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    Monsoon Illnesses: मानसून में बचना है पेट के संक्रमण से, तो इन बातों का रखें याद

    Monsoon Illnesses मौसम में नमी और उमस की वजह से इन दिनों बैक्टीरिया जनित समस्याएं बढ़ रही हैं जिससे लोग उल्टी दस्त और बुखार आदि की शिकायत करने लगे हैं। कई इलाकों में लंबे समय तक जलभराव बाढ़ के उतरते पाने से संक्रमण का जोखिम बढ़ गया है। जानते हैं इनके निदान और बचाव के जरूरी उपायों के बारे में...

    By Jagran NewsEdited By: Ruhee ParvezUpdated: Mon, 24 Jul 2023 12:11 PM (IST)
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    Monsoon Illnesses: बरसात के मौसम में बचे रहेंगे पेट के संक्रमण से, अगर फॉलो करेंगे ये टिप्स

    नई दिल्ली। Monsoon Illnesses: बारिश के दिनों में दूषित जल और खाद्य पदार्थों से होने वाली बीमारियों का बढ़ना स्वाभाविक है। इस समय पेट दर्द और संक्रमण की शिकायतें बढ़ जाती हैं और यह समस्या देश के ज्यादातर हिस्सों में है। इसे स्टमक फ्लू भी कहा जाता है। दस्त, पेचिस और उल्टी की दिक्कत देखी जा रही है। दस्त के साथ ब्लड आने की भी शिकायत देखी जाती हैं। इन दिनों पीलिया होने पर एक-दो दिन बुखार रहता है और फिर उल्टियां होती हैं। इसके बाद आंखों, त्वचा और यूरिन के पीला होने की दिक्कतें आने लगती हैं। इस मौसम में हेपेटाइटिस-ए और ई के भी मामले सामने आते हैं। पीलिया का मुख्य कारण है-दूषित भोजन और पानी का सेवन।

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    दूषित खाद्य से बढ़ती समस्या

    अगर बुखार चार-पांच दिन से ऊपर चला जाता है, तो टायॉइड होने की आशंका बढ़ जाती है। विषाक्त भोजन, दूषित जल, बाहरी पानी-पूरी या गन्ने का जूस पीने से भी पेट का संक्रमण हो सकता है। मौसमी परिवर्तन के चलते कॉलरा (हैजा) की आशंका रहती है। पेट के संक्रमण से बचाव का आसान तरीका यही है कि भोजन से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। भोजन को ढककर रखें। इन दिनों भोजन चार से पांच घंटे में खराब होने लगता है। इसलिए भोजन को फ्रिज में रखें।

    हवा की नमी से जोखिम

    आर्द्रता अधिक होने से खान-पान और शारीरिक श्रम दोनों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। हवा में नमी बढ़ने से बैक्टीरिया पनपने की गुंजाइश अधिक रहती है। इससे संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। जो लोग सर्दी-खांसी से पीड़ित हैं, उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि छींकते या खांसते समय ड्रॉपलेट इधर-उधर न गिरने दें। उन गंदे हाथों से चेहरे को न छुएं। बचाव के लिए मास्क का प्रयोग कर सकते हैं।

    डायबिटीज और ब्लड प्रेशर में अधिक सतर्कता

    मधुमेह, कैंसर या किडनी आदि बीमारियों से जूझ रहे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) पहले से कम हो चुकी होती है। ऐसे लोगों को नियमित दवाएं लेने के साथ-साथ खानपान का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। कोविड टीकाकरण की ही तरह कई अन्य बीमारियों के लिए भी मरीजों को टीका दिया जाता है।

    टीकाकरण बेहतर उपाय

    मानसून में इन्फ्लूएंजा यानी फ्लू जैसी दिक्कतें सामान्य हैं। इन दिनों निमोनिया और टायफॉइड भी बढ़ता है। इन तीनों बीमारियों के लिए टीकाकरण बेहतर विकल्प है। कम उम्र के मधुमेह रोगियों और खासकर, जो लोग अक्सर बाहर का भोजन करते हैं, उन्हें हेपेटाइटिस-ए का टीकाकरण जरूर कराना चाहिए।

    ध्यान रखने वाली जरूरी बातें

    अगर सिरदर्द, बुखार या ठंड लग रही है, तो सिर्फ पैरासिटामोल की ही गोली लें। निमूस्लाइड, कांबिफ्लेम जैसी दवाएं जो तुरंत बुखार को कम कर देती हैं, वे कभी-कभी खतरनाक हो सकती हैं। बिना डॉक्टर की सलाह के उनका सेवन न करें। पैरासिटामोल की गोली 24 घंटे में तीन से चार बार ली जा सकती है। अगर एक-दो दिन में बुखार नहीं उतर रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। उल्टी और दस्त की ही समस्या है, तो भी खुद से दवा न लें। डॉक्टर से परामर्श करें, क्योंकि ये लक्षण हेपेटाइटिस के भी हो सकते हैं। हेपेटाइटिस अगर गंभीर हो जाता है, तो लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। ध्यान रखें छोटा सा संक्रमण कई बार लापरवाही की वजह से गंभीर रूप ले सकता है।

    इन बातों का रखें ध्यान

    • अगर किसी बीमार व्यक्ति से मिल रहे हैं, तो स्वच्छता का ध्यान रखें।
    • सामान्य वायरल डायरिया एक दिन बाद ठीक हो जाता है। इसमें मरीज को दूध से परहेज कर दही का सेवन करना चाहिए।
    • रक्तचाप से ग्रस्त लोग, जो दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, लूज मोशन या उल्टी होने पर ब्लडप्रेशर माप कर ही दवाएं लें, क्योंकि इन बीमारियों में रक्तचाप नीचे आ जाता है।
    • अगर बीपी 120 और 70 से ऊपर है, तभी दवाई लें, अन्यथा न लें।

    खान-पान का रहे ध्यान

    किसी कारण बाहर खाना खा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि वह अच्छी तरह से पका, उबला या गर्म होना चाहिए।

    कटे हुए फल, बाहर की चटनी, सलाद, कटी हुई प्याज, पानी-पूरी आदि के सेवन से बचें।

    दही में कुछ प्राकृतिक तत्व हैं, जो पेट को राहत पहुंचाते हैं।

    शरीर में पानी की कमी न होने दें। नारियल पानी, ओआरएस घोल या शिकंजी भी ले सकते हैं।

    लेप्टोस्पाइरोसिस से बचाव

    यह एक तरह का बैक्टीरिया जनित संक्रमण ही है। बारिश के मौसम में चूहे और अन्य जीव-जतुंओं के यूरिन से पानी और मिट्टी में संक्रमण फैलता है। इसके संपर्क में आने से लेप्टोस्पाइरोसिस हो सकता है। अगर संक्रमित पानी को स्पर्श कर लिया है या यह चेहरे पर लग गया, तो खाने के रास्ते या नाक की नली से यह शरीर में संक्रमण का कारण बन सकता है। लेप्टोस्पाइरोसिस में भी मरीज को बुखार, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश जैसी समस्याएं आती हैं। संक्रमण गंभीर होने पर किडनी तक की समस्या आ सकती है। इससे पीलिया होने की भी आशंका रहती है। अगर इस तरह के लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

    - डॉ. आकांक्षा रस्तोगी, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, मेदांता द मेडिसिटी, गुरुग्राम

    बातचीत : ब्रह्मानंद मिश्र
    Picture Courtesy: Freepik