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Coronavirus Truth or Myth: क्या 10 सेकेंड सांस रोकने वाले कोरोना वायरस के शिकार नहीं, ये है सच!

Coronavirus Truth or Myth आजकल सोशल मीडिया पर एक मिथक काफी वायरल हो रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि अपने लक्षण देख खुद कोरोना वायरस को डायग्नोज़ कर सकते हैं। जानें क्या है सच।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2020 12:27 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 12:27 PM (IST)
Coronavirus Truth or Myth: क्या 10 सेकेंड सांस रोकने वाले कोरोना वायरस के शिकार नहीं, ये है सच!

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Coronavirus Self Diagnose: कोरोना वायरस का कहर अब भी दुनियाभर में जारी है, हर दिन इससे संक्रमित और मरने वालों की लिस्ट तेज़ी से बढ़ती जा रही है। दुनियाभर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 30 लाख से ज़्यादा हो चुकी है, वहीं, दो लाख से ज़्यादा लोग इस बीमारी के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं। कोरोना वायरस के लगातार बढ़ रहे मामलों की वजह से लोगों के बीच घबराहट के साथ मिथक भी तेज़ी से फैल रहे हैं। 

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मिथक कई बार जानलेवा भी साबित होते हैं। आजकल सोशल मीडिया पर एक मिथक काफी वायरल हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि अपने लक्षण देख खुद कोरोना वायरस को डायग्नोज़ कर सकते हैं। इसमें कहा जा रहा है कि अगर आप बिना खांसे या किसी मुश्किल के 10 सेकेंड के लिए अपनी सांस रोक पाते हैं, तो आप कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हैं क्योंकि आपके फेफड़ों को किसी तरह का नुकासन नहीं पहुंचा है।
 
क्या है इस ख़बर का दावा
इस ख़बर के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज़ों में जब तक बुख़ार या खांसी जैसे लक्षण नज़र आते हैं, तब तक उनके फेफड़े 50 प्रतिशत फाइबरोसिस का शिकार हो चुका होता है, जिसकी वजह से इलाज में दिक्कत आती है। 10 सेकेंड के लिए अपनी सांस रोकने से ये पता चल जाता है कि आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा है या नहीं। 
 
क्या है सच
कोरोना वायरस के बाकी मिथकों की तरह ये भी ग़लत है। कोरोना वायरस का सबसे आम लक्षण है सूखी खांसी, थकावट और बुखार आना। कई लोगों में निमोनिया जैसे गंभीर लक्षण भी दिखते हैं। सांस रोकने से आपको सिर्फ ये पता चलेगा कि आपको खांसी है या नहीं। कोई इंसान कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं ये सिर्फ लैब टेस्ट से ही पता लग सकता है।
 
अगर आपको कोरोना वायरस जैसे लक्षण दिखते हैं, तो सबसे अच्छा है कि आप डॉक्टर से फोन पर सलाह लें। अगर डॉक्टर कहें, तभी क्लीनिक या अस्पताल जाएं। लक्षण दिखने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करें, इसमें देर करने पर हालात गंभीर हो सकते हैं। 

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