हर किसी को मालूम होनी चाहिए Hepatitis A से जुड़ी 3 बातें, नहीं तो लिवर को सड़ा कर रख देगी यह बीमारी
क्या आपको पता है कि Hepatitis A का वायरस दूषित भोजन और पानी के जरिए आपके शरीर में पहुंच सकता है? हैरानी की बात है कि इसके लक्षण दिखने में लगभग 2-3 सप्ताह का समय लग सकता है! बरसात के दिनों में इसका खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है ऐसे में आइए जानते हैं इससे जुड़े 3 फैक्ट्स जिनकी मदद से लिवर को सड़ने से बचाया जा सकता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। मानसून के मौसम में पीने का पानी अक्सर सीवेज के कारण दूषित हो जाता है, जिससे भोजन और पानी के माध्यम से फैलने वाली बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A), टायफाइड और हैजा का खतरा बढ़ जाता है। हेपेटाइटिस ए, जिसे आमतौर पर जॉन्डिस यानी पीलिया के नाम से भी जाना जाता है, लिवर से जुड़ा एक संक्रमण (Liver Disease) है। वैसे तो इसे बच्चों में होने वाला सामान्य संक्रमण माना जाता है, जो दूषित भोजन या पानी के सेवन से हो जाता है, लेकिन कभी-कभी यह किशोरों और वयस्कों में गंभीर समस्याओं (Liver Damage) का कारण भी बन जाता है। आइए डॉक्टर से जानते हैं हेपेटाइटिस ए से जुड़े 3 फैक्ट्स जो आपको इस बीमारी से बचाने में मदद कर सकते हैं।
1) पीलिया एक लक्षण है, हेपेटाइटिस ए एक बीमारी।
हेपेटाइटिस ए एक वायरल संक्रमण है, जो लिवर में इन्फ्लेमेशन का कारण बनता है। इस इन्फ्लेमेशन के कारण लिवर के फंक्शन में अनियमितता आती है और खून में बिलुरबिन नाम का कंपाउंड बढ़ जाता है। बिलुरबिन का स्तर बढ़ने से त्वचा, नाखून और आंखों में पीलापन आ जाता है, जिसे जॉन्डिस यानी पीलिया कहते हैं। पीलिया के अलावा, लिवर के इन्फ्लेमेशन के कारण बुखार, भूख न लगना, जी मिचलाना और उल्टी जैसे अन्य लक्षण भी देखने को मिलते हैं। हेपेटाइटिस ए से पूरी तरह ठीक होने में कुछ हफ्तों से लेकर दो महीने तक का समय लग सकता है। इस संक्रमण के कारण बच्चों का उस दौरान स्कूल जाना बंद हो सकता है, जो कि वर्किंग पेरेंट्स के लिए किसी दबाव से कम नहीं होता है। इस मामले में यह जानना जरूरी है कि पीलिया केवल हेपेटाइटिस ए ही नहीं, बल्कि लिवर से संबंधित किसी अन्य बीमारी का भी लक्षण हो सकता है।
यह भी पढ़ें- लिवर को सड़ा सकती हैं आपकी ये आदतें, देर होने से पहले कर लें इनमें सुधार
2) हेपेटाइटिस ए का खतरा और गंभीरता उम्र के साथ बढ़ जाती है।
साफ-सफाई के कारण बच्चों में हेपेटाइटिस ए के संक्रमण के मामले कम हुए हैं। हालांकि, इसका मतलब यह है कि अब ज्यादातर बच्चे इस वायरस की चपेट में आए बिना ही किशोर उम्र तक पहुंच रहे हैं यानी उनमें इस वायरस को लेकर इम्यूनिटी नहीं होती है। इस कारण से अब किशोरों और वयस्कों में हेपेटाइटिस ए के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं। इनमें कई बार यह संक्रमण बहुत गंभीर इन्फ्लेमेटरी रिएक्शन और कुछ मामलों में एक्यूट लिवर फेल्योर तक का कारण बन सकता है। कुछ मामलों में यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है। आंकड़े बताते हैं कि भारत में पांच साल से कम उम्र के शहरी बच्चों में हेपेटाइटिस ए का सीरोप्रिवलेंस कम हो रहा है, यानी इन बच्चों को वायरस का सामना नहीं करना पड़ा है। इसका यह अर्थ भी है कि किशोर और वयस्कों में इस बीमारी के गंभीर संक्रमण की आशंका ज्यादा है। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में करीब 70 प्रतिशत वयस्कों में हेपेटाइटिस ए को लेकर सीरोपॉजिटिविटी है। यह आंकड़ा नॉन-इम्यून लोगों में गंभीर संक्रमण के खतरे को भी बताता है।
3) हेपेटाइटिस ए के टीके से संक्रमण का खतरा कम होता है।
वैश्विक स्तर पर हेपेटाइटिस ए टीकाकरण ने बच्चों में इस बीमारी के प्रसार को 79 प्रतिशत कम किया है। भारत में भी यह टीका पिछले 25 साल से उपलब्ध है। इस टीके को आमतौर पर छह-छह महीने के अंतराल में दो डोज के रूप में लगाया जाता है, जिसकी पहली डोज 12 महीने की उम्र में लगाई जाती है। हालांकि, टीकाकरण का शेड्यूल अलग भी हो सकता है, इसलिए अपने पीडियाट्रिशियन से परामर्श कर लेना चाहिए। टीकाकरण बच्चों को हेपेटाइटिस ए से बचा सकता है। यह उनमें इम्यूनिटी बनाता है, जो किशोर अवस्था और वयस्क होने तक रहती है। इससे जीवन में आगे चलकर गंभीर संक्रमण होने का खतरा भी कम हो जाता है। जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में हेपेटाइटिस ए के टीके को शामिल करने से इस बीमारी का दबाव उल्लेखनीय रूप से कम हो सकता है, विशेष रूप से हाई-रिस्क वाली आबादी में।
अपने बच्चों को हेपेटाइटिस ए से बचाने के लिए हमें उन्हें टीका लगवाना चाहिए। साथ ही, हमें अपने आस-पास साफ-सफाई रखनी चाहिए। अगर हम ये दोनों काम करेंगे तो हम इस बीमारी को देश से दूर रख सकते हैं।
-डॉ. संजय वजीर, मेडिकल डायरेक्टर (नियोनेटोलॉजी एंड पीडियाट्रिक्स), मदरहुड हॉस्पिटल, गुरुग्राम से बातचीत पर आधारित
यह भी पढ़ें- खराब लाइफस्टाइल बनाती है लिवर से जुड़ी समस्याओं का शिकार, इन तरीकों से रखें इसका ख्याल
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।