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    बचपन में सिर में लगी चोट से मस्तिष्क का विकास हो सकता है प्रभावित

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Wed, 13 Jul 2022 01:26 PM (IST)

    शोध में विज्ञानियों ने पाया कि जिन बच्चों के मस्तिष्क का आकार कम था उन्हें स्वस्थ बच्चों की तुलना में धीमी मानसिक प्रसंस्करण गति सीखने की कठिनाई अवसाद का उच्च स्तर उदासीनता और क्रोध आदि परेशानी हो रही थी।

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    गंभीर आघात से मस्तिष्क का आकार कम हो सकता है। फाइल

    लंदन, आइएएनएस : सिर में लगी चोट कई दशकों तक परेशान कर सकती है। हाल ही में विज्ञानियों ने एक नए अध्ययन में पाया है कि मस्तिष्क पर गंभीर आघात से कुछ बच्चों और किशोरों के मस्तिष्क का आकार कम हो सकता है, इससे संज्ञानात्मक क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसे लोग जिन्हें बचपन में मस्तिष्क पर गंभीर चोट लग जाती है, उन्हें कई प्रकार की दीर्घकालिक समस्याएं हो सकती हैं। इनमें स्मृति दोष, एकाग्रता में कमी के अलावा समस्याओं को सुलझाने में मुश्किल आदि शामिल हैं। इस शोध के तहत व्यस्कों की समस्या का गहनता के साथ अध्ययन किया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि बच्चों के अलावा किशोरों की समस्या बेहद गंभीर है क्योंकि इनका दिमाग विकसित होता रहता है और बहुत तेजी से बदलाव करता है।

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    नए अध्ययन में इंपीरियल कालेज, लंदन और ग्रेट आरमंड स्ट्रीट हास्पिटल के शोधकर्ताओं ने सामान्य रूप से विकसित हो रहे बच्चों के दिमाग के विस्तृत मापों का मिलान किया और उन्हें उन बच्चों के साथ किसी भी मतभेद को दूर करने में मदद के लिए गाइड के रूप में इस्तेमाल किया, जिन्हें मध्यम या गंभीर मस्तिष्काघात का सामना करना पड़ा हो। विज्ञानियों ने पाया कि चोट के परिणामस्वरूप कुछ बच्चों के मस्तिष्क का आकार अपेक्षा से कम हो सकता है और सीखने और व्यवहार संबंधी परेशानी भी हो सकती है।

    इस शोध के निष्कर्ष को ब्रेन नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सिर की चोट के प्रभाव जटिल होते हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं। इंपीरियल कालेज के डिपार्टमेंट आफ ब्रेन साइंस के प्रोफेसर डेविड शार्प ने बताया कि अगर हम एक ऐसे बिंदु पर पहुंच जाएं जहां स्कैन का सटीक विश्लेषण हो सके तो ऐसे बच्चों की मदद की जा सकती है, जिन्हें सीखने में दिक्कत हो रही हो या व्यवहार संबंधी परेशानी से जूझ रहे हैं।

    शोधकर्ताओं ने कहा कि ऐसे बच्चों को पुनर्वास या अतिरिक्त सहायता देने में चिकित्सक सक्षम हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह वास्तव मे काफीं महत्वपूर्ण है क्योंकि युवाओं द्वारा अनुभव की जाने वाली कठिनाई का उनकी शिक्षा और व्यस्क जीवन पर स्थायी असर पड़ सकता है। इस शोध के लिए विज्ञानियों ने 1200 से अधिक स्वस्थ बच्चों और युवाओं का एमआरआइ स्कैन कराया। इन प्रतिभागियों की उम्र आठ से 22 वर्ष के बीच थी। विज्ञानियों ने इसकी तुलना 12 से 16 वर्ष के 39 ऐसे किशोरों से की जो कुछ महीने या वर्षो पहले मध्यम या गंभीर मस्तिष्काघात का शिकार हुए थे। सिर में लगी चोट वाले 11 किशोरों के मस्तिष्क के एक क्षेत्र में सफेद पदार्थ की मात्र कम पाई गई।

    वहीं, दूसरी तरफ सात किशोरों के मस्तिष्क के एक क्षेत्र में ग्रे पदार्थ की कमी पाई गई थी। सफेद पदार्थ एक महीन धागे की तरह होता है जो मस्तिष्क के सभी क्षेत्रों को एक-दूसरे से जोड़ता है, जबकि ग्रे पदार्थ कोशिका निकायों से बना होता है, जहां सूचना संसाधित होती है।