मस्तिष्क की कार्य प्रणाली के नए माडल की खोज, भविष्य में होने वाले रोगों के उपचार में हो सकता है सहायक
यह शोध मस्तिष्क की जांच कर उपचारों में बड़ा प्रभाव डाल सकता है। बिना किसी लक्षण या मस्तिष्क के घावों वाले रोगियों में कनेक्शन में स्पष्ट भिन्नता देखी गई। यह पाया गया कि घावों ने पूरे मस्तिष्क के नेटवर्क को कैसे प्रभावित किया?

हौलाहान (नीदरलैंड्स), एएनआइ : किसी व्यक्ति की बौद्धिक कुशाग्रता को लेकर कई तरह की बातें कही जाती रही हैं। उन अध्ययनों के आधार पर कुछ मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाने के उपाय या उपचार भी सुझाए जाते रहे हैं। माना जाता रहा है कि मस्तिष्क में कोई खास हिस्सा होगा, जो व्यक्ति विशेष की मस्तिष्क क्षमता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होती होगी। लेकिन एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि मस्तिष्क में उसके लिए कोई खास हिस्सा विशिष्ट नहीं होता है, बल्कि विभिन्न हिस्सों के बीच कनेक्शन उन्हें विशिष्ट बनाता है। इससे मस्तिष्त की कार्य प्रणाली को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यह शोध अध्ययन साइंस नामक एक जर्नल के विशेष अंक में प्रकाशित हुआ है।
ऐसा मिथक रहा है कि हमारे मस्तिष्क का दायां गोलार्ध रचनात्मकता के लिए है और बायां तर्कसंगत सोच के लिए है। हमारे मस्तिष्क के कामकाज को लेकर यह एक आम अवधारणा रही है। इससे यह कहा जाता है कि हमारे पास कई मस्तिष्क क्षेत्र हैं, जिनमें सभी का एक विशिष्ट कार्य होता है। मस्तिष्क के इस 'माड्यूल' को अब महत्व नहीं दिया जा रहा है। रेडबौड विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट स्टेफनी फोर्केल और बोर्डो विश्वविद्यालय के मिशेल थिवाट डी. शोटेन के अनुसार, हमें मस्तिष्क के कार्य को अलग तरह से देखना चाहिए। मस्तिष्क के कार्य अलग-अलग मस्तिष्क क्षेत्रों में स्थानीयकृत नहीं होते हैं, बल्कि उनके बीच कार्यों का आदान-प्रदान होता रहता है।
बोलने और पढ़ने के लिए आवश्यक
फोर्केल के अनुसार मस्तिष्क कैसे काम करता है, इसे समझने के लिए भाषा को एक उदाहरण के रूप में लेकर समझा जा सकता है। जैसे, संवाद करने के लिए हमें या आपको किसी दिए गए संदर्भ को जल्दी समझने की जरूरत है, ताकि उसके भावनात्मक इरादों पर विचार कर यह तय कर सकें कि हमें किसे क्या जवाब देना है? कैसे देना है? अब मस्तिष्क के पुराने और कथित पारंपरिक माड्यूल पर बात करें तो यह इतने कम समय सीमा में इन सभी अलग-अलग भाषा, गणनाओं की अनुमति नहीं देगा। "न्यूरो साइंटिस्ट्स के अनुसार यह इसलिए संभव हो पाता है, क्योंकि कनेक्शन मस्तिष्क के संकेतों को बढ़ा या घटा सकते हैं और मस्तिष्क की संरचना और कार्य को निर्धारित कर सकते हैं। मस्तिष्क क्षेत्रों के कनेक्शन के पैटर्न और संज्ञानात्मक कार्यों के दौरान उनकी गतिविधि के बीच एक मजबूत संबंध है। हालांकि यह अनुमान लगाना संभव है कि मस्तिष्क में कोई कार्य कहां दिखाई देगा।" फोर्केल का कहना है "यदि आप साक्षरता हासिल करने से पहले बच्चों के मस्तिष्क को देखें तो पाएंगे कि सफेद पदार्थ, जिसमें तंत्रिका मार्ग होते हैं, पहले से ही 'शास्त्रीय' पठन क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।"
हर किसी के पास होता है अलग मस्तिष्क
स्टेफनी फोर्केल का कहना है "पोस्टमार्टम के दौरान जब व्यक्ति के दिमाग पर शोध काम किया तो अहसास हुआ हुआ कि मस्तिष्क में परिवर्तनशीलता की व्याख्या नहीं की जा सकती है। हर किसी के पास एक अलग मस्तिष्क होता है, उसमें पाठ्य-पुस्तक में पढ़ाए जाने वाले मस्तिष्क जैसा कुछ भी नहीं है। नए दृष्टिकोण के अनुसार विज्ञानी हमारे दिमाग के बीच परिवर्तनशीलता का माडल बना सकते हैं। यदि आप व्हाइट मैटर को देखते हैं, तो हमारे मस्तिष्क के पुराने हिस्से 'सरीसृप' के मस्तिष्क से कमोबेश मेल खाता है, जबकि हाल ही में विकसित हिस्से अधिक परिवर्तनशील होते हैं। यह मस्तिष्क के विकास को एक नए रूप में रखता है।"
भविष्य में होने वाले रोगों के उपचार में हो सकता है सहायक
यह शोध मस्तिष्क की जांच कर उपचारों में बड़ा प्रभाव डाल सकता है। बिना किसी लक्षण या मस्तिष्क के घावों वाले रोगियों में कनेक्शन में स्पष्ट भिन्नता देखी गई। यह पाया गया कि घावों ने पूरे मस्तिष्क के नेटवर्क को कैसे प्रभावित किया? इसके आधार पर हम दिखा सकते हैं कि नेटवर्क पैटर्न के उपयोग से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन से लक्षण रोगियों में हैं या एक साल बाद वे कौन से लक्षण विकसित करेंगे। उसके आधार पर रोगों का उपचार की रूपरेखा तय कर सकते हैं।
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