बाइल डक्ट के जरिए यह बाइल गॉलब्लैडर में जाकर जमा होता है। भोजन में मौजूद वसा को पचाने के लिए यहां से छोटी आंत में बाइल की आपूर्ति होती है। गॉलब्लैडर को सामान्य बोलचाल में पित्त की थैली कहा जाता है। कभी-कभी इसी गॉलब्लैडर में स्टोन बनने लगता है, जो सेहत के लिए काफी नुकसानदायक साबित होता है।

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    क्या है वजह

    कुछ लोगों को यह गलतफहमी होती है कि कि़डनी की तरह गॉलब्लैडर में भी कैल्शियम और मिनरल्स के जमाव की वजह से स्टोन बनता है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। गॉलब्लैडर में कोलेस्ट्रॉल की ज्यादा मात्रा जमा होने पर यह समस्या होती है। 40 साल से ज्यादा आयु वाली ओवरवेट स्त्रियों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। किसी लंबी बीमारी के बाद भी लोगों में इसके लक्षण देखने को मिलते हैं। अगर गॉलब्लैडर से स्टोन बाइल डक्ट में चला जाए तो इससे जॉन्डिस और पैन्क्रियाज में सूजन की समस्या हो सकती है। अगर लंबे समय तक इसका उपचार न किया जाए तो इससे कैंसर भी हो सकता है। 

    प्रमुख लक्षण

    पेट के दाहिने हिस्से में दर्द

    भूख न लगना

    पाचन संबंधी गड़बड़ियां

    पेट में ज्यादा गैस बनना

    जी मिचलाना

    बचाव एवं उपचार

    अगर खानपान में घी-तेल का इस्तेमाल सीमित मात्रा में किया जाए तो इस समस्या से बचाव किया जा सकता है। यहां बताए गए लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे तो उसे मामूली पेटदर्द समझकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। गॉलब्लैडर का अल्ट्रासाउंड करवा कर आसानी से इसकी पहचान की जा सकती है। ऑपरेशन के जरिए स्टोन के साथ गॉलब्लैडर को भी निकाल दिया जाता है और इससे व्यक्ति के पाचन पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। फिर भी, गॉलब्लैडर की सर्जरी के बाद मरीजों को संयमित और सादगीपूर्ण खानपान अपनाने की सलाह दी जाती है क्योंकि गॉलब्लैडर निकलने के बाद फैट पचाने वाले एंजाइम बाइल का संग्रह नहीं हो पाता।

    आजकल ज्यादातर डॉक्टर सर्जरी की तुलना में लैप्रोस्कोपी का इस्तेमाल करते हैं। इसमें मरीज को अस्पताल में केवल एक दिन रुकना पड़ता है और हफ्ते भर में वह सक्रिय दिनचर्या व्यतीत कर सकता है। अगर स्टोन गॉलब्लैडर के बजाय बाइल डक्ट में चिपक जाए तो एंडोस्कोपी का सहारा लेना पड़ता है, जो पूरी तरह सुरक्षित है।