Nasal Polyps: समय पर उपचार ही देगा नाक के पालिप्स में राहत, न करें इन लक्षणों को नजरअंदाज
Nasal Polyps कानपुर ईएनटी एंड माइक्रो एंडोस्कोपी के लेजर सर्जन डा. देवेन्द्र लालचंदानी ने बताया कि कई कारणों से होते हैं नाक में पालिप्स। सटीक पहचान के अभाव व उपचार में देरी से ये बनते हैं गंभीर संक्रमण का कारण...
कानपुर, लालजी बाजपेयी। Nasal Polyps नाक के पालिप्स असामान्य ऊतकों व मास बढऩे के कारण बनते हैं। ये नाक का एक आम संक्रमण है। इसके कारण नाक की श्लेष्मा में सूजन आ जाती है। इसका कारण वायरस, फंगस व बैक्टीरिया होता है। यह नाक के साथ ही साइनस को भी प्रभावित करते हैं। इसके अधिसंख्य मामले वयस्कों में देखे जाते हैं, लेकिन ये किसी भी उम्र में महिला या पुरुष को हो सकते हैं।
इनके कारण सांस लेने में परेशानी और दर्द के साथ नाक से पानी आने जैसी कई समस्याएं होती हैं। हालांकि इसके हर मामले में लक्षण अलग भी हो सकते हैं। उपचार में देरी से इसके कारण नाक का कैंसर व स्लीप एप्नीया जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है।
जांचें
इसकी सटीक जानकारी का पता लगाने के लिए चिकित्सक कुछ जांचें करवाते हैं। इनमें नाक की एंडोस्कोपी, सीटी स्कैन, एमआरआई, एलर्जी, रक्त, विटामिन-डी आदि शामिल हैं।
इस तरह करें बचाव
पानी में नमक मिलाकर नाक की सफाई करें। योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में योग, प्राणायाम व जलनेति क्रिया और बेडरूम में ह्यूमीडिटीफायर का प्रयोग करें। नाक से संबंधित एलर्जी या संक्रमण है तो तत्काल उपचार कराएं व हाथों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। घर से बाहर जाने पर मास्क का प्रयोग अवश्य करें।
उपचार
इस बीमारी का उपचार रोग की स्थिति के अनुसार, स्टेरायड के इंजेक्शन, नेजल स्पे्र और एंटीबायोटिक्स द्वारा किया जाता है। इन दवाओं का प्रयोग चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए, क्योंकि इनके दुष्प्रभाव भी बहुत हैं।
सर्जरी
यदि पालिप्स बड़ा है तो इसे दवाओं द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है। इसके निदान के लिए चिकित्सक सर्जरी का विकल्प अपनाते हैं। सर्जरी दूरबीन विधि द्वारा माइक्रोडिब्राइडर, कोओबलेटर या लेजर द्वारा की जाती है। सर्जरी के साथ ही इम्यूनोथेरेपी व वैक्सीन भी दी जाती है, जिससे दोबारा संक्रमण की आशंका न रहे।