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    Hormonal Imbalance: जानें 'Mid-age' महिलाओं में आखिर क्या है हॉर्मोन में बदलाव का कारण?

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 12 Mar 2021 06:08 PM (IST)

    Hormonal Imbalance in Womenविशेषज्ञों के मुताबिक हार्मोन को नियंत्रित रखने के लिए मिडिल उम्र की महिलाओं को चाहिए कि वो संतुलित आहार का सेवन करें फिज़िकल एक्टिविटी पर ध्यान दें और पर्याप्त नींद लें। महिलाएं समय- समय पर कुछ जरूरी टेस्ट जरूर कराएं।

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    वज़न का बढ़ना, लाइफस्टाइल में बदलाव हॉर्मोन में उतार चढ़ाव के लिए जिम्मेदार है।

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हार्मोन का उतार-चढ़ाव भी एक ऐसी बीमारी है जो मिडिल उम्र की महिलाओं में ज्यादा देखने के मिल रही है। इंडोक्राइन ग्लैंड के सुचारू रूप से काम नहीं करने की वजह से हॉर्मोन में यह उतार-चढ़ाव आता है। हार्मोन में उतार चढ़ाव आने का सबसे बड़ा कारण है कि महिलाएं अधिक समय तक बैठी रहती है, एक्सरसाइज नहीं करती, उनका खान-पान सबसे बड़ा जिम्मेदार है। आप जानती हैं कि हार्मोनल असंतुलन पीसीओडी, थायराइड की समस्या और बांझपन का कारण बनता है। आइए जानते हैं कि मिडिल उम्र में हार्मोन असंतुलन का कारण क्या है और उसका उपचार कैसे करें।

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    20-50 साल की महिलाओं में हार्मोन में बदलाव का कारण:

    20 से 50 साल की उम्र तक महिलाओं का वज़न बढ़ जाता है, उनका लाइफस्टाइल गतिहीन होता है साथ ही मानसिक तनाव भी बढ़ जाता है जिसकी वजह से हार्मोन में उतार-चढ़ाव आता है।

    हॉर्मोन में उतार-चढ़ाव के लक्षण:

    इस उम्र में महिलाओं में ये लक्षण कई तरह से दिखाई देते है जैसे मूड स्विंग्स, खराब नींद, यौन इच्छा में कमी होना, वजन बढ़ना, चिंता, थकान, अनियमित पीरियड्स, पीरियड देरी से आना, चेहरे पर बाल आना, मुँहासे, थकान और चिंता होना शामिल है। आपको बता दें कि हार्मोनल असंतुलन भी PCOD और बांझपन का कारण बन सकता है।

    बचाव के उपाय

    थायराइड, एस्ट्रोजन, प्रोलैक्टिन, टेस्टोस्टेरोन, कोर्टिसोल का स्तर जानने के लिए blood test जरूर कराएं। महिलाओं में अनिमिया या आयरन की कमी बेहद पाई जाती है इसकी कमी का पता लगाने के लिए CBC test जरूर कराएं। इसके साथ ही कोलेस्ट्रॉल, ग्लूकोज के स्तर और लीवर की जांच कराना भी जरूरत है।

    स्तन और गर्भाशय के कैंसर की नियमित जांच जरूरी है। महिलाओं को 20 साल की उम्र से ही पैपस्मियर टेस्ट करा लेना चाहिए। 65 साल की उम्र तक हर तीन साल बाद पैपस्मियर टेस्ट जरूर कराएं। स्तन में किसी भी तरह की असामान्यता दिखने पर पहले खुद से जांच करें फिर डॉक्टर को दिखाएं।

    डाइट में करें इन चीजों को शामिल:

    • चाय, कॉफी, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स इत्यादि के अधिक सेवन से महिलाओं की एड्रेनल ग्रंथि ज्यादा सक्रिय हो जाती है, जिससे हार्मोन्स का स्राव होने लगता है।
    • पोषक आहार लें ताकि शरीर को विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन आदि मिलते रहें।
    • आहार में ताजे फल व सब्जियों जैसे गाजर, ब्रोकोली और पत्तागोभी की मात्रा बढ़ा दें।
    • ग्रीन टी में थियानाइन प्राकृतिक तत्व पाया जाता है, जो हार्मोन्स को संतुलित रखता है।
    • ओट्स और दही को आहार में शामिल करें।
    • शरीर में पानी की कमी न होने दें।
    • सूरजमुखी के बीज, अंडे, सूखे मेवे और चिकन में ओमेगा 3 व 6 पाया जाता है, जो हार्मोन्स के संतुलन को बनाए रखते हैं।
    • नारियल पानी पिएं।
    • जंक फूड व कुछ अन्य खाद्य पदार्थ, जिनमें कैलरी की मात्रा अधिक हो, से परहेज करना चाहिए।  

                                Written By: Shahina Noor