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    केरल में निपाह वायरस का हाई अलर्ट! सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन्स, जानिए क्या हैं बचाव के उपाय

    Updated: Thu, 06 Mar 2025 12:54 PM (IST)

    केरल में निपाह वायरस के बढ़ते मामलों (Nipah Virus In Kerala) को देखते हुए सरकार ने हाई अलर्ट जारी किया है। यह खतरनाक वायरस तेजी से फैल सकता है और जानलेवा भी हो सकता है। सरकार ने नई गाइडलाइन्स जारी की हैं ताकि संक्रमण को रोका जा सके। आइए जानते हैं कि निपाह वायरस क्या है इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचने के लिए कौन-कौन से उपाय अपनाने चाहिए।

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    केरल में निपा वायरस का अलर्ट जारी, जानें कैसे करें अपना बचाव (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Nipah Virus In Kerala: केरल में निपाह वायरस को लेकर एक बार फिर चिंता बढ़ गई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कोझिकोड, मलप्पुरम, कन्नूर, वायनाड और एर्नाकुलम जिलों को जूनोटिक संक्रमण के हॉटस्पॉट मानते हुए विशेष सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। चमगादड़ों के प्रजनन के मौसम से पहले इन जिलों में जागरूकता अभियान शुरू किए गए हैं ताकि वायरस के बढ़ते खतरे (Nipah Virus Outbreak 2025) को रोका जा सके।

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    जानकारी के मुताबिक, केरल सरकार ने रोग-ट्रैकिंग स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ मिलकर कई बचाव उपाय किए हैं। इनमें सार्वजनिक जागरूकता कार्यक्रम भी शामिल हैं, जिनके जरिए लोगों को निपाह वायरस से जुड़ी जोखिमों की जानकारी दी जा रही है और इससे बचाव के तरीकों (Nipah Virus Prevention Tips) के बारे में समझाया जा रहा है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि निपाह वायरस क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचने के लिए हमें किन सावधानियों का पालन करना चाहिए।

    क्या है निपाह वायरस?

    निपाह वायरस (Nipah Virus) एक जूनोटिक वायरस है, यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह वायरस मुख्य रूप से चमगादड़ों (Fruit Bats) और सुअरों (Pigs) के जरिए इंसानों में फैलता है। लेकिन सबसे डराने वाली बात यह है कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से यह इंसान से इंसान में भी तेजी से फैल सकता है।

    यह वायरस पहली बार 1998 में मलेशिया में पाया गया था, जब यह सुअरों से इंसानों में फैला था। भारत में भी 2001 और 2018 में इसके मामले सामने आए थे।

    क्या निपाह वायरस कोविड-19 से भी ज्यादा खतरनाक है?

    • विशेषज्ञों के अनुसार, निपाह वायरस का मृत्यु दर (Fatality Rate) 40% से 75% तक हो सकता है, जबकि कोविड-19 की मृत्यु दर औसतन 2% से 3% थी।
    • इसका मतलब है कि यह वायरस कम समय में ज्यादा लोगों की जान ले सकता है।
    • फिलहाल, इस वायरस के लिए कोई वैक्सीन या पुख्ता इलाज उपलब्ध नहीं है, जिससे इसका खतरा और बढ़ जाता है।

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    निपाह वायरस के लक्षण क्या हैं?

    निपाह वायरस का संक्रमण शुरुआत में सामान्य बुखार जैसा लग सकता है, लेकिन यह बहुत जल्दी खतरनाक रूप ले सकता है। इसके मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:

    • तेज बुखार और सिरदर्द: शुरुआती लक्षण सामान्य फ्लू की तरह होते हैं।
    • सांस लेने में दिक्कत: फेफड़ों पर असर पड़ने के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है।
    • भ्रम, उलझन और बेहोशी: यह वायरस सीधे मस्तिष्क पर असर डालता है, जिससे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं।
    • दौरे पड़ना और कोमा में जाना: गंभीर मामलों में मरीज कोमा में भी जा सकता है, जिससे मृत्यु होने का खतरा बढ़ जाता है।

    अगर किसी व्यक्ति में ये लक्षण दिखें और वह प्रभावित क्षेत्र से आया हो या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहा हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

    कैसे करें निपाह वायरस से बचाव?

    • साफ-सफाई का ध्यान रखें: नियमित रूप से हाथ धोएं और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
    • संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें: मरीज के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
    • जानवरों से दूरी बनाए रखें: खासकर चमगादड़ और सुअरों के संपर्क में न आएं।
    • कटे हुए फल न खाएं: पेड़ों से गिरे या आधे खाए फलों को बिल्कुल न खाएं।
    • अगर लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें: शुरुआत में इलाज से बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकता है।

    सरकार उठा रही एहतियाती कदम

    1) जागरूकता अभियान

    राज्य के 5 जिलों में स्वास्थ्य विभाग ने जागरूकता अभियान शुरू किए हैं, जिनका मकसद लोगों को निपाह वायरस के खतरे और उससे बचाव के तरीकों की जानकारी देना है। इन अभियानों में खासतौर पर इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि चमगादड़ों और अन्य संभावित वाहकों (संक्रमण फैलाने वाले जीवों) के संपर्क से बचा जाए।

    2) फूड सेफ्टी के दिशा-निर्देश

    संक्रमित चमगादड़ों के खतरे को देखते हुए गिरे हुए या कटे-फटे फलों के सेवन से बचने की सलाह दी गई है। राज्य सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि फलों को अच्छी तरह धोकर और छीलकर ही खाएं, ताकि किसी भी तरह के संक्रमण से बचा जा सके।

    3) मॉनिटरिंग और टेस्ट

    केरल में निपाह वायरस की निगरानी को और मजबूत किया गया है, खासकर उन इलाकों में जहां चमगादड़ों की संख्या अधिक है। सरकार वायरस के फैलने के किसी भी संकेत पर नजर रख रही है ताकि संक्रमण को जल्दी से रोका जा सके।

    4) स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारियां

    राज्य के स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों को सतर्क कर दिया गया है। किसी भी संभावित निपाह वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए अस्पतालों को जरूरी चिकित्सा सुविधाओं से लैस किया गया है, ताकि संक्रमित मरीजों का सही समय पर इलाज किया जा सके।

    निपाह वायरस एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर हम सही सावधानियां बरतें और सरकार की गाइडलाइन्स का पालन करें, तो इससे बचा जा सकता है। घबराने की जरूरत नहीं है, हालांकि सतर्क रहना बेहद जरूरी है।

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