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    क्रॉनिक किडनी डिजीज में पुरुषों पर 'दोहरी मार', दिल और दिमाग दोनों हो रहे कमजोर; नई स्टडी में खुलासा

    Updated: Sun, 07 Dec 2025 09:21 AM (IST)

    क्या आप जानते हैं कि क्रॉनिक किडनी रोग (Chronic Kidney Disease) सिर्फ आपके शरीर को ही नहीं, बल्कि आपके दिमाग को भी बीमार बना सकता है? एक नए शोध में यह ...और पढ़ें

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    किडनी की बीमारी छीन सकती है आपकी सोचने-समझने की शक्ति (Image Source: AI-Generated) 

    प्रेट्र, नई दिल्ली। क्रॉनिक किडनी डिजीज को अक्सर सिर्फ किडनी से जुड़ी समस्या माना जाता है, लेकिन एक ताजा शोध बताता है कि यह रोग हमारी दिमागी क्षमता पर भी गहरा असर छोड़ सकता है। नई स्टडी में सामने आया है कि यह रोग बौद्धिक क्षमता को सामान्य से तेज गति से घटा सकता है, जिससे सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।

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    Chronic Kidney Disease

    (Image Source: AI-Generated) 

    पुरुषों पर पड़ रही है दोहरी मार

    शोध में दिलचस्प बात यह सामने आई कि पुरुषों और महिलाओं में इसके प्रभाव समान नहीं होते। रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों में बौद्धिक क्षमता में गिरावट महिलाओं की तुलना में अधिक पाई गई। इसके साथ ही पुरुषों में हृदय की कार्यक्षमता में भी अपेक्षाकृत अधिक कमी देखी गई, जो स्थिति को और गंभीर बना देती है।

    दिल से जुड़ी है दिमागी सेहत

    यह स्टडी बताती है कि यह दिमागी गिरावट वास्तव में हृदय और मस्तिष्क के बीच मौजूद संबंध को हुए नुकसान की वजह से होती है। जब यह संबंध कमजोर होता है, तो दिमाग की कार्यप्रणाली पर असर दिखना शुरू हो जाता है। शोधकर्ताओं ने पुरुषों में इस संबंध को अधिक क्षतिग्रस्त पाया, जिसके कारण उनमें मानसिक क्षमता का ह्रास तेज हुआ।

    किडनी डिजीज और पुरुषों की मेंटल हेल्थ

    अध्ययन के निष्कर्ष अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी – हार्ट एंड सर्कुलेटरी फिजियोलॉजी में प्रकाशित किए गए हैं। मार्शल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन में बायोमेडिकल साइंसेज की शोधकर्ता और प्रमुख लेखिका स्नेहा एस. पिल्लई ने बताया कि इस शोध से यह समझने में मदद मिलती है कि क्रॉनिक किडनी रोग से पीड़ित पुरुषों को अक्सर अधिक गंभीर मानसिक चुनौतियों का सामना क्यों करना पड़ता है।

    पुरुषों और महिलाओं में दिखा बड़ा अंतर

    पिल्लई के अनुसार, यह परिणाम स्पष्ट करते हैं कि किडनी, हार्ट और ब्रेन को जोड़ने वाले जैविक मार्ग पुरुषों और महिलाओं में अलग तरीके से काम करते हैं। यही कारण है कि दोनों में इसके प्रभाव अलग रूप में दिखाई देते हैं। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि इन निष्कर्षों से किडनी, हृदय-संवहनी नुकसान और मस्तिष्क कार्यप्रणाली के बीच संबंध की समझ और गहरी होगी।

    इस नई जानकारी से उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी दवाओं या उपचारों पर काम बढ़ेगा, जो इन जटिल जैविक संबंधों को सुधारकर मानसिक क्षमता के नुकसान को कम कर सकें। कुल मिलाकर, यह शोध बताता है कि क्रॉनिक किडनी रोग केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है और यह प्रभाव पुरुषों में अधिक तीव्र हो सकता है।

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