Skin Problem: एयर पॉल्यूशन बढ़ा रहा है बच्चों में एटोपिक डर्मेटाइटिस का खतरा, जानें इसके लक्षण व उपचार
Skin Problem एटोपिक डर्मेटाइटिस एक्जिमा का सबसे आम प्रकार है इसे एटोपिक एक्जिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह परेशानी खासतौर से बच्चों में देखने को मिलती है तो क्या है इसकी वजह लक्षण और इलाज जानेंगे इस बारे में।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Skin Problem: ट्रैफिक का सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ता है। नई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि बहुत ज्यादा ट्रैफिक से बच्चों में एटोपिक डर्मेटाइटिस या एक्जिमा का खतरा बढ़ सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रैफिक की वजह से बच्चों को स्किन से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल ट्रैफिक की वजह से एन्वायरमेंट में कई तरह की गैस फैल जाती है, इसके साथ ही पॉल्यूशन भी ज्यादा रहता है, जो सेहत के लिए काफी नुकसानदेह होता है। यह रिसर्च कोलोराडो में हुई है। जिसमें यह पाया गया कि हाईवे से 1000 मीटर की दूरी पर रहने वाले बच्चों में एटोपिक डर्मेटाइटिस का खतरा कम था। वहीं हाईवे से 500 मीटर की दूरी पर रहने वाले बच्चों में इसके होने की संभावना काफी ज्यादा थी।
ट्रैफिक से सबसे ज्यादा फैल रहा एयर पॉल्यूशन
एटोपिक डर्मेटाइटिस या एक्जिमा की समस्या खासतौर से बच्चों में देखने को मिलती है। इससे कई तरह के दूसरी एलर्जी भी हो सकती है। इसे एटोपिक मार्च भी कहा जाता है। स्टडी में कहा गया है कि ट्रैफिक के चलते पॉल्यूशन सबसे ज्यादा फैल रहा है। पॉल्यूशन के चलते 2019 में दुनिया के करीब 90 लाख लोगों की मौत हुई थी। इनमें से 66.7 लाख मौतें एयर पॉल्यूशन की वजह से हुई।
एटोपिक डर्मेटाइटिस के लक्षण
एटोपिक डर्मेटाइटिस में खुजली, रूखापन और लालिमा के साथ त्वचा खुरदुरी हो सकती है।
एटोपिक एक्जिमा पूरे शरीर पर छोटे-छोटे धब्बों के रूप में हो सकता है, नवजात शिशुओं में चेहरे और खोपड़ी में, बाजुओं और पैरों में होता है।
वयस्क और बच्चों में हाथ या बाजुओं पर और पैरों के जोड़ों के आसपास, जैसे कोहनी या टखनों के पीछे की खुजली होना।नॉर्मल एटॉपिक एक्जिमा के शिकार लोगों में स्किन पर जगह-जगह ड्राइनेस वाले पैचेज बन जाते हैं, जिनमें कभी-कभी खुजली भी होती है।
खुजली की वजह से आपकी नींद खराब हो सकती है और खुजली वाली जगह से खून भी निकल सकता है।
एटोपिक डर्मेटाइटिस का इलाज
तकरीबन 53% बच्चों में यह 11 साल की उम्र तक सही हो जाता है और 65% मामलों में यह उनके 16 साल का होने तक साफ हो जाता है। गंभीर एक्जिमा का रोजमर्रा की जिंदगी पर बहुत गहरा असर होता है और इससे शारीरिक व मानसिक रूप से उबर पाना काफी मुश्किल होता है। साथ ही संक्रमण होने का खतरा भी अधिक होता है।
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