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खतरनाक चमकी बुखार से बचाव है संभव, लक्षणों की पहचान कर तुरंत कराएं इलाज

इन दिनों मुजफ्फरपुर एवं आसपास के क्षेत्रों में चमकी बुखार से अनेक बच्चों की मौतें हो चुकी हैं। इसके पीछे लीची को वजह माना जा रहा है। जानेंगे इसके बारे में और कैसे बचें इससे।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 08:55 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 08:25 AM (IST)
खतरनाक चमकी बुखार से बचाव है संभव, लक्षणों की पहचान कर तुरंत कराएं इलाज
खतरनाक चमकी बुखार से बचाव है संभव, लक्षणों की पहचान कर तुरंत कराएं इलाज

चमकी बुखार का प्रमुख कारण कुपोषित बच्चों के द्वारा लीची का सेवन करना है। ऐसे बच्चे लीची का ज्यादा सेवन करते हैं, इसमें अधपकी लीची का सेवन भी शामिल है। ये बच्चे घर आने के बाद अक्सर बिना खाना खाए ही सो जाते हैं। दरअसल लीची में प्राकृतिक रूप से हाइपोग्लाइसिन ए एवं मिथाइल साइक्लोप्रोपाइल ग्लाइसिन टॉक्सिन पाया जाता है। अधपकी लीची में ये टॉक्सिन अपेक्षाकृत काफी अधिक मात्रा में मौजूद रहते हैं। ये टॉक्सिन शरीर में बीटा ऑक्सीडेशन को रोक देते हैं और हाइपोग्लाइसीमिया (रक्त में ग्लूकोज का कम हो जाना) हो जाता है एवं रक्त में फैटी एसिड्स की मात्रा भी बढ़ जाती है। चूंकि बच्चों के लिवर में ग्लूकोज स्टोरेज कम होता है, जिसकी वजह से पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज रक्त के द्वारा मस्तिष्क में नहीं पहुंच पाता और मस्तिष्क गंभीर रूप से प्रभावित हो जाता है। इस तरह की बीमारी का पता सबसे पहले वेस्टइंडीज में लीची की तरह ही 'एकी' फल का सेवन करने से पता चला था।

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क्या है चमकी बुखार के लक्षण

ज्यादातर मामलों में चमकी बुखार के निम्न लक्षण देखे गए हैं।

1. मिर्गी जैसे झटके आना (जिसकी वजह से ही इसका नाम चमकी बुखार पड़ा)

2. बेहोशी आना

3. सिर में लगातार हल्का या तेज दर्द

4. अचानक बुखार आना

5. पूरे शरीर में दर्द होना

6. जी मिचलाना और उल्टी होना

7. बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस होना और नींद आना

8. दिमाग का ठीक से काम न करना और उल्टी-सीधी बातें करना

9. पीठ में तेज दर्द और कमजोरी

10. चलने में परेशानी होना या लकवा जैसे लक्षणों का प्रकट होना।

ऐसे करें बचाव

1. बच्चों को रात में अच्छी तरह से खाना खिलाकर सुलाएं। खाना पौष्टिक होना चाहिए।

2. बच्चों को खाली पेट लीची न खाने दें। अधपकी लीची का सेवन कदापि न करने दें।

ऐसे होगा इलाज

जैसे ही चमकी बुखार के लक्षण दिखाई पड़ें वैसे ही बच्चे को मीठी चीजें खाने को देनी चाहिए। अगर संभव हो तो ग्लूकोज पाउडर या चीनी को पानी में घोलकर दें। जिससे कि रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ सके और मस्तिष्क को प्रभावित होने से बचाया जा सके। इसके बाद तुरंत अस्पताल ले जाएं।

डॉ. अरविंद कुमारएमडी मेडिसिन, एसोसिएट प्रोफेसर जीएसवीएम कॉलेज, कानपुर

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