Hernia Prevention: हल्के में न लें हर्निया को, अनदेखी से बढ़ सकता है जोखिम
Hernia Prevention कानपुर के फार्चून हास्पिटल के लैप्रोस्कोपिक सर्जन डा. मनीष वर्मा ने बताया कि हर्निया कई प्रकार का होता है और किसी को भी हो सकता है। समय पर उपचार से इसे किया जा सकता है ठीक...

कानपुर, लालजी। जब कोई अंग या वसीय ऊतक आसापास की मांसपेशियों या संयोजी ऊतक के किसी कमजोर बिंदु से जिसे फैशिया कहते हैं, बाहर निकलने लगते हैं तो उसे हार्निया कहा जाता है। यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है, लेकिन पेट में हार्निया के मामले सबसे ज्यादा होते हैं। इससे पेट की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं और आंत बाहर की ओर निकल आती है। जहां हार्निया विकसित होता है, वहां उभार हो जाता है और उसमें दर्द बना रहता है।
हार्निया बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं व पुरुषों में किसी को भी हो सकता है। हालांकि पुरुषों में हार्निया के मामले महिलाओं से करीब 25 फीसद अधिक होते हैं। कई बार हार्निया की समस्या जन्मजात होती है, इसे कोनजेनाइटल हार्निया कहते हैं। हर्निया कई प्रकार का होता है। इनके विभिन्न नाम उस क्षेत्र के आधार पर रखे गए हैं, जहां यह होते हैं। जैसे-इनग्युनल (आंतरिक उरू-मूल या ग्रोइन), इंसीजनल (चीरा लगाने के फलस्वरूप), फेमोरल (बाहरी ग्रोइन), अंबलीकल (बेली बटन) और हियाटल (ऊपरी पेट) आदि।
प्रमुख कारण:
मोटापा, मांसपेशियों की कमजोरी और तनाव हार्निया विकसित होने का प्रमुख कारण है। इसके अतिरिक्त निम्न कारणों से भी ये पनपता है:
- पेट की मांसपेशियों को स्थिर किए बिना भारी वजन उठाना
- कब्ज रहना
- लगातार खांसी आना
- आनुवंशिक कारण
- चोट या किसी प्रकार की सर्जरी
- धूम्रपान
बीमारी के लक्षण:
हार्निया वाले स्थान पर दर्द रहना, भारीपन महसूस होना और पेट में सूजन आना इसका सबसे सामान्य लक्षण है। अन्य समस्याओं में ये भी हो सकता है:
- बुखार आना
- कब्ज होना
- अचानक और तेज दर्द होना
- जी मचलाना व उल्टी होना
- लाल और जामुनी रंग का उभार दिखाई देना
रोकथाम:
- धूमपान न करें
- वजन नियंत्रित रखें
- अगर खांसी की समस्या लंबे समय तक रहे तो चिकित्सक को दिखाएं
- अपनी क्षमता से अधिक भार न उठाएं, अगर उठाना भी हो तो अपने घुटनों पर भार डालते हुए उठाएं
सर्जरी के बाद क्या करें क्या न करें
- चिकित्सकीय परामर्श लेते रहें
- दवाओं का सेवन समय पर करें
- दो से तीन दिन तक पूरी तरह आराम करें
- वजन न बढऩे दें
- सर्जरी के बाद दो महीने तक भारी चीजें न उठाएं
- तेज आवाज में बात न करें।
- बिना चिकित्सकीय सलाह के योग और व्यायाम न करें
- पानी व तरल पदार्थों का सेवन पर्याप्त मात्रा में करें
- काफी, चाय व अल्कोहल के सेवन से बचें
- खट्टे और तीखे भोजन का सेवन कम करें
- अधिक तैलीय, मसालेदार और वसा युक्त भोजन से परहेज करें
- मौसमी फलों व सब्जियों को आहार का हिस्सा बनाएं
- मांसाहारी भोजन के सेवन से बचें
- ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें, जिनसे सर्दी-खांसी हो सकती है
उपचार: हार्निया का उपचार उसके आकार और लक्षणों की गंभीरता के आधार पर होता है। हियाटल हार्निया के लक्षणों को खानपान में बदलाव लाकर ही ठीक किया जा सकता है। यदि हार्निया का आकार लगातार बढ़ रहा है या दर्द हो रहा है तो सर्जरी कराना ही उचित रहता है। सर्जरी परंपरागत या लैप्रोस्कोपिक तकनीक द्वारा की जाती है। लैप्रोस्कोपिक तकनीक को अधिक बेहतर माना जाता है, क्योंकि इसमें बहुत छोटा सा चीरा लगाया जाता है। इससे आसपास के ऊतकों को कम नुकसान होता है और रिकवर होने में भी समय कम लगता है। इस विधि से हर प्रकार के हार्निया का आसानी से उपचार होता है और बहुत कम दवाओं का सेवन करना पड़ता है। परंपरागत सर्जरी से रिकवर होने में समय अधिक लगता है और दोबारा हार्निया होने की आशंका भी बनी रहती है। रोबोटिक सर्जरी, लैप्रोस्कोपिक प्रक्रिया का एडवांस रूप है। इसमें रोबोट की सहायता से सर्जरी की जाती है। कांप्लेक्स या जटिल हार्निया का उपचार इस प्रक्रिया द्वारा किया जाता है।
[लैप्रोस्कोपिक सर्जन डा. मनीष वर्मा]
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