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    मेटरनल मेंटल हेल्थ को बिल्कुल भी न करें अनदेखा, इन तरीकों से रखें इसका ख्याल

    मां के दौरान एक महिला को कई तरह ही समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। मां बनने के बाद एक महिला को कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान उन्हें मेटरनल मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं भी आती हैं। ऐसे में कुछ आसान तरीकों से हाल ही में मां बनी महिलाएं अपने मेंटल हेल्थ का ख्याल रख सकती है।

    By Jagran News Edited By: Harshita Saxena Updated: Fri, 04 Oct 2024 10:45 AM (IST)
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    इन तरीकों से रखें मेटरनल मेंटल हेल्थ का ख्याल (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मदरहुड एक खूबसूरत एहसास है, जिसके अपने चैलेंज भी हैं। चैलेंज में सबसे बड़ा हिस्सा है मेटरनल मेंटल हेल्थ का। ये एक ऐसा संवेदनशील मुद्दा है, जिसके बारे में खुल कर बात करना अभी भी एक स्टिग्मा है, लेकिन सच्चाई ये है कि एक मां बनने के बाद उसके मेंटल हेल्थ का ख्याल रखना उसके कमजोर होने की निशानी नहीं है, बल्कि ये एक बेहद जरूरी पड़ाव है, जहां एक महिला का सपोर्ट जरूर करना चाहिए।

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    आज के समय में हर 5 में से 1 महिला पोस्ट नेटल एंग्जायटी और डिप्रेशन की शिकार होती जा रही है। लेकिन दुख की बात ये है कि 75% से ज्यादा महिलाओं को इसकी सही डायग्नोसिस और इलाज नहीं मिल पाता है। ऐसे में मेटरनल मेंटल हेल्थ के प्रति जागरूकता ही एकमात्र विकल्प है, जिससे एक मां के मेंटल हेल्थ को सही दिशा मिल सकती है। ऐसे में मेटरनल मेंटल हेल्थ से निपटने के लिए इन इनोवेटिव तरीकों की मदद ले सकते हैं-

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    अपना सपोर्ट नेटवर्क बढ़ाएं

    मदरहूड की जर्नी में खुद को अकेला समझने की जगह अपने सपोर्ट नेटवर्क को बढ़ाएं। लैक्टेशन एक्सपर्ट, भरोसेमंद पेडिट्रिशियन, पेरेंटिंग कोच, शुभचिंतक दोस्त और सपोर्टिव पार्टनर, जिस भी रूप में सपोर्ट मिले, उसे मांगने से न हिचकें और खुल कर अपने स्ट्रेस को इनके सामने रखें। पोस्टपार्टम ब्लूज बहुत ही आम मुद्दा है, जिससे कई महिलाएं गुजरती हैं। इसलिए खुद को अकेला न समझें और मदद लें।

    सीमाएं तय करें

    मदरहुड शुरू होते ही अनावश्यक सलाह और निर्देशों की बाढ़-सी आ जाती है। ऐसे में सबको सुन कर सभी के अनुसार पेरेंटिंग करने की जगह अपनी सीमाएं तय करें, जिसके अंदर कोई अनावश्यक राय या टिप्पणी न आ सके। हर विजिटर और उनकी सलाह को मात्र सुनें, लेकिन अपनी गट फीलिंग पर भरोसा करें। आपको जिसमें आराम महसूस हो वही काम करें।

    हेल्दी ईटिंग

    खाने और मूड का बहुत ही गहरा नाता है। इसलिए माइंडफुल ईटिंग करें और न्यूट्रिएंट से भरपूर आहार लें, जिससे ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहे। हालांकि, स्वाद के लिए अपनी पसंदीदा डिश भी कभी-कभी जरूर खाएं, जिससे हैप्पी हार्मोन शरीर में बनते रहें।

    नींद पूरी करें

    ये कहना जितना आसान है, करना उतना ही कठिन। एक मां बच्चे की नींद के अनुसार ही अपनी रूटीन प्लान कर पाती है। लेकिन इस कारण नींद पूरी न होने से शरीर में सक्रिय रहने की एनर्जी ही नहीं बचती है, जिसके कारण कठिन अनुभव और स्ट्रेसफुल भावनाएं जन्म लेने लगती हैं। इसलिए बाकी सारे काम को होल्ड करें, गंदे घर और जूठे बर्तन का प्रेशर लिए बिना नींद को प्राथमिकता दें। फिर जब फ्रेश दिमाग से उठें और थोड़ा अच्छा महसूस हो तभी अन्य काम खत्म करें।

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