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    बेहोशी हो सकती है खतरनाक, जागरुकता है असली बचाव

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Mon, 20 May 2019 11:05 AM (IST)

    अचानक बेहोश होने की प्रॉब्लम मस्तिष्क में खून का प्रवाह अपर्याप्त होने से होता है। ऐसा तब होता हैजब हृदय मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन पंप करना छोड़ देता है। जानेंगे इसके बारे में।

    बेहोशी हो सकती है खतरनाक, जागरुकता है असली बचाव

    एक बड़ी संख्या में लोगों को अपने जीवन काल में कभी न कभी बेहोशी महसूस होती है। ज्यादातर लोग इसे मिर्गी समझने की भूल करते हैं और कुछ लोग अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर झाड़-फूंक करवाकर परेशानी को और बढ़ा लेते हैं। बेहोशी से संबंधित अलग-अलग पहलुओं और इसके इलाज के बारे में जानकारी दे रहे हैं कुछ विशेषज्ञ डॉक्टर..

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    बेहोश होने को चिकित्सकीय भाषा में सिनकोप कहा जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन सिनकोप को अस्थायी बेहोशी कहता है जो मस्तिष्क में खून का प्रवाह अपर्याप्त होने से होता है। ऐसा तब होता है,जब हृदय मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन पंप करना छोड़ देता है।

    कुछ समय के लिए बेहोश हो जाने के मामले अक्सर होते रहते हैं, लेकिन परेशानी तब खड़ी होती है, जब हम इसे मिर्गी मानकर न्यूरोलॉजिस्ट के पास चले जाते है। दरअसल, सही सूचना, जागरूकता का अभाव बेहोशी की समस्या के प्रमुख कारण हैं। आपको पता होना चाहिए कि बेहोशी का कारण दिल की धड़कन की अनियमित स्थिति होती है और इसलिए न्यूरोलॉजिस्ट के पास न जाकर आपको हृदयरोग विशेषज्ञ के पास जाना जरूरी है। अनियिमत धड़कन की स्थिति जब बहुत धीमी होती है तो पीड़ित चल-फिर नहीं पाता और बेहोश हो जाता है। वहीं तेज धड़कन की स्थिति में उसकी जान भी खतरे में पड़ सकती है।

    हृदय रोगी हो जाएं सचेत

    वैसे तो सिनकोप (बेहोशी की स्थिति) के अधिकांश शिकार साठ साल से अधिक उम्र के लोग हैं। हालांकि कम उम्र के लोगों और यहां तक कि बच्चों में भी बेहोशी की समस्या उत्पन्न हो सकती है,पर जो लोग कोरोनरी आर्टरी डिजीज, कॉनजेनाइटल हार्ट डिफेक्ट्स, वेंट्रीकुलर डिसफंक्शन के साथ हार्ट अटैक झेल चुके हैं, उन्हें जोखिम ज्यादा हो सकता है। दरअसल, सिनकोप की वजह से अचानक दिल का दौरा पड़ सकता है। अगर दिल की धड़कन की असामान्य स्थिति(एरिथिमिया) का उपचार समय पर नहीं किया जाए तो यह बेहद घातक हो सकता है।

    कैसे होती है जांच

    बेहोशी की जांच का सामान्य तरीका है इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (ईसीजी)। खून में शुगर का स्तर और ब्लड काउंट की भी निगरानी की जा सकती है। नतीजों के आधार पर समस्या की गंभीरता का आकलन करने के लिए और व्यापक कार्डियक आकलन की आवश्यकता हो सकती है।

    इलाज के बारे में

    जीवनशैली में बदलाव और दवाओं से भी इसका इलाज किया जाता है। हालांकि यह सब चिकित्सकीय स्थिति की गंभीरता पर निर्भर है। सिनकोप का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि इसका कारण क्या है।

    ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है कि बेहोशी होने पर किस तरह के डॉक्टर के पास जाना चाहिए। आमतौर पर लोग शीघ्र ही न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करते हैं। यदि अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट नहीं मिले तो आप फिजीशियन से भी मिल सकते हैं। वैसे बेहोशी का सटीक इलाज कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट के पास होता है। वे ईसीजी कर इलाज के बारे में परामर्श देते हैं। वे पेसमेकर लगाकर पेसमेकर से आपकी धीमी हृदय गति को नियमित करते हैं।

    पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं 

    यदि आप खूब पानी पीते हैं, तो आप बेहोशी का खतरा टाल सकते हैं। अधिकतर लोग चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक, ग्रीन टी आदि पीकर बॉडी डिहाइड्रेट(शरीर में पानी की कमी) कर लेते हैं। यदि आप अधिक पानी नहीं पी सकते हैं तो चाय-कॉफी और विभिन्न कोल्ड ड्रिंक्स पीने के स्थान पर नींबू पानी, छाछ, लस्सी आदि लें ताकि बॉडी को हाइड्रेट रख सकें।

    जागरूकता ही बचाव

    बेहोशी के मामलों में सबसे अधिक जरूरी है यह जानना कि इस परेशानी को बड़ी बीमारी या बड़ा खतरा बनने से कैसे रोका जाए। याद रहे, बेहोशी दो तरह की होती है। पहली, जो हृदय रोगी नहीं हैं, उन्हें यह समस्या हो सकती है। दूसरे वे जो हृदय रोगी हैं। हृदय रोगियों को बेहोशी से बड़ा खतरा हो सकता है। इसलिए यदि आपको पता है कि आप दिल के मरीज हैं और आप बेहोशी हो चुके हैं, तो इसे गंभीरता से लें।

    यदि आपको भीड़ या किसी का ब्लड सैंपल लेते देखकर ही बेहोशी आ जाती है तो इस तरह की स्थितियों या माहौल से बचें। डायबिटीज के मरीजों को हृदयरोग के बारे में सतर्क रहना चाहिए।

    चेतावनी देते लक्षण

    यदि बेहोशी आने वाली है तो त्वचा पीली हो जाती है। धड़कनें असामान्य होने लगती हैं। कमजोरी बहुत महसूस होती है। सिर भारी हो जाता है और जी मिचलाने लगता है। पसीना बहुत आने लगता है।

    ध्यान रहे

    सिनकोप के मरीजों को वाहन चलाने, कुछ खास तरह के कार्य करने, के संबंध में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

    याद रखने वाली बातें

    1. आप कब बेहोश हो चुके हैं, इस बारे में तारीख व दिन आदि बातों को किसी डायरी में लिख लें ताकि दोबारा डॉक्टर से परामर्श लेते वक्त आप उन्हें इस संदर्भ में जानकारी देते रहें।

    2. अगर आपको सीने में दर्द होता है, सांस फूलती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। खासकर तब, जब हृदय की बीमारी से पीडि़त हों।

    3. बेहोश होने वाले व्यक्ति के पैरों को सिर से ऊपर रखें जिससे मस्तिष्क में खून का प्रवाह बेहतर हो।

    सीमा झा चिकित्सकीय पैनल में डॉ. टी.एस. क्लेर (वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ, दिल्ली), डॉ. वनिता अरोड़ा (सीनियर कंसल्टेंट कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट, मैक्स हॉस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली), डॉ. अपर्णा जायसवाल(कार्डियोलॉजिस्ट, फोर्टिस इस्का‌र्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली)शामिल है। 

     

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