Dengue vs Chikungunya: डेंगू और चिकनगुनिया में फर्क को कैसे समझें?
Dengue vs Chikungunya WHO के अनुसार वेक्टर जनित रोग सभी संक्रामक रोगों के 17 फीसदी से ज़्यादा के लिए ज़िम्मेदार होते हैं जिससे सालाना 700000 से अधिक मौतें होती हैं। भारत में 6 तरह की वेक्टर जनित रोग हैं जिसमें मलेरिया डेंगू और चिकनगुनिया शामिल है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Dengue vs Chikungunya: साल के इस समय हर बार मच्छरों से होने वाली बीमारियों का ख़तरा बढ़ने लगता है। इस बार भी डेंगू के मामले तेज़ी से आ रहे हैं। डेंगू इकलौती बीमारी नहीं है जो मच्छर के काटने से होती है, इसके अलावा मलेरिया, चिकनगुनिया, पीला बुखार जैसी बीमारियां भी हैं। मच्छर के काटने से जो संक्रमण फैलता है उसमें आमतौर पर बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द, चकत्ते शामल होते हैं। जो आम फ्लू के भी लक्षण होते हैं। ऐसे में इन बीमारियों में फर्क समझना मुश्किल हो सकता है।
तो आइए जानें कि चिकनगुनिया और डेंगू में क्या फर्क होता है?
क्या है चिकनगुनिया?
यह मच्छरों से फैलने वाला एक संक्रमण है। चिकनगुनिया शब्द का मतलब है 'आपको झुका देने वाला' या 'झुक कर चलना'। मायो क्लीनिक के मुताबिक, इस शब्द से पचा चलता है कि यह बीमारी आपके जोड़ों और मांसपेशियों को बुरी तरह प्रभावित करती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, हालांकि, इसके लक्षणों का इलाज संभव है, जैसे तेज़ बुखार, सिर दर्द, थकान, चकत्ते, मतली और आंखों का लाल होना।
डेंगू क्या है?
डेंगू बुखार संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। इस संक्रमण के पीछे एडीज़ एजिप्टी मादा मच्छर होती है। डेंगू के हल्के संक्रमण में तेज़ बुखार और फ्लू जैसे लक्षण होते हैं। गंभीर मामलों में ब्लीडिंग, ब्लड प्रेशर का अचानक गिर जाना और मौत हो सकती है।
चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षणों में क्या फर्क है?
चिकनगुनिया और डेंगू, दोनों बीमारियों में तेज़ बुखार, सिर दर्द, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, चकत्ते, थकावट, मतली और आंखों के पीछे दर्द जैसे लक्षण देखे जाते हैं। हालांकि, कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो अलग भी हैं। चिकनगुनिया मरीज़ के जोड़ों और मांसपेशियों पर हमला करता है, वहीं, डेंगू में प्लेटलेट्स का कम हो जाना चिंताजनक होता है। कई बार प्लेटलेट्स 10 हज़ार तक चले जाते हैं। चिकनगुनिया में भी प्लेटलेट्स हल्के से गिर सकते हैं।
डेंगू के मरीज़ों में चिकनगुनिया के मरीज़ों की तुलना शरीर में दर्द कहीं ज़्यादा तेज़ होता है। वहीं, चिकनगुनिया में जोड़ों का दर्द ज़्यादा तेज़ होता है। ज़्यादातर मामलों में मरीज़ के ठीक हो जाने के बाद भी हाथों और घुटनों में दर्द बना रहता है। डेंगू रक्तस्रावी बुखार में मरीज़ ब्लीडिंग का अनुभव भी कर सकता है।
लिम्फ नोड्स पर ध्यान दें
जब चिकनगुनिया की बात आती है, तो विशेषज्ञों का मानना है कि डेंगू बुखार की तुलना में लिम्फ नोड्स सामान्य रहते हैं। डेंगू में मरीज़ के गर्दन और कमर में लिम्फ नोड्स का आकार बढ़ जाता है।
शरीर पर चकत्ते
चिकनगुनिया में रैशेज़ चेहरे, हथेली, पैर और हाथों में दिखते हैं। वहीं, डेंगू के मरीज़ों में चकत्ते सिर्फ हाथ, पैरों और चेहरे पर ही दिखते हैं।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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